रामचरितमानस का अपमान करने वाले स्वामी प्रसाद प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया है। दरअसल सपा नेता मौर्य से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर के ‘भारत को अब हिंदू राष्ट्र हो जाना चाहिए’ बयान पर सवाल पूछा गया था। इसके जवाब में वो बोलना शुरू हुए तो संविधान से लेकर धर्मनिरपेक्षता पर बहुत कुछ बोल गए।
उन्होंने पंडित धीरेंद्र शास्त्री की बात पर कहा, “आज तक भारत कभी हिंदू राष्ट्र था ही नहीं। जब आज तक भारत हिंदू राष्ट्र था ही नहीं तो अब हो भी नहीं सकता, क्योंकि भारत का संविधान पंथ निरपेक्ष विचारधारा पर आधारित है, जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई सब भाई-भाई हैं। इसे हम स्वीकार भी करते हैं।” वो यहाँ बीपी मण्डल जयंती समारोह के दौरान आयोजित जातीय जनगणना गोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे। ये गोष्ठी डॉ लोहिया और ‘डॉ अम्बेडकर विचार मंच’, रायबरेली ने आयोजित की थी।
‘देश को बाँटने की साजिश करने वालों से रहे सावधान’
वो यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, “अगर कोई हिंदू राष्ट्र की बात करेगा तो कल को कोई खलिस्तान की माँग क्यों नहीं कर सकता? कल कोई और बँटवारे की बात क्यों नहीं कर सकता? धर्म के आधार पर बँटवारे की बात क्यों नहीं कर सकता? भारत लंबे समय के बाद गुलामी से आजाद हुआ है। सालों साल-हजारों साल तक यह दौर चलता रहे इसलिए देश को बाँटने की साजिश करने वालों से हम लोगों को सावधान रहना चाहिए।”
स्वामी प्रसाद मौर्य जुलाई 2023 में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के महिलाओं के माथे पर सिंदूर नहीं होने पर प्लॉट खाली वाले बयान पर उन्हें ‘लंपटाचार्य’ कह चुके हैं। वहीं मई 2023 में गाजीपुर बौद्ध जयंती समारोह में भी संतों को लेकर उन्होंने कहा था कि साधु के भेष में सारे आतंकवादी हैं। फरवरी 2023 में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री को ढोंगी और पाखंडी कहा था।
‘सनातन धर्म बुद्ध का दिया हुआ है’
मौर्य ने कहा, “मैं सनातन धर्म में यकीन करता हूँ। बुद्ध ने जो उपदेश दिया था उसमें उन्होंने कहा था एष धम्मो सनंतनो। भगवान बुद्ध की कही हुई बात ही सनातन है और अगर कोई दूसरा उसे मानता है तो मैं उसका विरोध नहीं करता हूँ, क्योंकि सनातन धर्म, सनातन बात और उपदेश सब भगवान बुद्ध के दिए हुए हैं।”
‘स्वामी प्रसाद मौर्य हमारे विरोधी हैं’
जातीय जनगणना गोष्ठी में सपा नेता मौर्य ने कहा, “आजादी के 76 साल बाद भी जातियाँ आज सबके सर पर चढ़कर बोल रही हैं और वह जातियां जिन्होंने पूरे समाज को बांटा, अपने वर्चस्व को सर्वोच्च बनाए रखने के लिए जिन्होंने कहा “ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी, सकल, ताड़ना के अधिकारी” जिन्होंने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा “जे बरनाधम तेलि कुम्हारा। स्वपच किरात कोल कलवारा।”
उन्होंने आगे कहा, “जिन्होंने कहा “पूजहि विप्र सकल गुण हीना। शुद्र न पूजहु गुण ज्ञान प्रवीणा।।” आखिर जातिवाद कौन कर रहा है? उन्होंने आरोप लगाया कि जातिवाद के ठेकेदारों ने हमें विभिन्न जातियों में बाँट कर हमारा शोषण किया, हमें अधम कहा, पढ़ने-लिखने से रोका, और अगर हम अपनी पीड़ा बोलते हैं तो कहते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य हमारे विरोधी हैं।