आंध्र प्रदेश के गुंटूर में एक मंदिर को ध्वस्त किए जाने को लेकर तनाव व्याप्त है। स्थानीय लोग गुंटूर म्युनिसपल कॉर्पोरेशन से आक्रोशित हैं। कोल्ली शारदा बाजार में स्थित माँ कनक दुर्गा के मंदिर को स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया। सरकार का कहना है कि नंदीवेलूगु तक जाने वाली सड़क के चौड़ीकरण में यह मंदिर बाधा बन रहा था। प्रशासन ने इसे तोड़ने के पीछे कारण बताते हुए कहा कि ये विकास कार्य के आड़े आ रहा था। ये मंदिर क़रीब 3 दशक पुराना है। मंदिर को तोड़े जाने के बाद देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ टूटी-फूटी अवस्था में इधर-उधर बिखरी पड़ी रहीं।
स्थानीय जनता की शिकायत है कि मंदिर को ढाहने से पहले अधिकारियों ने उन्हें न तो कोई नोटिस दिया और न ही इसे लेकर कोई पूर्व-सूचना दी गई। लोगों ने मंदिर को कहीं और स्थापित किए जाने को लेकर आवेदन दिया था। स्थानीय जनता का कहना था कि मंदिर को ध्वस्त करने की बजाय इसे रिलोकेट कर के कुछ दूर अलग स्थापित कर दिया जाए। प्रशासन ने लोगों की इस माँग को अस्वीकार कर दिया और मंदिर को गिरा डाला गया। अंत मे लोगों ने सरकार से कहा कि कम से कम मंदिर के अंदर की चीजों को कहीं और रखने के लिए अतिरिक्त समय दी जाए। उनकी इस माँग पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया।
‘द न्यूज़ मिनट’ में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, एक महिला ने विरोध करते हुए पूछा कि मंदिर को गिराने का अधिकार सरकार व प्रशासन को किसने दिया है? वहीं नगरपालिका प्रशासन का कहना है कि इस सम्बन्ध में मंदिर के प्रबंधकों से 1 वर्ष से बातचीत चल रही थी। उन्होंने बताया कि इस कार्य की समीक्षा के लिए एक कमिटी बनाई गई थी और नियमानुसार ही सारे कार्य पूर्ण किए गए। नगरपालिका ने बताया है कि मंदिर को अलग बनाने के लिए पास ही एक ज़मीन उपलब्ध कराई गई है। वहाँ नगरपालिका के फण्ड से मंदिर बनाया जा रहा है। म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने पूर्व-सूचना न दिए जाने के आरोपों को भी ख़ारिज कर दिया।
Hindu Temple demolished in the night at Guntur,Andhra
— Dharmendra Chhonkar (@yoursdharm) November 14, 2019
JCB used had symbol of Jesus
Statue of Maa Durga left broken on roads
Will they dare to demolish the Mosque & Church like this?
Why there was no notice from govt.?@ippatel
@BeSriSri @IndiaWithRSS @ShefVaidya @alok_ajay pic.twitter.com/gZ5SICD26o
गुंटूर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने दावा किया कि उक्त मंदिर अतिक्रमण की गई भूमि पर बनाया गया था और मंदिर प्रशासन के पास कोई कागज़ात ही नहीं थे। मंदिर के अवशेषों के चित्र व वीडियो ऑनलाइन वायरल हो गए। इसके बाद लोगों ने आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार के ख़िलाफ़ आक्रोश दर्ज कराया। भाजपा नेता लंका दिनाकरन ने कहा कि मौजूदा राज्य सरकार एक तरफ तो जेरुसलम जाने वाले लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएँ मुहैया करा रही है, वहीं दूसरी तरफ मंदिरों को तोड़ रही है। जब विवाद बढ़ गया तो मंदिर प्रशासन से एक ‘सहमति पत्र’ लिया गया, जिसमें दावा किया गया है कि मंदिर को उसके प्रबंधकों की सहमति के बाद तोड़ा गया।