पश्चिम बंगाल में पूर्वी मिदनापुर जिले के लालपुर गाँव में शेख कासमुद्दीन नामक एक स्थानीय निवासी और तृणमूल कॉन्ग्रेस (टीएमसी) समर्थक के घर के पीछे से 153 क्रूड बम बरामद किया गया। भगवानपुर पुलिस ने बमों की बरामदगी के साथ ही इस मामले के सिलसिले में चार लोगों को भी गिरफ्तार किया। इसके बाद तीन को प्रारंभिक पूछताछ के बाद रिहा कर दिया गया और कासमुद्दीन को कांथी कोर्ट में पेश किया गया। उसे न्यायाधीश ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसके घर के पीछे से जो कच्चे बम बरामद किए गए थे, उन्हें भी डिफ्यूज कर दिया गया है।
एगरा के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी शेख अख्तर अली ने कहा, “अवैध रूप से जमा किए गए बम बरामद हुए थे और इसमें एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया गया है। हम आरोपितों से इन कच्चे बमों को जमा करने के पीछे के मकसद के बारे में पूछताछ कर रहे हैं।”
इस घटना ने लालपुर गाँव के निवासियों में दहशत की स्थिति पैदा कर दी है। स्थानीय लोगों ने पुलिस से सवाल किया है कि इतनी बड़ी मात्रा में कच्चे बमों को कैसे उनकी निगरानी में जमा किया गया। कोरोनो वायरस लॉकडाउन के बीच 153 क्रूड बमों की बरामदगी को लेकर पुलिस भी असमंजस की स्थिति में है।
तृणमूल कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं में आपस में झड़प
भगवानपुर ब्लॉक में तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यवाहक सहायक सचिव और भगवानपुर-1 पंचायत समिति के सदस्य हारुन रशीद (बाबूलाल) के समर्थकों के बीच हुए झड़प के बाद क्षेत्र में पुलिस सक्रिय हो गई है। जानकारी के मुताबिक आरोपी शेख कासमुद्दीन इलाके में हारुन रशीद का समर्थक माना जाता है। रिपोर्टों के अनुसार, 11 अप्रैल को दो समूहों के बीच हिंसक लड़ाई हुई, जिसके बाद अजीमुल और अन्य 44 लोगों को गिरफ्तार किया गया। साथ ही झगड़ा रोकने के लिए उन्हें जिला नेतृत्व और ब्लॉक नेतृत्व की तरफ से चेतावनी भी दी गई थी।
भगवानपुर -1 ब्लॉक के तृणमूल अध्यक्ष मदन मोहन पात्रा ने कहा, “पार्टी की ओर से बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद उन्होंने बात नहीं मानी। वे सत्ता के लिए लड़ रहे थे और अशांति पैदा करने के लिए वे बमों को जमा भी कर रहे थे। पुलिस को कानून के अनुसार उनके खिलाफ़ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।”
अवैध आतिशबाजी कारखाने में विस्फोट
गौरतलब है कि इस साल जनवरी में, पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी में एक अवैध पटाखा निर्माण कारखाने में हुए विस्फोट में कम से कम चार लोग मारे गए थे और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था। तब फैक्ट्री का मालिक नूर हुसैन को गिरफ्तार किया गया था और उसके खिलाफ हत्या के साथ-साथ अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
विस्फोट की तीव्रता को देखते हुए तब स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया था कि अवैध पटाखे के कारखाने का उपयोग कच्चे बम बनाने के लिए किया जाता था।