बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी बच्चे के गाल छूना यौन अपराध नहीं है। उच्च-न्यायालय ने कहा कि बिना किसी यौन इच्छा के बच्चे के गाल छूना यौन अपराध नहीं है। साथ ही ये भी कहा कि इस मामले में ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (POCSO Act)’ के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती। शुक्रवार (27 अगस्त, 2021) को सुनाए गए फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में 46 वर्षीय मुर्गी विक्रेता को जमानत दे दी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में शामिल साक्ष्यों की शुरुआती जाँच से ये पता नहीं चलता है कि आरोपित ने बच्ची के गाल को यौन अपराध की मंशा से छुआ था। हाईकोर्ट ने कहा कि सभी पहलुओं को देखने के बाद लगता है कि इस मामले में जमानत मिलनी ही चाहिए। हालाँकि, उच्च-न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसकी ये राय सिर्फ जमानत को लेकर है और इसका सुनवाई व जाँच पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए।
TOI की खबर के अनुसार, आरोपित को जुलाई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। 8 वर्षीय बच्ची की माँ ने इस मामले में FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि जब उनकी बेटी आरोपित की दुकान पर गई थी तो उसने अनुचित तरीके से बच्ची के गाल को छुआ था। ट्रायल कोर्ट ने आरोपित की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी थी। अधिवक्ता राम प्रसाद गुप्ता ने आरोपित की तरफ से पेश होते हुए आरोप लगाया कि उनके मुवक्किल को व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता में झूठा फँसाया गया है।
उन्होंने कहा कि आरोपित एक कारोबार करता है, समाज में ही रहता है और उसे अपने परिवार की देखभाल भी करनी होती है। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई आशंका नहीं है कि वो सुनवाई के लिए अनुपस्थित हो जाएगा या फिर कहीं भाग जाएगा। उन्होंने कहा कि ये आरोप उम्रकैद या फाँसी की सज़ा के अंतर्गत नहीं आते हैं। अगर अपराध साबित होता है तो अधिकतम 7 वर्षों का कारावास दिया जा सकता है।
Merely touching kid’s cheeks not sex assault in Mumbai: Court https://t.co/i8zG2vCInO
— TOI Mumbai (@TOIMumbai) August 28, 2021
आरोपित पहले ही 13 महीने जेल में बिता चुका है। 29 जुलाई, 2020 को दर्ज कराई गई FIR में कहा गया था कि महिला ने आरोपित को देखा कि वो बच्ची को इशारे कर के अपनी दुकान पर बुला रहा था। आरोप है कि जब बच्ची दुकान के भीतर गई तो आरोपित बाहर निकला, उसने इधर-उधर देखा और फिर अंदर जाकर शटर गिरा दिया। आरोप है कि शटर उठाने पर वो बच्ची के गाल छूता हुआ दिखा।
जनवरी 2021 के एक फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि किसी नाबालिग के सामने कोई पैंट की जिप खोल दे, तो वो पॉक्सो एक्ट के तहत यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा। जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला की एकल पीठ ने 50 वर्षीय एक व्यक्ति द्वारा 5 साल की लड़की से यौन शोषण मामले में ये फैसला दिया था। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक फैसला सुनाया था, जिसके मुताबिक़ सिर्फ ग्रोपिंग (Groping, किसी की इच्छा के विरुद्ध कामुकता से स्पर्श करना) को यौन शोषण नहीं माना जा सकता।