महाराष्ट्र की महिला ट्रेनी IAS पूजा खेडकर इन दिनों खूब सुर्खियों में हैं। अपनी ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने बत्ती वाली गाड़ी, वीआईपी नंबर, अलग चैंबर और पर्सनल स्टाफ की माँग की थी। इन माँगों से परेशान होकर पुणे जिलाधिकारी ने उनकी शिकायत मुख्य सचिव को भेजी और अब उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया है। फिलहाल उनके ओबीसी दर्जे पर भी विवाद है और उनके मानसिक रूप से अक्षम होने के दावे पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस बीच पूजा खेडकर के ट्रांसफर के बाद उनकी अधिकारी के साथ व्हॉट्सएप चैट सामने आई है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट में जोड़े गए स्क्रीनशॉट से चैट से पता चलता है कि पूजा असिस्टेंट कलेक्टर बनने से पहले ही अधिकारियों को मिलने वाली सेवाओं की डिमांड करने लगी थीं। इसके अलावा ये भी पता चला है कि पूजा ने ट्रेनिंग पीरियड के दौरान कितने नखरे दिखाए। उन्हें जो सेवा दी गई वो उन्होंने ली नहीं, उलटा अपनी ही डिमांड करना जारी रखा व अपने पिता के साथ जाकर खनन विभाग के बगल में स्थित वीआईपी हॉल को अपने केबिन के रूप में इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा।
रिपोर्ट में लगे स्क्रीनशॉट के मुताबिक पूजा खेडकर ने अधिकारी को मैसेज भेजे हुए थे कि वो उनके बैठने के प्रबंध और गाड़ी के बारे में उन्हें जानकारी दें ताकि वो उस हिसाब से चीजें मैनेज करें। स्क्रीनशॉट में देख सकते हैं कि अधिकारी ने उन्हें बराबर रिस्पांस किया, लेकिन फिर भी पूजा उनके पीछे पड़ी रहीं। आगे देख सकते हैं कि वो अपनी ज्वानिंग से पहले सारी सेवाओं की माँग करने पर अड़ी थीं। कह रही थीं कि 3 जून की ज्वाइनिंग से पहले उनके बैठने के लिए चैंबर और आने-ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था हो
अधिकारी ने उन्हें कहा कि वो उनकी डिमांड को एक बार उनके आने पर चेक कर लेंगे। हालाँकि पूजा खेडकर कहने लगीं कि ये सब कुछ उनके ऑफिस ज्वाइन करने से पहले होना चाहिए न कि बाद में। उन्होंने लिखा कि उन्हें ये सब मिल जाने के बाद बहुत सारी चीजें प्लान करनी हैं जो बाद के लिए नहीं छोड़ी जा सकती हैं।
बता दें कि ये सारी डिमांड पूजा खेडकर ट्रेनिंग पीरियड में करने लगी थीं जबकि एक ट्रेनी को ये सारी सुविधाएँ नहीं दी जाती हैं। इसके अलावा ये भी पता हो कि अधिकारियों ने शुरू में पूजा खेडकर से पूरी तरह डील करने का प्रयास किया था। उन्हें बार बार माँगने पर एक चैंबर भी दे दिया गया, लेकिन बाद में पता चला कि उन्होंने उस चैंबर में बाथरूम न होने की वजह से ही उसे लेने से मना कर दिया और अपनी डिमांड करना जारी रखा। वहीं अपनी निजी ऑडी कार में वह लाल-नीली बत्ती लगाकर, वीआईपी नंबर के साथ उसका इस्तेमाल करती थीं। इस पर उन्होंने महाराष्ट्र सरकार का बोर्ड भी लगाया हुआ था।