ट्रेन को पटरी से उतारने की बहुत सी साजिशों की खबरें आने के बीच एक नया खुलासा हुआ है। खुलासे से पता चलता है कि ट्रेन को डीरेल करने की कोशिशों में मदरसे अपनी भूमिका खास तौर पर निभा रहे हैं।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी और उत्तर प्रदेश एटीएस ने झांसी और कानपुर में ट्रेन डीरेल की कोशिश के बाद इस मामले में जाँच की थी और पाया था कि मदरसों में न केवल छात्रों के भीतर ट्रेन को डीरेल करने के लिए कट्टरपंथी बनाया जाता है बल्कि उन्हें इसकी ट्रेनिंग भी दी जाती है।
ये ट्रेनिंग ऑनलाइन मोड में दी जाती है। जाँच टीम ने ऐसे तमाम वीडियोज पाए हैं जिसमें इस्लामी कट्टरपंथी युवाओं को भड़काते हुए दिख रहे हैं और उन्हें ये भी बता रहे हैं कि ये काम किया कैसे जाता है।
एक मुफ्ती खालिद नदवी नाम के मदरसा टीचर से इसी मामले में पूछताछ भी हुई। गुरुवार को जाँच टीम ने नदवी के घर छापा मारा और कई घंटे उससे सवाल पूछे। लेकिन, जब उसे हिरासत में लिया गया वैसे ही वहाँ मुस्लिम भीड़ आई और उन्होंने नदवी को छुड़ाने का प्रयास किया।
इस भीड़ में तमाम महिलाएँ थीं जो मस्जिद से ऐलान के बाद वहाँ इकट्ठा हुई थीं। हालाँकि बाद में पुलिस बल ने मामले को संभालते हुए नदवी को हिरासत में लिया और साइबर सेल थाने में जे जाकर पूछताछ की। इस दौरान नदवी का लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य आइटम भी सीज कर लिए गए। वहीं बाद में 100 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया जो हिरासत के दौरान मौलवी को छुड़ाने आए थे।
गौरतलब है कि बीते 3 महीनों में ट्रेन को पटरी से उतारने का तमाम मामले सामने आए हैं। कभी साबरमती एक्सप्रेस को निशाना बनाया गया, कभी कालिंदी एक्स्प्रेस को। यहाँ वंदे भारत पर पत्थर तक फेंके गए। कभी पटरी पर सिलेंडर मिला तो कभी आइरन की रॉड। अगर सही समय पर ट्रेन रोक इसे न हटाया जाता तो कोई भी बड़ी दुर्घटना घटी जा सकती थी।