केंद्र ने अपने जवाब में बताया कि जनजातीय आबादी के कम होने के पीछे दो कारण हैं-पहला पलायन और दूसरा धर्मांतरण। केंद्र सरकार के जवाब में ये भी बताया गया कि एक तरफ जहाँ जनजातीय आबादी घटी है तो वहीं दूसरी ओर संथाल परगना के छह अलग-अलग जगहों में मुस्लिम आबादी 20 से 40 फीसदी तक बढ़ी है। वहीं ईसाइयों की संख्या भी इन इलाकों में 6000 गुणा तक बढ़ी है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों झारखंड में हो रही बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर दानियल दाश की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में बताया गया था कि संथाल के छह जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठिए आ रहे हैं जिसकी वजह से संथाल की जनसंख्या बदल रही हैं। इलाकों में मदरसे बनाए जा रहे हैं। स्थानीय जनजातीय महिलाओं को फाँस कर वैवाहिक संबंध बनाया जा रहा है।
याचिका के कोर्ट पहुँचने के बाद उस समय संथाल के छह जिलों (पाकुड़, साहिबगंज, दुमका, गोड्डा, देवघर और जामताड़ा) के डिप्टी कमीशनरों ने कहा था कि उनके जिले में कोई बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं हुई है। इस तरह साफ नकारे जाने की बात पर कोर्ट ने उन्हें चेताया भी था कि अगर इलाके में एक भी घुसपैठ का मामला मिला तो उनके ऊपर कोर्ट की अवमानना का मामला चलेगा।
इस मामले में इससे पहले 5 सितंबर को हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई थी। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने बताया था कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश काफी संवेदनशील मामला है। घुसपैठिया झारखंड के रास्ते देश के अन्य राज्यों में भी प्रवेश कर वहाँ की आबादी को प्रभावित करेंगे। इसे हर हाल में रोकना होगा।
उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी थी कि जनजातीय समुदाय की कम होती संख्या केंद्र सरकार के लिए भी चिंता का विषय है। ऐसे में केंद्र सरकार बीएसएफ-आईबी सब से विचार विमर्श करके इस मामले में जवाब तैयार करेगी और कोर्ट को पेश करेगी। 5 सितंबर को हुई इस सुनवाई के बाग मामले के संबंध में 12 सितंबर को जवाब दाखिल किया गया। केंद्र सरकार ने बताया कि घुसपैठ साहिबगंज और पाकुड़ जिलों से हुई है। ये इलाके पश्चिम बंगाल से सटे हुए हैं। घुसपैठिए इन इलाकों में इसलिए आए क्योंकि यहाँ की बोली एक जैसी थी, जिससे उन्हें घुलने-मिलने में मदद मिली। अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
मालूम हो कि केंद्र के अनुसार, 1951 की जनगणना में संथाल परगना की कुल जनसंख्या 23,22,092 थी, जिसमें हिंदू 90.37 प्रतिशत, मुस्लिम 9.43 प्रतिशत और ईसाई 0.18 प्रतिशत थे। वहीं 2011 की जनगणना में संथाल परगना की कुल जनसंख्या 69,69,097 हो गई, जिसमें हिंदू 67.95 प्रतिशत रह गए, मुस्लिमों की संख्या 22.73 प्रतिशत हो गई और ईसाई 4.21 प्रतिशत हो गए।