पत्नी को फौरी ‘तीन तलाक’ को अपराध करार देने वाले कानून के खिलाफ सुन्नी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ‘समस्त केरल जमीयतुल उलेमा’ ने शीर्ष अदालत से इस कानून पर रोक लगाने और इसे असंवैधानिक करार देने का अनुरोध किया है। याचिका में इस कानून को संविधान की धारा 14, 15 और 21 का उल्लंघन बताया गया है।
The petition filed in SC by Samastha Kerala Jamiathul Ulema, an organisation of the Sunni Muslim scholars and clerics in Kerala, seeks direction to strike down the Act and interim stay on it. https://t.co/Td6dBehQza
— ANI (@ANI) August 2, 2019
‘समस्त केरल जमीयतुल उलेमा’ वही संगठन है जिसने कुछ महीने पहले केरल में एमईएस द्वारा कैंपस में चेहरा ढकने वाले सभी पहनावों पर प्रतिबंध लगाने पर नाराजगी जताई थी। उसके अध्यक्ष सैयद मुहम्मद जिफरी थंगल ने कहा था कि यह धार्मिक मसला है और इस पर फैसला लेने का हक एमईएस को नहीं है।
गौरतलब है कि संसद से पारित महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को मंजूरी दी थी। यह कानून तत्काल तीन तलाक को गैर कानूनी बनाता है और इसके लिए पुरुषों को तीन साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
इस कानून का समुदाय की आम महिलाओं द्वारा स्वागत किया जा रहा है। लेकिन, मजहबी संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कैबिनेट में शामिल सिद्दिकुल्लाह चौधरी ने इस कानून को इस्लाम पर हमला बताया था। उन्होंने इसे कबूल नहीं करने की बात कही थी। चौधरी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पश्चिम बंगाल यूनिट के अध्यक्ष भी हैं।