सोशल मीडिया जायंट Twitter ने बंगाली हिन्दुओं के लिए आवाज़ उठाने वाले हैंडल ‘स्टोरीज ऑफ बंगाली हिंदूज’ नाम के हैंडल को सस्पेंड कर दिया है। इस हैंडल का संचालन करने वाले डॉक्टर संदीप दास ने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म की इस करतूत की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि वो ये बताते हुए हताश हैं कि बंगाली हिन्दुओं के लिए आवाज़ उठाने वाले उनके ट्विटर हैंडल को सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि 1 दिसंबर, 2021 को सुबह 7:17 बजे उन्हें ये जानकारी मिली।
The suspension of @storiesofBHs is unacceptable. Censorship & silencing of 🇧🇩 Hindu voices is real. Choking one of the only ways the rest of us have to learn about their real experiences is violent and reprehensible. Why is Hindus’ FoE conditional? @Twitter @paraga – Do better. https://t.co/KXOTDiLH3Q
— Dr. Indu Viswanathan (@indumathi37) December 1, 2021
Twitter ने अपने नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इस हैंडल को सस्पेंड किया है। बता दें कि ‘@storiesOfBHS’ नाम का ये ट्विटर हैंडल बंगाली हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और उनके हक़ की आवाज़ उठाता था। डॉक्टर संदीप दास ने कहा कि हमारी ट्विटर पर यात्रा फ़िलहाल के लिए अकस्मात रूप से रुक गई है। शिक्षिका डॉक्टर इंदु विश्वनाथन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये अस्वीकार्य है। उन्होंने हिन्दुओं की आवाज़ को सेंसर करने और चुप कराने की प्रक्रिया को वास्तविक बताया।
उन्होंने कहा, “क्या हिन्दुओं के अनुभवों को साझा करना हिंसा है? क्या हिन्दुओं की ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ शर्तों के साथ आती है?” साथ ही उन्होंने ट्विटर और इसके नए CEO पराग अग्रवाल को भी टैग किया। लोगों ने कहा कि ये हैंडल लगातार बंगाली हिन्दुओं की आवाज़ को उठा रहा था, इसीलिए ट्विटर ने ये हरकत की है। लोगों का कहना था कि संवेदनशीलता और ईमानदारी के साथ ये काम किया जा रहा था, वो कुछ लोगों को पसंद नहीं आया। लोगों ने कहा कि CEO भले नया आ गया, लेकिन तरीका अब भी ही फासिस्ट वाला है।
याद दिलाते चलें कि जहाँ एक तरफ बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को वहाँ की मीडिया छिपा रही थी, वहीं अब माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर से ‘इस्कॉन बांग्लादेश’ और ‘बांग्लादेश हिन्दू यूनिटी काउंसिल’ के हैंडल्स ही गायब हो गए थे। ये दोनों ही बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार व हिंसक हमलों की ख़बरों को दुनिया के सामने ला रहे थे और न्याय की माँग कर रहे थे। एक ओर मुस्लिम भीड़ हिंदू अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कर रही थी, वहीं दूसरी ओर ट्विटर उन्हें अपनी बात ऑनलाइन नहीं रखने दे रहा था।