असम पुलिस ने वीजा नियमों का उल्लंघन करने के मामले में दो अमेरिकी नागरिकों को सोनितपुर से गिरफ्तार किया है। ये टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे, लेकिन असम में एक ईसाई धर्मांतरण सभा में शामिल हो रहे थे। इनकी पहचान 64 साल के जॉन मैथ्यू बून और 77 साल के माइकल जेम्स फ्लंचम के रूप में हुई है।
सोनितपुर की ASP मधुरिमा दास ने बताया है कि इसके बारे में फॉरेनर रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) कोलकाता को सूचित कर दिया गया है। माना जा रहा है कि अमेरिकी नागरिकों को भारत छोड़ने का नोटिस दिया जाएगा। इन दोनों नागरिकों पर गिरफ्तारी के बाद 500 डॉलर (लगभग ₹41.5 हजार) का जुर्माना भी लगाया गया है। इसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
इन दोनों अमेरिका नागरिकों ने 31 जनवरी 2024 को असम में एक बाप्टिस्ट चर्च के उद्घाटन के मौके पर इसमें हिस्सा लिया था। असम ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, ये दोनों अमेरिकी नागरिक- जॉन मैथ्यू और माइकल जेम्स असम में कुछ दिन पहले ही घुसे थे। इससे पहले ये दोनों भारत के अन्य हिस्सों में घूम रहे थे।
ASP ने इस मामले में कहा, “एक बाप्टिस्ट चर्च असोसिएशन ने तेजपुर में एक चर्च का उद्घाटन समारोह आयोजित किया था। इसमें असम के अलग-अलग हिस्सों से आए हुए लोग भी इकट्ठा हुए थे। यहाँ दोनों अमेरिकी नागरिक भी आए। चर्च की इमारत अभी पूरी बनी नहीं है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि वे यहाँ धर्मांतरण के लिए आए थे। ये लोग टूरिस्ट वीजा पर आए हैं, इसलिए धार्मिक कामों में भाग नहीं ले सकते।”
दरअसल, टूरिस्ट वीजा के नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति, जो टूरिस्ट वीजा लेकर भारत में आता है तो वह धर्म के प्रचार प्रसार और धर्मांतरण में भाग नहीं ले सकता है। इससे पहले अक्टूबर 2022 में असम की सरकार ने सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिया था, टूरिस्ट वीजा पर आकर धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल होने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जाए।
इसके बाद असम पुलिस हरक़त में आई और 27 बांग्लादेशियों और स्वीडिश एवं जर्मन नागरिकों नागरिकों को हिरासत में लिया और फिर उन्हें उनके देश भेज दिया। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने असम के मूलनिवासियों की संस्कृति को बचाने को लेकर बात की थी। उन्होंने कहा था, “दुर्भाग्यवश, भारत में मूलनिवासी समुदाय अक्सर धर्मांतरण का निशाना बनते हैं। इससे इनकी जनसंख्या में कमी आ सकती है।”