झारखंड के जमशेदपुर में रहने वाले दो युवकों मोहम्मद आरज़ू और मोहम्मद औरंगजेब ने 26 अगस्त को एक आपराधिक मामले में पूछताछ के दौरान पूर्वी सिंहभूम पुलिस पर उन्हें जबरन समलैंगिक यौन संबंध बनाने और इस्लाम मजहब का अपमान करने का आरोप लगाया। ‘मुस्लिम मिरर‘ वेबसाइट में यह खबर प्रकाशित हुई है।
विभिन्न ट्विटर हैंडल से इस खबर को रीट्वीट किया जा रहा है, जिससे यह वायरल हो गई है।
वहीं, कुछ यूजर्स ने दावा किया है कि भारत में मुसलमानों को कानून का सहारा नहीं है।
जमशेदपुर का दूसरा नाम टाटानगर भी है। यह झारखंड के दक्षिणी हिस्से में स्थित पूर्वी सिंहभूम जिले का हिस्सा है। पूर्वी सिंहभूम पुलिस ने मुस्लिम युवकों द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार और गुमराह करने वाला बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है।
पुलिस सूत्रों ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा कि कदमा थाने में एक लड़के द्वारा लड़की के अपहरण के मामले में दो नहीं बल्कि तीन युवकों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, जो उनका दोस्त बताया जा रहा है। लेकिन शुरुआती पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया और उनके माता-पिता को सौंप दिया गया था। हैरानी की बात यह है कि सिर्फ दो युवकों ने लिखित आरोप लगाकर सात पुलिसकर्मियों और कदमा थाने के प्रभारी मनोज कुमार ठाकुर के खिलाफ यौन उत्पीड़न और धार्मिक भेदभाव के आरोप में एफआईआर दर्ज कराने की माँग की है।
दोनों युवकों ने आरोप लगाया कि उन्हें पीटा गया और अफगानिस्तान भेजने की धमकी दी गई। उन्होंने बताया कि उन्हें समलैंगिक यौन संबंध बनाने के लिए न्यूड होने के लिए कहा गया और उनके इस्लाम मजहब का अपमान किया गया। उन्होंने दावा किया कि पुलिसकर्मियों ने पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी।
प्रभारी अधिकारी ने कोई भी स्पष्टीकरण देने से इनकार कर दिया। ठाकुर ने कहा, “उन्होंने मेरे खिलाफ आरोप लगाए हैं, मुझे टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। कदमा थाना जमशेदपुर के बीचों-बीच स्थित है और इस तरह की चीजों का पता नहीं चल पाता है। यह सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने का एक प्रयास है।”
शिकायत पर पूर्वी सिंहभूम के एसएसपी डॉ. एम तमिल वनन ने जाँच के आदेश दिए हैं। संपर्क करने पर पूर्वी सिंहभूम के एसपी सुभाष चंद्र जाट ने आरोप को निराधार, भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण बताया। एसपी ने कहा, ”जाँच में कुछ भी सामने नहीं आया है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है।”
वामपंथी मीडिया और झारखंड के कोल्हान संभाग
यह वही कोल्हान डिवीजन (Kolhan division) है, जिसे वामपंथी मीडिया ने जब राज्य में भाजपा का शासन था, तब ‘खतरे में अल्पसंख्यक’ की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रयोगशाला के रूप में इस्तेमाल किया था। दो साल पहले 2019 में सरायकेला-खरसावां जिले में बाइक चोरी के आरोप में तबरेज अंसारी की भीड़ ने पिटाई कर दी थी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। इस खबर को वामपंथी मीडिया ने तोड़मरोड़ कर पेश किया था।
उस दौरान NDTV तबरेज अंसारी की मौत पर चीख-चीखकर उसका मजहब बताते नहीं थक रहा था। एनडीटीवी समेत तमाम सेकुलर मीडिया ने इसे संप्रदाय विशेष की मॉब लिंचिंग के तौर पर पेश किया था। बाद में पुलिस ने डॉक्टरों की रिपोर्ट (पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट) का हवाला देते हुए कहा था कि तबरेज की मौत तनाव और कार्डियक अरेस्ट (हृदयाघात) की वजह से हुई थी। झारखंड पुलिस के इस फैसले के बाद सभी 11 आरोपितों के ऊपर से हत्या संबंधी IPC की धारा (धारा 302) हटा ली गई थी।