सरकार ने उधमपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदल दिया है। अब यह जंक्शन शहीद कैप्टन तुषार महाजन के नाम से जाना जाएगा। शनिवार (16 सितंबर, 2023) को केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह की मौजूदगी में स्टेशन के इंट्री गेट का बोर्ड भी बदल दिया गया है। बोर्ड पर बलिदानी का नाम हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषाओं में लिखा गया है। कैप्टन तुषार साल 2016 में कश्मीर के पम्पोर इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए थे।
बता दें कि शासन स्तर पर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मंजूरी इसी माह 6 सितंबर को ही मिल चुकी थी। इस कार्यक्रम के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। शनिवार को केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के साथ रेलवे बोर्ड और विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी इस मौके पर मौजूद थे। बोर्ड के साथ स्टेशन के अंदर भी हिंदी, इंग्लिश और उर्दू भाषा में शिलापट बनाए गए हैं। इन शिलापट में कैप्टन तुषार महाजने की वीरता के बारे में बताया गया है। इस मौके पर बोलते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने इस बदलाव को युवाओं में देश के लिए समर्पण को बढ़ाने वाला बताया।
#WATCH | Jammu and Kashmir: Udhampur railway station renamed as 'Martyr Captain Tushar Mahajan Railway Station' (16.09)
— ANI (@ANI) September 17, 2023
Captain Tushar Mahajan made the supreme sacrifice while fighting terrorists in J&K's Pampore, in 2016. pic.twitter.com/TVyIdSXVwy
डॉ जितेंद्र ने आगे बताया कि साल 2017 में उन्होंने ही उधमपुर स्टेशन का नाम बदल कर बलिदानी कैप्टन की स्मृति में रखने की माँग उठाई गई थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके ही व्यक्तिगत हस्तक्षेप से स्टेशन का नाम बदल पाया। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक उन्होंने इस कदम से कैप्टन तुषार को अमर करने का प्रयास किया है।
VIDEO: "युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा शहीद कैप्टन तुषार महाजन रेलवे स्टेशन"
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) September 16, 2023
Courtesy: Jammu Links NEWS pic.twitter.com/zMVSMVDmAv
2016 में हुए थे बलिदान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैप्टन तुषार महाजने के पिता एक सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल थे। तुषार बचपन से ही देश सेवा के प्रति समर्पित थे। वहीं उनके बचपन के दोस्त निशांत का कहना है कि स्कूल में एक बार उन्होंने आंतकियों पर तब निबंध लिखा था जब क्लास के अन्य छात्र ये सब जानते ही नहीं थे। इस निबंध में तुषार ने आतंकियों से लड़ने का संकल्प लिया था। पढ़ने में तेज तुषार 16 साल की उम्र में ही NDA (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) की परीक्षा पास कर के सेना में भर्ती हो गए थे।
साल 2016 के फरवरी महीने में तुषार 9 पैरा मिलिट्री के साथ कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान चला रहे थे। इस दौरान पुलवामा के पम्पोर इलाके में आतंकियों से उनकी टुकड़ी की मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ में तुषार ने एक आंतकी को मार गिराया। साथी जवानों की मदद के दौरान तुषार को 4 गोलियाँ लगीं। हालाँकि, उन्हें अस्पताल पहुँचाया गया था लेकिन अधिक खून बह जाने के चलते इलाज के दौरान तुषार वीरगति को प्राप्त हो गए।