Sunday, September 8, 2024
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जिस प्रदर्शन में लगे ‘भारत की बर्बादी’ के नारे उसे गर्लफ्रेंड ने बताया ‘कविता पाठ’, सुनते रहे समदीश भाटिया: बॉयफ्रेंड की करतूत को कोर्ट बता चुका है ‘आतंकवाद’

जिस देश में आप रहते हैं और जिस देश के वासियों के टैक्स के पैसे से पढ़ते हैं, उसी देश को बर्बाद करने की साजिश सेडिशन नहीं तो और क्या है?

दिल्ली दंगा के मामले में JNU का छात्र नेता रहा उमर खालिद फ़िलहाल जेल में है। वहीं उसकी गर्लफ्रेंड बनोज्योत्स्ना लाहिरी ने समदीश भाटिया को लगभग एक घंटे का इंटरव्यू दिया है। उन्होंने कहा कि 2016 में उनका Ph.D पूरा हुआ था। उन्होंने कहा कि उस दौरान मौत की सज़ा के खिलाफ एक प्रदर्शन किया गया, जिसमें ‘कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन’ की बात की गई। बकौल बनोज्योत्स्ना लाहिरी, ये JNU बस एक सामान्य दिन था, जहाँ हर छात्र किसी न किसी रूप में राजनीति करता है।

उन्होंने इस इंटरव्यू में आगे कहा कि अचानक से ‘Zee News’ का कैमरा उन्हें दिखा, फिर उनलोगों ने सोचा कि आज ये मीडिया वाले क्यों आ गए हैं क्योंकि JNU में तो रोज ऐसे-ऐसे कार्यक्रम होते हैं। बनोज्योत्स्ना लाहिरी ने कहा कि माइक घुसा-घुसा कर देश विरोधी नारे लगने की बात की गई, कल को पूरी मीडिया और पूरी दुनिया इसकी बात करने लगी। उन्होंने कहा कि तब देश के गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह ने कड़ी कार्रवाई की बात की, फिर राजद्रोह की FIR दर्ज की गई।

बनोज्योत्स्ना लाहिरी का कहना है कि ये सब सुन कर उनलोगों को कॉमेडी लग रही थी, क्योंकि सेडिशन का चार्ज तब लगता है जब कोई भड़काऊ बयान दे और हिंसा हो लेकिन कोई हिंसा तो हुई ही नहीं थी। क्या बनोज्योत्स्ना लाहिरी ये कहना चाहती हैं कि पुलिस-प्रशासन को हिंसा होने तक इंतज़ार करना चाहिए? अगर कोई भारत विरोधी बयान दे तो हिंसा होने का इंतज़ार करना चाहिए, वरना वो व्यक्ति निर्दोष माना जाएगा और उस पर कोई कार्रवाई न हो?

असल में 2016 में 9 फरवरी को इनलोगों ने जो प्रदर्शन किया था, उसके बैनर की शुरुआत ही ब्राह्मणों को गाली देकर की गई थी। उसमें स्पष्ट लिखा था कि ये विरोध प्रदर्शन ‘अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की न्यायिक हत्या’ के विरोध में है। ये प्रदर्शन सरकार नहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ था। अफजल गुरु कौन था? 2002 में संसद भवन पर आतंकी हमले का मास्टरमाइंड। मकबूल भट्ट कौन था? पाकिस्तान की शह पर जम्मू कश्मीर में कई आतंकी हमलों को अंजाम देने वाला। लेकिन, बनोज्योत्स्ना लाहिरी कहती हैं कि वो तो ‘कविता पाठ’ था।

JNU में ‘कल्चरल इवनिंग’ के नाम पर इन दोनों के समर्थन में प्रदर्शन हुआ था, जिसे बनोज्योत्स्ना लाहिरी आज ‘सामान्य सा प्रदर्शन’ बता रही हैं। इस कार्यक्रम में ‘कश्मीर की आज़ादी तक जंग रहेगी’ के नारे लगे और उमर खाली की गर्लफ्रेंड के लिए ये ‘जस्ट अनदर डे’ था। क्या कश्मीर गुलाम है? जम्मू कश्मीर भारत का अखंड हिस्सा है और इसके एक भाग पर पाकिस्तान का जबरन कब्ज़ा है और वहाँ पाकिस्तान के खिलाफ जम कर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

क्या भारत ने कश्मीर को गुलाम बना रखा है? अगर नहीं, तो ये आज़ादी के नारे क्यों? ‘तुम कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा’ और ‘भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी’ के नारे भी लगे थे। जिस देश में आप रहते हैं और जिस देश के वासियों के टैक्स के पैसे से पढ़ते हैं, उसी देश को बर्बाद करने की साजिश सेडिशन नहीं तो और क्या है? बनोज्योत्स्ना लाहिरी के लिए इस पर कार्रवाई ‘कॉमेडी’ है। हर घर से आतंकी निकलने की बात करना क्या है? इसकी अनुमति क्यों दी जाए?

बड़ी बात ये है कि समदीश भाटिया ने इस दौरान बनोज्योत्स्ना लाहिरी को रोकने की कोई कोशिश नहीं की। समदीश भाटिया ने दक्षिणपंथियों को रिझाने के लिए एकाध वीडियो बनाए और फिर अब वो उमर खालिद के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। इसी तरह एक वीडियो में उन्होंने कहा था, “मैं भाजपा थोड़े हूँ जो चोरी करूँगा।” क्या भाजपा कार्यकर्ता होना चोर होना है? ऐसे यूट्यूबरों को कमाई के अलावा कुछ नहीं सुझता। उन्हें इसके लिए देश विरोधी एजेंडा भी चलाना हो तो वो चलाएँगे।

उमर खालिद पर आरोप है कि उसने दिल्ली दंगों की साजिश रचने में भूमिका निभाई। CAA विरोध के नाम पर हुए विरोध प्रदर्शन को हिंसा में परिवर्तित करने में इसका हाथ था। दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस रजनीश भटनागर ने उसकी जमानत अर्जी ख़ारिज करते हुए लिखा था कि उमर खालिद ने जो किया वो ‘आतंकवाद’ है। उस पर UAPA के तहत कार्रवाई की जा रही है। उसके भाषणों पर जजों ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि इससे बड़ी ‘खूनी क्रांति’ आ सकती थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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