राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गत फरवरी में हुई हिंसा की साजिश के आरोप में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद और शरजील इमाम के ख़िलाफ UAPA के तहत 200 पन्नों की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है।
चार्जशीट के मुताबिक इन दंगों में खालिद का हाथ था। उसने दूर से इन दंगों को कंट्रोल किया था, जिसके कारण 53 लोगों की जान चली गई। उसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान इन दंगों को भड़काया, ताकि इस पूरे मामले को अंतरराष्ट्रीय कवरेज मिले और सीएए को लेकर सरकार पर दबाव बने।
विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत में दायर की गई इस चार्जशीट में दंगों के दौरान खालिद और शरजील की भूमिका पर विस्तार से बताया गया है। इनके अलावा एक फैजान खान को भी आरोपित बनाया गया है। चार्जशीट में फैजान खान पर हिंसा में शामिल लोगों को फर्जी सिम कार्ड दिलवाने का आरोप है।
यह चार्जशीट आईपीसी की धारा 13/16/17/18 UAPA act, 120B, 109, 114,201, 124A, 147,148,149, 153A, 186, 420 समेत कई गंभीर धाराओं में दाखिल की गई है। अनुमान लगाया जा रहा है पुलिस जल्द से जल्द शेष आरोपितों के ख़िलाफ़ भी चार्जशीट दायर कर देगी।
दिल्ली पुलिस की ओर से करकड़डूमा कोर्ट में तकरीबन 930 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई है। 930 पेज की चार्जशीट में 197 पेज चार्जशीट है, तो 733 पेज में दस्तावेज हैं। इसमें कहा गया कि खालिद ने सीएए के संसद में पास होते ही अपनी जैसी मानसिकता वाले लोगों को बढ़ावा दिया।
उसने जेएनयू के मुस्लिम स्टूडेंट ऑफ जेएनयू समूह को इमाम के जरिए मेंटॉर किया और फिर इसी समूह का इस्तेमाल दक्षिणी दिल्ली में हिंसा भडकाने के लिए किया। आगे उसी ने केंद्र सरकार से नफरत करने वाले विरोधियों को एक साथ जोड़ा, जिसकी वजह से दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप व्हॉट्सएप पर तैयार हुआ।
गौरतलब है कि इस पूरे मामले में अब तक 21 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पहली और मुख्य चार्जशीट सितंबर में दाखिल हुई थी। इसमें 15 लोगों को अलग-अलग आरोपों के लिए आरोपित बनाया गया था। इसमें दंगे करवाने के लिए रची गई साजिश की विस्तार से जानकारी थी।
बीते 28 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने इसी मामले में खालिद और इमाम के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। अब खालिद को लेकर पुलिस का दावा है कि उसका उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक सीक्रेट ऑफिस था, जहाँ उसने साजिशकर्ताओं और दंगाइयों के साथ देर रात में बैठके की और बाद में इसी जगह बड़े पैमाने पर हिंसा हुई व कॉन्सटेबल रतन लाल को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
उसकी थ्योरी पर चर्चा करते हुए रिपोर्ट में बताया गया है, “उसका मानना था कि ट्रंप के साथ आ रहा अंतरराष्ट्रीय मीडिया दंगों को कवर करेगा, जिससे केंद्र सरकार की दुनिया भर में भारी फजीहत होगी। जाफराबाद और चांद बाद को दंगों का हॉटस्पॉट बनाने की साजिशकर्ताओं में उसकी शीर्ष भूमिका थी।”
यहाँ बता दें कि खालिद को क्राइम ब्रांच ने एक अन्य मामले में खजूरी खास से फरवरी में गिरफ्तार किया था। वह अपने भड़काऊ भाषण के बाद सबकी नजरों में आया था। उसके ख़िलाफ़ आर्म्स एक्ट के तहत फरवरी में भी मामला दर्ज हुआ था और 13 सितंबर से उसे तिहाड़ में रखा गया है।