उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर और कैराना में मकतबों (छोटे मदरसे) की जाँच की। ATS मकतबों की कुल संपत्ति और उनकी फंडिंग समेत कुल आठ बिंदुओं पर पूछताछ कर रही है। बता दें कि UP ATS ने प्रदेश के 473 मकतबों की जाँच शुरू की है। इनमें से कई बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं।
कुछ दिन पहले ही मुख्यालय ने सहारनपुर मंडल के 473 मकतबों की जाँच के आदेश दिए थे। इसके साथ ही अब शामली और मुजफ्फरनगर के मकतब भी जाँच के दायरे में हैं। इसकी जिम्मेदारी एटीएस देवबंद को दी गई है। जो मकतब जाँच के घेरे में हैं उनमें शामली के 190, मुजफ्फरनगर के 165 और सहारनपुर के 118 मकतब शामिल हैं। जाँच के लिए जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों से रिकॉर्ड माँगे गए हैं।
ATS देवबंद की टीम बुधवार (30 अक्टूबर 2024) को सहारनपुर शहर के कई मकतबों पर पहुँचकर की थी। वहीं, ATS यूनिट की एक टीम शामली के कैराना भी गई और वहाँ के मकतबों में पूछताछ की।पानीपत मार्ग पर स्थित मदरसा फलाहुल मुबीन और मदरसा फैज मसीहुल उम्मत में जाकर उसके संचालकों से जानकारी हासिल की।
टीम ने मदरसा संचालकों से इन मदरसों में पंजीकृत छात्र एवं छात्राओं की संख्या, इंफ्रास्ट्रक्चर, उनकी आय के स्रोत आदि के बारे में जानकारी हासिल की और जरूरी रिकॉर्ड खंगाले। इसके अलावा, ATS की टीम ने कस्बे के अलग-अलग मोहल्लों में स्थित करीब आधा दर्जन मकतब (छोटे मदरसों) की लगभग 6 घंटे तक गहन जाँच-पड़ताल की। इससे वहाँ हड़कंप मच गया।
शुरुआती जाँच में कई मकतबों में खामियाँ पाई गई हैं, साथ ही उनके वित्तीय लेन-देन में भी संदेहजनक गतिविधियाँ देखी गई हैं। ATS ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में मदरसों का व्यापक सर्वेक्षण कराया था, जिसके तहत कई गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद कर दिया गया था।
सहारनपुर मंडल के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में आने वाले गोंडा जिले में भी कई मकतब चलते पाए गए हैं। यहाँ के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने अपने जिले में चल रहे 20 मकतबों को बंद करने की सिफारिश शासन को भेजी है। यहाँ कुल 286 मकतब चलते पाए गए हैं जिसमें 19 गैर-मान्यता प्राप्त हैं। ATS मुख्यालय से प्रदेश के हर जिले में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों से मकतबों की जाँच में सहयोग करने के लिए कहा गया है।
बता दें कि 18 सितंबर 2022 को शासन के निर्देश पर शामली में स्थानीय प्रशासन ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का भौतिक सत्यापन कराया था। टीम में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और एसडीएम कैराना शामिल थे। इस दौरान मदरसों में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या, इंफ्रास्ट्रक्चर, आय के साधनों समेत कुल 11 बिंदुओं पर सर्वे किया गया था, जिसकी रिपोर्ट लखनऊ भेजी गई थी।
क्या होता है मकतब
ऑपइंडिया ने मकतब के बारे में गाजियाबाद के मौलवी अब्दुल सलाम से जानकारी ली। उनके अनुसार, मकतब एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है ‘पढ़ाई-लिखाई का स्थान’। उन्होंने बताया कि मकतब और मदरसे में अंतर है। मदरसे में पढ़ाई के बाद एक औपचारिक डिग्री प्राप्त होती है, जबकि मकतब में ऐसी कोई डिग्री नहीं दी जाती।
अब्दुल सलाम ने मकतब को एक तरह का ‘कोचिंग सेंटर’ बताया, जहाँ आस-पास के मुस्लिम बच्चों को दीनी तालीम दी जाती है। उन्होंने कहा कि देश की लगभग 95% मस्जिदों में मकतब चलते हैं। अब्दुल सलाम ने आगे बताया कि मकतब खासतौर से मुस्लिम बच्चों के लिए होते हैं, जहाँ कुरान और हदीस की तालीम दी जाती है।
मकतब संचालित करने वाले मौलवी, मौलाना या हाफिज आमतौर पर कोई शुल्क नहीं लेते, लेकिन कहीं-कहीं मेहनताना के लिए धन इकट्ठा किया जाता है। मौलवी के अनुसार, मकतब में पढ़ने वालों की उम्र सीमा नहीं होती, लेकिन सामान्यतः नाबालिग बच्चे ही इनमें पढ़ते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कई मकतब इस्लामी जानकारों के घरों में भी संचालित होते हैं।