यूपी के लखीमपुर खीरी में 2 दलित युवतियों के बलात्कार और हत्या के मामले में पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसके साथ-साथ पुलिस उन पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA)’ लगाने का विचार भी कर रही है। वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दोषियों के साथ सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक (SP) संजीव सुमन ने शुक्रवार (16 सितंबर, 2022) को बताया कि पुलिस इन सभी 6 आरोपितों पर रासुका लगाने पर विचार कर रही हैं। बता दें ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम’ बिना किसी आरोप के भी किसी व्यक्ति को एक वर्ष तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है, अगर पुलिस को ऐसा लगता हो कि उक्त व्यक्ति कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है। पुलिस के मुताबिक, 6 आरोपितों और दोनों लड़कियों के डीएनए सैम्पल जाँच के लिए भेजे जा चुके हैं।
इस दौरान एसपी सुमन ने यह भी बताया कि इस घटना के मुख्य आरोपित जुनैद और सोहेल ने दोनों बहनों से पहले बलात्कार करने और उसके बाद उनकी गला घोंटना हत्या कर देने की बात भी कबूली है। दोनों आरोपित मजदूरी करके गुजारा करते हैं। सुमन का कहना है कि गिरफ्तार किए गए आरोपितों में से कोई भी नाबालिग नहीं हैं। इनमें से एक आरोपित के परिजनों ने उसके नाबालिग होने का दावा किया था।
सीएम योगी ने पीड़ित परिवार को दिया सहयोग
बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से इस घटना को लेकर एक ट्वीट किया गया। इसमें कहा गया, “उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हत्या के इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रभावी पैरवी कर एक माह के भीतर दोषियों को उनके कृत्य की सजा दिलाई जाएगी।” वहीं योगी आदित्यनाथ ने यह निर्देश भी दिया था कि मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता, एक पक्का घर और कृषि भूमि दी जाए।
गौरतलब है कि पीड़ित परिवार ने घटना के बाद दोनों बहनों का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था। पीड़ित परिवार प्रशासन द्वारा लिखित में 5 वादे करने के बाद अंतिम संस्कार के लिए राजी हुआ। प्रशासन ने पीड़ित परिवार को पहले वादे में कहा कि SC-ST एक्ट के तहत दोनों मृतक लड़कियों के परिजनों को 8-8 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।
दूसरे वादे में ‘रानी लक्ष्मीबाई योजना’ के तहत मान्य राशि अभियोग के विवेचना की समाप्ति के तुरंत बाद दे दिया जाएगा। तीसरे वादे में ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत पीड़ित परिवार को घर दिया जाएगा। चौथे वादे में नौकरी एवं अन्य आर्थिक सहायता के लिए शासन को जल्दी ही आवेदन भेजने की बात कही गई है। वहीं 5वें वादे में आरोपितों को फाँसी की सजा दिलाने के लिए मामले की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनिश्चित कराने का आश्वासन दिया गया है।