डीजे, डांस, दहेज, आतिशबाजी… उत्तर प्रदेश के उलेमाओं के एक संगठन ने इन सबको ‘गैर इस्लामी’ करार दिया है। साथ ही कहा है कि वे ऐसा निकाह नहीं करवाएँगे जिनमें ये सब होगा। यह फैसला उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले की स्वर तहसील के खेमपुर गाँव में ‘रज-ए-मोहम्मद मुस्तफा’ नामक इस्लामी संगठन ने शुक्रवार (4 जून 2021) को किया।
उलेमाओं के इस संगठन ने लड़कियों को शरीयत के मुताबिक जीवन जीने को कहा है। उनसे मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करने को भी कहा है। खेमपुर गाँव में हुई बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव पारित किया गया। फैसले की घोषणा शुक्रवार की नमाज के बाद की गई, जहाँ कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत पाँच लोग ही उपस्थित थे।
दहेज और डीजे डांस पार्टियों को ‘गैर-इस्लामी’ करार देते हुए मौलवियों की समिति ने कहा कि निकाह में जो भी इस फतवे को नहीं मानेगा उनके परिवार में किसी की अमृत होने पर भी मौलवी वहाँ दसवें, तीजे, बीसवें, चालीसवें और कफन-दफन तक में शामिल नहीं होंगे।
संगठन द्वारा लिए गए फैसले की निगरानी करने के लिए गाँव में एक कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी गाँव में होने वाले निकाह पर नजर रखेगी और उसकी रिपोर्ट उलेमाओं को देगी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कमेटी के चेयरमैन नियाज अहमद ने कहा कि दहेज की लगातार बढ़ती माँग के कारण लड़कियों को दुल्हा नहीं मिल रहा था। वहीं खेमपुर गाँववकील मुहम्मद तारिक ने कहा, “गाँव के मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।”
इससे पहले उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में इसी साल अप्रैल 2021 में ‘मरकज सुन्नी जमीयत उलेमा ए हिंद’ ने शादी समारोहों में दहेज और संगीत समारोह को गैर इस्लामी बताते हुए निकाह का बायकॉट करने का एलान किया था।
कमेटी के चेयरमैन मौलाना नजाम अली खान ने कहा था कि दहेज प्रथा के कारण समाज में लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही थी। मुस्लिम बॉडी के संरक्षक मुफ्ती अब्दुल खालिक ने कहा था, “मिर्जापुर में दहेज लेने और खड़े होकर खाना खाने वालों के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया है।” मुस्लिम संगठन ने शादियों में म्यूजिक के इस्तेमाल को बेफिजूल खर्ची और आर्थिक बर्बादी बताया था।