उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जेल में बंद कैदियों को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है। अब जेल में बंद सजा पा रहे दुर्दांत अपराधियों को पैरोल नहीं दी जाएगी। उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने बिकरू कांड की जाँच के लिए गठित एसआईटी की सिफारिश को स्वीकार करते हुए यह आदेश जारी किया है।
राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों को यह आदेश जारी करते हुए कहा कि अब यूपी के जेलों में बंद कैदियों को पैरोल देने की प्रक्रिया खत्म की जा रही है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी द्वारा जारी आदेश के अनुसार सभी डीएम, पुलिस कमिश्नर, एसएसी व एसपी को गृह मंत्रालय की पुनरीक्षित गाइडलाइन के अनुसार बंदियों के पैरोल (दंड का अस्थायी निलंबन) के प्रकरणों का परीक्षण करने के उपरांत ही संस्तुति शासन को भेजने का निर्देश भी दिया गया है।
गौरतलब है कि एसआईटी ने अपनी सिफारिश में कहा था कि गंभीर अपराधों में सजा पाए हुए कैदी सामाजिक जीवन में रहने लायक नहीं हैं, ऐसे में उन्हें पैरोल देने से पहले विचार किया जाना चाहिए। सिफारिश में रेप, हत्या और अन्य गंभीर मामलों में सजा काट रहे कैदियों को पैरोल नहीं देने की बात कही थी।
माना जा रहा है कि यह फैसला कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के कारनामों को मद्देनजर रखते हुए लिया गया है। बता दें कि इसी साल कानपुर के बिकरू गाँव में पैरोल पर बाहर दुर्दांत अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों ने आठ पुलिसवालों की निर्मम हत्या कर दी थी। हालाँकि बाद में पुलिस एनकाउंटर में वह मारा गया था। विकास दुबे पर करीब 60 से अधिक मामले दर्ज थे।
एसआईटी के मुताबिक, पैरोल न मिलने से कैदियों की आपराधिक गतिविधियों पर रोक लग सकेगी तथा जनसामान्य में उनका भय भी तभी समाप्त हो पाएगा। एसआईटी ने यह भी कहा है कि आपराधिक व्यक्तियों के आपराधिक कृत्यों की निगरानी के साथ ही साथ उनके अवैध आर्थिक स्रोतों पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि अवैध धन से अपराधियों की नई नर्सरी न पैदा हो सके।