Friday, November 15, 2024
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10-10 रुपए के स्टैम्प से करोड़ों की जमीन पर कब्जा, फौजी कॉलोनी को बना दिया रहमतनगर: हल्द्वानी की ही तरह रामनगर में भी बदल गई डेमोग्राफी

पूंछड़ी इलाके में डेमोग्राफी इतना बदल चुकी है कि वहाँ ग्राम प्रधान मुस्लिम महिला ही है। अतिक्रमण की चपेट में आए इस इलाके में कुल मतदाताओं की तादाद 3500 के पार हो चुकी है। फौजी कॉलोनी में अपनी बहुलता वाले हिस्से को रहमतनगर का नाम भी दे दिया गया है।

उत्तराखंड में डेमोग्राफी बदलाव की तमाम साजिशों के बीच हल्द्वानी के बाद अब पर्यटन नगरी रामनगर में भी सरकारी जमीनों को कब्ज़ाने का मामला सामने आया है। खुद वन विभाग ने 1000 से अधिक ऐसे परिवारों की सूची बनाई है, जो उनकी जबीन कब्जाए बैठे हैं। इन सभी ने न सिर्फ तमाम कागजात बनवा डाले हैं बल्कि इलाके को इस्लामी नामों से बुलाने लगे हैं। कब्ज़े की शुरुआत पॉलीथिन और लड़की के अस्थाई घरों को बना कर हो रही है। हालाँकि मामला संज्ञान में आते ही प्रशासन ने सक्रियता दिखाई है और कुछ हिस्सों से अवैध अतिक्रमण हटवाने शुरू किए हैं।

10 रुपए का स्टैम्प, करोड़ों की जमीन कब्ज़ा

दैनिक जागरण ने अपनी एक रिपोर्ट में रामनगर के पूंछड़ी इलाके का जिक्र किया है। यहाँ बाहर से आकर बसे मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा वन विभाग की जमीनों पर कब्ज़े की शिकायतें मिली हैं। खुद वन विभाग ने लगभग 1002 ऐसे परिवारों को चिन्हित किया है, जिन्होंने उनकी जमीन पर कब्ज़ा जमा लिया है। इन परिवारों ने 10 रुपए के स्टैम्प पेपर पर करोड़ों की जमीनें हड़प ली हैं।

कब्जाई जमीनों पर उन्होंने बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएँ भी हासिल कर ली हैं। राजस्व क्षेत्र में बनी फौजी कॉलोनी में अपनी बहुलता वाले हिस्से को रहमतनगर का नाम भी दे दिया गया है। दावा है कि 800 बीघा पक्की जमीन पर कब्ज़े के बाद अब अतिक्रमण उसके आसपास के इलाकों में भी शुरू हो चुका है।

लेकर आए थे बुग्गी (बैल/भैंसगाड़ी), अब चला रहे डम्पर

दावा किया गया है रामनगर में इस क्षेत्र की जमीन पर कब्ज़े की शुरुआत साल 2004-05 में हुई थी। तब उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और रामपुर आदि जिलों से आए ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने यहाँ जमीनें कब्जाईं। बाद में इसे 10-10 रुपए के स्टैम्प पेपर पर एक-दूसरे को बेचते चले गए।

यहाँ लकड़ियों और तिरपाल के मकानों की कतार देखी जा सकती है। कब्ज़े की चपेट में नई बस्ती नाम का एक इलाका भी है। शुरुआत में यहाँ मुस्लिम समुदाय के एकाध परिवार बुग्गी लेकर कामकाज के नाम पर आए थे, जिनकी आज ट्रकें और डम्पर चल रहे हैं।

अब रामनगर के पूंछड़ी इलाके में डेमोग्राफी इतना बदल चुकी है कि वहाँ ग्राम प्रधान मुस्लिम महिला ही है। अवैध कब्ज़ों को छुड़वाने के लिए वन विभाग हाईकोर्ट तक गया। कोर्ट के निर्णय के बाद साल 2017 में 36 अवैध पक्के निर्माणों को ध्वस्त भी किया गया था लेकिन थोड़े समय बाद हालात पहले से भी बदतर बन गए।

हालात यह है कि अतिक्रमण की चपेट में आए इस इलाके में कुल मतदाताओं की तादाद 3500 के पार हो चुकी है। पूंछड़ी के पूर्व ग्राम प्रधान ने भी दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान 2005 के बाद हुए डेमोग्राफी बदलाव का खुद को साक्षी बताया।

उठी कार्रवाई की माँग तो सक्रिय हुआ प्रशासन

रामनगर में लगातार होते जा रहे इस कब्ज़े के खिलाफ भाजपा विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने आवाज बुलंद की है। उन्होंने दैनिक जागरण से बात करते हुए कब्ज़े के लिए वन विभाग को भी दोषी बताया है।

दीवान सिंह ने बाहर से आकर अवैध तौर पर बसे लोगों की सख्ती से जाँच करवाए जाने की माँग उठाई है। फौजी कॉलोनी के एक हिस्से को रहमतनगर नाम दिए जाने पर भी उन्होंने हैरानी जताते हुए इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई का भरोसा दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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