उत्तराखंड हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी व्यक्ति का अपनी पत्नी के साथ गुदा मैथुन करना अपराध नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करके पति को राहत दे दी और कई महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ भी की।
हाई कोर्ट ने इस मामले को सुनते हुए कहा, “कथित कृत्य भी IPC की धारा 375 के अंतर्गत आता है और इसके अपवाद 2 के अनुसार, पति को गुदा मैथुन के लिए IPC की धारा 375 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इन परिस्थतियों में पति के विरुद्ध धारा 377 के तहत भी मामला नहीं बनता।”
कोर्ट ने कहा कि एक दंपत्ती के बीच निजी तौर पर सहमति से बनाए गए सम्बन्धों पर धारा 377 की कार्रवाई नहीं की जा सकती। कोर्ट एक व्यक्ति द्वारा दायर अपील की सुनवाई कर रहा था। यह अपील उसने अपनी पत्नी द्वारा दर्ज करवाए गए मुकदमे के विरुद्ध लगाई थी।
महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि वह उसके साथ जबरदस्ती अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता है। वह इसके लिए दबाव डालता है। महिला ने आरोप लगाया था कि उसका पति लगातार उसके साथ गुदा मैथुन करता है। महिला ने आरोप लगाया कि गुदा मैथुन के कारण उसको गंभीर घाव हुए जिसका उसने अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करवाया।
इसी आधार पर महिला ने अपने पति को अप्राकृतिक यौन संबंध का आरोपित बनाने को लेकर मामला दर्ज करवाया था। महिला के पति की तरफ से वकील ने कोर्ट में कहा कि दोनों विवाहित हैं और प्रत्येक मौके पर सेक्स से पहले सहमति की बात यहाँ शून्य हो जाती है।
महिला के पति की तरफ से भी यह भी दलील दी गई कि दंपती के संबंध को बलात्कार नहीं ठहराया जा सकता तो फिर ऐसे में यह मामला नहीं बनता। हालाँकि, महिला के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि कोई भी महिला इस बात की अनुमति नहीं दे सकती है। कोर्ट ने इसी के साथ आरोपित पुरुष को इस मामले में रहत देते हुए धारा 377 के आरोपों के समन खारिज कर दिए। उसके खिलाफ कई और धाराओं में भी मामला दर्ज करवाया गया है, वह चलते रहेंगे।