हिमाचल प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड के उत्तरकाशी में अवैध मस्जिद को हटाने को लेकर हिंदू संगठन सड़कों पर उतर आए हैं। स्थानीय हिंदू और धार्मिक संगठनों से जुड़े लोगों ने गुरुवार (24 अक्टूबर 2024) को जनाक्रोश रैली निकाली। इस दौरान पथराव के बाद तनाव फैल गया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज कर दिया, जिसमें 27 लोग घायल हो गए हैं।
पुलिस के लाठी चार्ज के विरोध में हिंदू संगठनों ने आज शुक्रवार (25 अक्टूबर) को यमुना घाटी बंद का आह्वान किया है। यह बंद यमुना घाटी जिला उद्योग व्यापार मंडल के आह्वान पर बुलाया गया है। आज भी बाजार आदि बंद हैं। व्यापार मंडल के जिला महामंत्री सुरेंद्र रावत ने कहा कि भटवाड़ी लाठीचार्ज के विरोध में सभी हिंदू संगठन एकजुट हैं।
दरअसल, हिंदू संगठनों का आरोप है कि उत्तरकाशी के बाड़ाहाट क्षेत्र में सरकारी जमीन पर एक मस्जिद अवैध रूप से बना दी गई है। वे इसे हटाने की लगातार माँग कर रहे हैं। इसको लेकर प्रदर्शनकारी हनुमान चौक से एक रैली निकाली गई। इसमें स्वामी दर्शन भारती भी शामिल थे। प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान ‘जय श्रीराम’ के नारे भी लगाए। उत्तरकाशी, डुंडा, भटवाड़ी और जोशियाड़ा में बाजार पूरी तरह बंद रहे।
प्रदर्शनकारी हनुमान चौक से मस्जिद की ओर बढ़ने लगे तो उन्हें रोकने के लिए जिला प्रशासन ने गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर भटवाड़ी की ओर बैरिकेड लगा दिए। प्रदर्शनकारी इस बैरिकेडिंग को हटाने लगे तो उनकी पुलिस के साथ नोक-झोंक हो गई। पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया तो प्रदर्शनकारी वहीं धरने पर बैठ गए और हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे।
इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग हटाने की कोशिश की तो पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर लाठी चार्ज कर दिया। इस दौरान आँसू गैस के गोले भी छोड़े गए। झड़प में 7 पुलिसकर्मी सहित 27 लोग घायल हो गए हैं। घायलों में दो महिला प्रदर्शनकारी भी शामिल हैं। घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस अधिकारियों का आरोप कि उन पर पथराव किया गया था। वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि स्थिति को बिगाड़ने की साजिश के तहत पुलिस पर पत्थर फेंके गए थे। उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अमित श्रीवास्तव ने कहा कि पथराव की घटना को गंभीरता से लिया गया है और इसकी जाँच की जा रही है। आरोपियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एसपी श्रीवास्तव ने बताया कि अब शहर में स्थिति सामान्य और शांतिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शहर में सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात किए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, प्रदर्शन के बाद मस्जिद के आसपास की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई है। जिला प्रशासन ने इलाके में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा-163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
हिंदू संगठनों का आरोप
दरअसल, हिंदुओं का कहना है कि मस्जिद सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई है। हालाँकि, जिला प्रशासन का कहना है कि मस्जिद पुरानी है और मुस्लिम समुदाय के लोगों की जमीन पर बनी है। इसको लेकर उत्तरकाशी के जिलाधिकारी कार्यालय ने 21 अक्टूबर को एक नोटिस भी जारी किया। इसमें भटवाड़ी के उपजिलाधिकारी मुकेश चंद रमोला की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है।
उपजिलाधिकारी मुकेश रमोला ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जिस भूमि पर मस्जिद बनी है, वह भूमि खाताधारकों के नाम पर दर्ज है। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के मुस्लिम वक्फ विभाग द्वारा प्रकाशित सरकारी गजट में 20 मई 1987 में यह मस्जिद उल्लेखित है। इसमें सुन्नी वक्फ की ओर से मस्जिद का खसरा, रक्वा, नाली और धार्मिक उद्देश्य के रूप में अंकित है।
भूमि का दाखिल-खारिज साल 2004 में हुआ। साल 2005 में पारित तहसीलदार के एक आदेश में कहा गया है कि यह मस्जिद संबंधित भूमि पर बनी हुई है। इस विवाद की शुरुआत संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ की ओर से मस्जिद को लेकर RTI के तहत जानकारी माँगी गई थी। इसमें जिला प्रशासन द्वारा अस्पष्ट जानकारी देते हुए कहा कि उसके पास जरूरी कागजात नहीं हैं।
RTI में गलत जानकारी से उपजा विवाद
स्वामी दर्शन भारती का कहना कि प्रशासन ने RTI में गलत जानकारी दी है। इसके बाद 6 सितंबर 2024 को हिंदूवादी संगठनों ने मस्जिद गिराने की माँग को लेकर डीएम कार्यालय के बाहर धरना दिया। उन्होंने प्रशासन को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर उनकी माँग नहीं मानी गई तो वे खुद इस मस्जिद को गिरा देंगे।
इसके बाद उत्तरकाशी के जिलाधिकारी ने मामले की जाँच के लिए कमिटी गठित की। इस कमिटी ने बताया कि मस्जिद वैध और यह सरकारी जमीन पर नहीं है। SP अमित श्रीवास्तव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमारे रिकॉर्ड के मुताबिक, ये मस्जिद पंजीकृत जमीन पर बनी है। ये जमीन चार लोगों के नाम पर पंजीकृत है। प्रशासन ने इसकी जानकारी इन संगठनों को दे दी है।”