Friday, November 22, 2024
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18 वनवासी महिलाओं से रेप, 32 साल तक केस-कचहरी… अब 215 सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को जेल की सजा

“सरकार बलात्कार के प्रत्येक पीड़ित को 10 लाख रुपए का मुआवजा दे। जो रेप के दोषी हैं, उनसे मुआवजे की 50 फीसदी रकम वसूली जाए। तत्कालीन जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और जिला वन अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।”

एक साथ एक ही मामले में 215 सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को अब जेल में चक्की पिसनी होगी। यह मामला है तमिलनाडु के वाचथी गाँव (Vachathi) का। 1992 में यहाँ एक ही दिन में 18 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। मद्रास उच्च न्यायालय ने अब इस मामले में सभी 215 सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों की सजा को बरकरार रखा, जो इन लोगों को सत्र न्यायालय से मिली थी। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने दोषियों की अपील को खारिज कर दिया।

वाचथी (Vachathi) गाँव में बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के साथ-साथ मारपीट, संपत्ति का नुकसान, मवेशियों को जान से मारने आदि के लिए जिन 215 सरकारी कर्मचारियों को सजा सुनाई गई है, उनमें कुछ क्लास वन अधिकारी भी हैं। मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले से पहले सत्र न्यायालय ने इस मामले में 4 आईएफएस अधिकारियों सहित वन विभाग के 126 कर्मचारियों, 84 पुलिसकर्मियों और राजस्व विभाग के 5 लोगों को दोषी ठहराया था।

मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने शुक्रवार (29 सितंबर 2023) को इस मामले में फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जिन 18 महिलाओं के साथ राज्य सरकार के कर्मचारियों ने बलात्कार किया, उन सबको 10-10 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दिए जाएँ। जज ने यह भी आदेश दिया कि जो बलात्कार के दोषी पाए गए हैं, उन सब से मुआवजे की 50 प्रतिशत रकम वसूली जाए। सभी दोषियों को 1 से लेकर 10 साल तक की सजा सुनाई गई है।

न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने वाचथी गाँव में 1992 में वनवासियों के खिलाफ बलात्कार और क्रूरता के मामले में सभी 215 दोषियों की अपील खारिज करते हुए कहा:

“सभी आपराधिक अपीलों को खारिज किया जाता है। सरकार बलात्कार के प्रत्येक पीड़ित को 10 लाख रुपए का मुआवजा दे। यदि पीड़ित जीवित नहीं है तो उनके परिजनों को मुआवजा दिया जाए। जो रेप के दोषी हैं, उनसे मुआवजे की 50 फीसदी रकम वसूली जाए। पीड़ितों को स्वरोजगार या किसी अन्य माध्यम से उपयुक्त नौकरियाँ भी दी जाए। तत्कालीन जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और जिला वन अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।”

वाचथी गाँव के लोगों के खिलाफ तस्करी का जो आरोप लगाया गया था, मद्रास उच्च न्यायालय ने उसे भी खारिज कर दिया।

वाचथी केस: कब, क्या, कितने अपराधी

20 जून 1992 की घटना है। तब चंदन तस्कर वीरप्पन जिंदा था। तमिलनाडु के वन और राजस्व विभाग को सूचना मिली कि चंदन की लकड़ी की कटाई और तस्करी की जा रही है। तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के वाचथी गाँव में इस सूचना के आधार पर छापेमारी की गई।

इसी दौरान तमिलनाडु के वन और राजस्व विभाग के तब के अधिकारी और कर्मचारियों ने 18 महिलाओं के साथ बलात्कार किया था। कई वनवासियों के घर उजाड़ दिए थे। उनकी संपत्तियों को तहस-नहस कर दिया था, मवेशियों को माक डाला था।

वाचथी गाँव में 155 वनकर्मी (इसमें भारतीय वन सेवा के 4 क्लास वन अधिकारी भी), 108 पुलिसकर्मी और 6 राजस्व अधिकारियों की टीम ने छापा मारा था। मतलब कुल 269 सरकारी कर्मचारी इस छापेमारी का हिस्सा थे। 1992 से लेकर 2023 तक कुल 32 साल की केस-कचहरी में 54 आरोपितों की मृत्यु भी हो गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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