वडोदरा गैंगरेप मामले में पांचों आरोपितों की रिमांड गुरुवार (10 अक्टूबर, 2024) को पूरी हो गई है। इसके बाद उन्हें फिर से पेश किया जाएगा। इन पाँचों आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद वडोदरा पुलिस ने मंगलवार (8 अक्टूबर, 2024) को सभी को कोर्ट में पेश कर 14 दिन की रिमांड माँगी थी।
इस मामले की सुनवाई करने वाले जज एम. एम. सैयद ने पुलिस को मात्र 2 दिन की रिमांड दी। पांचों आरोपितों में मुन्ना अब्बास बंजारा, मुमताज उर्फ आफताब बंजारा, शाहरुख बंजारा मुख्य आरोपी हैं, जिन्होंने पीड़िता के साथ गैंगरेप किया था।
इनके अन्य दो साथी भी घटना से पहले साथ थे, यह बाद में भाग गए थे। इनकी पहचान अजमल सत्तार और सैफ अली मेहंदी हसन के रूप में हुई है। इन सभी आरोपितों को जज के सामने पेश किए जाने पर जब जज ने पूछा कि क्या उन्हें पुलिस से कोई शिकायत है, जिसका सभी ने खंडन किया।
लेकिन फिर जब बहस चल रही थी, तो मुन्ना ने जज के सामने कहा, ‘जज साहब… मुझे जेल जाना है। मुझे मार देंगे साहब…’ चिल्लाया। इसके बाद कोर्ट रूम वकीलों की तालियों से गूँज उठा और ‘गुजरात पुलिस जिंदाबाद’ के नारे भी लगे।
इन पाँचों को कोई वकील भी नहीं मिला। चूंकि आरोपितों की तरफ से कोई वकील कोर्ट में पेश नहीं हुआ, इसलिए जिला विधिक सहायता समिति ने उन्हें एक वकील मुहैया कराया। जिसने रिमांड का विरोध किया और पुलिस के खिलाफ तर्क दिया कि वे जिस गाड़ी को जब्त करने के लिए कह रहे हैं वह पहले ही जब्त किया जा चुका है।
पुलिस ने कोर्ट में आरोपितों की 14 दिन की रिमांड माँगी थी, क्योंकि मामला गंभीर और संवेदनशील है और इसमें पर्याप्त जाँच की जरूरत है। पुलिस ने कहा कि अपराध के समय आरोपितों द्वारा पहने गए कपड़ों को जब्त किया जाना है और पीड़ित का मोबाइल फोन और अपराध में इस्तेमाल की गई बाइक को भी जब्त किया जाना है।
पुलिस ने कह कि आरोपितों का मेडिकल परीक्षण लंबित है और अपराध के बाद उन्होंने कहाँ शरण ली, उनका यूपी में कोई आपराधिक इतिहास है या नहीं या अपराध के समय वे नशे में थे या नहीं, इसकी भी जाँच की जानी है। हालाँकि, इन दलीलों के बावजूद जज MM सैयद ने आरोपितों की सिर्फ 2 दिन की रिमांड मंजूर की।
इस मामले में माँग की जा रही है कि यह मुकदमा एक महिला अदालत के कोर्ट में चलाया जाए। वडोदरा के एडवोकेट विराज ठक्कर ने लिखित माँग में कहा कि पाँचों आरोपितों की 14 दिन की रिमांड माँगी गई थी, लेकिन कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड मंजूर की है। वकीलों के एक संगठन ने कहा कि पीड़िता नाबालिग है और वह महिला जज के समक्ष अपनी पीड़ा बता सकेगी।