वाराणसी के स्थानीय न्यायालय ने ज्ञानवापी विवादित ढाँचा मामले में सुनवाई करते हुए इस परिसर में बने तहखाने की चाबियाँ वाराणसी के जिलाधिकारी को सौंपने का आदेश दिया है। मुस्लिम पक्ष इसकी चाबियाँ देने से इनकार कर रहा था। वाराणसी के जिला न्यायालय ने 18 जनवरी 2024 को यह निर्णय दिया। जिला जज एके विश्वेश इस मामले की सुनवाई कर रहे थे। न्यायालय के सामने इस तहखाने को प्रशासन को सौंप कर इसकी सही देखरेख किए जाने के लिए याचिका लगाई गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि 1993 तक यहाँ सोमनाथ व्यास नाम के पुजारी पूजा करते थे। इसे 1993 में प्रशासन ने बंद कर दिया था और यहाँ बाड़ लगा दी थी। हिन्दू पक्ष ने पहले यह भी कहा था कि यहाँ प्रांगण में मुस्लिम पक्ष छेड़छाड़ कर सकता है, इसलिए चाबियाँ प्रशासन के कब्जे में ली जाए।
यह तहखाना ज्ञानवापी ढाँचे के दक्षिणी हिस्से में स्थित है। इसको ‘व्यास जी का तहखाना’ कहा जाता है। अगस्त 2023 में जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ज्ञानवापी के सर्वे के लिए पहुँचा था तो मुस्लिम पक्ष ने तहखाने की चाबी देने से इनकार कर दिया था। आजतक की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि मुस्लिम पक्ष के वकील ने ज्ञानवापी से बाहर निकल मीडिया से कहा था कि हम तहखाने की चाबी क्यों दे, उन्हें जहाँ खोलना है खोल लें।
इस तहखाने की सही से देखभाल हो सके, इसलिए न्यायालय ने अब वाराणसी के डीएम को ज्ञानवापी में बने तहखाने का रिसीवर बनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिलाधिकारी इसकी स्थिति में कोई परिवर्तन ना होने दें और इसे अपनी अभिरक्षा में रखें।
गौरतलब है कि 16 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित उस पानी के टैंक को साफ़ करने की अनुमति दी थी, जहाँ से मई 2022 में सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला था। हिन्दू पक्ष ने कहा था कि इस टैंक में यहाँ की अंजुमन इस्लामिया कमिटी की वजह से मछलियाँ मर गईं जिससे यहाँ दुर्गन्ध फ़ैल रही है। इसमें शिवलिंग मिला है जो कि हिन्दुओं के लिए आस्था का विषय है, इसलिए इसको साफ़ करवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह कार्रवाई वाराणसी के जिलाधिकारी के देखरेख में किए आने का आदेश दिया था।