Sunday, November 17, 2024
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भारत के चर्च, पादरियों, धर्मांतरण वाले मिशनरियों की जाँच के लिए बने आयोग: VHP की माँग, विदेशी चर्चों में बच्चों का यौन शोषण

विश्व हिन्दू परिषद् ने कहा है कि चर्च के पादरियों व धर्मांतरण में लिप्त मिशनरियों के कुकृत्यों का पर्दाफास करने तथा भारतीयों के इनके घिनौने षणयंत्रों से मुक्ति दिलाने के लिए नियोगी कमीशन की तरह भारत में भी एक जाँच आयोग बनाए जाने की आवश्यकता है।

फ्रांस के एक स्वतंत्र आयोग ने अपनी जाँच में कैथोलिक चर्च में हुए तीन लाख से अधिक बच्चों के यौन शोषण को लेकर जो आँकड़े दिए हैं वो वाकई खौफनाक हैं। जिसे देखते हुए अब भारत के चर्चों की भी जाँच की माँग विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा उठाई गई है। आए-दिन चर्चों में ननों के यौन शोषण के मामले आते रहते हैं उसका उदाहरण देते हुए ऐसे घृणित कार्यों की जाँच के लिए विहिप ने पत्र लिखकर अनुशंसा की है।

विश्व हिन्दू परिषद् ने कहा है कि चर्च के पादरियों व धर्मांतरण में लिप्त मिशनरियों के कुकृत्यों का पर्दाफास करने तथा भारतीयों के इनके घिनौने षणयंत्रों से मुक्ति दिलाने के लिए नियोगी कमीशन की तरह भारत में भी एक जाँच आयोग बनाए जाने की आवश्यकता है।

विहिप द्वारा जारी किया गया पत्र

विहिप के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन आज अपने एक वक्तव्य में कहा कि फ़्रांस की तरह भारतीय चर्चों की घिनौनी करतूतें भी किसी से छिपी नहीं हैं। अब पादरियों के पापों से भारतीयों को मुक्ति मिलनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि चर्च द्वारा किए जा रहे हैं अवैध धर्मांतरण के अभिशाप से भी भारत की मुक्ति हेतु कठोर कानून जरुरी है।

उन्होंने अपने वक्तव्य में फ्रांस की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि बेहद चौकाने वाला समाचार है कि केवल फ्रांस में पादरियों द्वारा यौन उत्पीड़न के 3 लाख 30 हजार बच्चे शिकार हुए हैं।

दरअसल फ्रांस में हुई एक स्वतंत्र आयोग की जाँच ने सभी को हैरत में डाल दिया है। आयोग का अनुमान है कि फ्रांस के कैथोलिक चर्च में पादरी, अधिकारी व अन्य लोगों ने मिलकर 1950 के बाद से 216,000 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण किया। हालाँकि कुछ रिपोर्ट में इन आँकड़ों को 3 लाख 30 हजार के करीब बताया जा रहा है।

रिपोर्ट जारी करने वाले आयोग के अध्यक्ष ज्यां मार्क सौवे ने कहा कि यह अनुमान वैज्ञानिक अनुसंधान पर आधारित है। इसमें पादरियों और चर्च से संबद्ध लोगों और अन्य व्यक्तियों द्वारा उत्पीड़न के मामले शामिल हैं। सौवे ने कहा कि यौन उत्पीड़न के शिकार होने वालों में 80 प्रतिशत लड़के थे जबकि बाकी अन्य लड़कियाँ थीं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि बच्चों का उत्पीड़न 3000 से ज्यादा पीडोफाइल द्वारा किया गया। इनमें से दो तिहाई पादरी थे।

एक स्वतंत्र आयोग बर्नार्ड प्रीनैट की जाँच की रिपोर्ट आई तो पता चला कि साल 1950 के बाद से लेकर 2020 तक चर्च के भीतर पादरी, अधिकारी व अन्य लोगों ने मिलकर लगभग 3 लाख 30 हजार बच्चों का यौन शोषण किया है। इतनी बड़ी संख्या को सुन कर शायद आप चौंक गए होंगे। इतना ही नहीं बच्चे-बच्चियों के साथ चर्च के भीतर क्या-क्या होता था, किन-किन तरीकों से रेप किया जाता था, वो तो और भी डरावना है। क्या सिर्फ पादरी और पुरुष अधिकारी ही करते थे यौन शोषण या नन भी शामिल थीं इस गैंग में, तो उनका तरीका और भी हैरत में डाल देने वाला है।

2500 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि महिला पादरी (नन) बच्चियों का रेप करने के लिए क्रूस (क्रॉस, जिस पर ईसा मसीह भी चिपके हों) का इस्तेमाल करती थी। चर्च में रहने वाले नाबालिग लड़कों को वो खुद के साथ सेक्स करने के लिए मजबूर करती थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यौन शोषण के शिकार हुए बच्चे-बच्चियों में से 80% की उम्र 10 से 13 साल के बीच थी। मतलब 2 लाख 64 हजार नाबालिगों का यौन शोषण 10 से 13 की उम्र में किया गया।

इसी रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद हालाँकि पोप फ्रांसिस ने सार्वजनिक रूप से माफी माँग ली है। इस रिपोर्ट की बाबत मंगलवार (अक्टूबर 5, 2021) को पोप ने दुख जाहिर किया और घटना के संबंध में पीड़ितों से माफी माँगी। वेटिकन प्रवक्ता ने बताया कि पोप ने स्वतंत्र आयोग की जाँच में सामने आए निष्कर्ष को दर्दनाक कहा। फ्रेंच में जारी एक बयान में प्रवक्ता माटेओ ब्रूनी ने कहा, “उनके विचार सबसे पहले पीड़ितों की ओर जाते हैं, उनके (पीड़ितों के) दर्द पर बहुत दुख है और बोलने के उनके साहस के लिए आभार है।”

लेकिन, इन कुकृत्यों की आग अब यहीं नहीं रुकने वाली भारत में आज चर्च, पादरियों और मिशनरियों की आयोग बनाकर जाँच की माँग विश्व हिन्दू परिषद् ने की है। क्या पता ऐसे माँग और भी देशों में उठे, जाँच हो और फिर जो आँकड़ा आए उससे इस पूरे कुचक्र की भयावहता का पता चले।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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