विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता गिरीश भारद्वाज ने मैसूर के उपायुक्त और नंजनगुडु के तहसीलदार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक के पास शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने यह आरोप 8 सितंबर को महादेवम्मा मंदिर के विध्वंस को लेकर लगाया है। गुरुवार (16 सितंबर, 2021) को दर्ज शिकायत में उन्होंने एसपी से डीसी और तहसीलदार दोनों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का अनुरोध किया है।
विहिप नेता ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने मैसूर के एसपी को उनके द्वारा लिखे गए पत्र की एक प्रति भी शेयर किया।
I have written to SP Mysuru to register a Criminal Complaint against Deputy Commissioner Mysuru and Tahsildar , Nanjanagudu for hurting Religious Sentiments of Hindus and interpreting the Hon. Supreme Court Order in wrong way. @DgpKarnataka @SPmysuru pic.twitter.com/7UeOHUyUJV
— Girish Bharadwaj (@Girishvhp) September 16, 2021
मैसूर एसपी को लिखे अपने पत्र में, विहिप नेता ने दोनों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से पढ़कर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है, जिसके कारण 8 सितंबर को नंजनगुडु तालुक के उचगनी में 200 साल पुराने महादेवम्मा मंदिर को गिरा दिया गया था।
इस पत्र में लिखा गया, “महादेवम्मा मंदिर जिसे अधिकारियों ने तोड़ दिया था, उसका 500 से अधिक वर्षों का इतिहास है। देवता की मूर्ति को हिंदू रीति-रिवाजों (प्राण प्रतिष्ठापन) के अनुसार प्रतिष्ठित किया गया था और मूर्ति की प्रतिदिन पूजा की जाती थी। यह बहुत ही चिंता का विषय है कि तहसीलदार ने स्थानीय लोगों की भावनाओं को तवज्जो नहीं दी। भक्तों और स्थानीय लोगों के विरोध से बचने के लिए गुप्त रूप से सुबह तड़के इसे ध्वस्त कर दिया।” पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए दावा किया गया है कि विध्वंस इसका उल्लंघन है।
विहिप नेता द्वारा मैसूर एसपी को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया है, “अवैध धार्मिक संरचना के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का आदेश बहुत स्पष्ट है: यदि धार्मिक संरचनाएँ पहले से ही सार्वजनिक स्थानों पर हैं और 29 सितंबर 2009 से पहले बनाई गई हैं, तो सरकार को ऐसी संरचना को हटाने / स्थानांतरित करने / नियमित करने के मामले में नीति तैयार करनी होगी और मामले का फैसला करना होगा।”
पत्र के अनुसार, मैसूर के डिप्टी कमिश्नर ने उचगनी में महादेवम्मा और कालभैरवेश्वर मंदिर को नियमित करने के लिए 2011 में नंजनगुडु के तहसीलदार के सुझावों की अनदेखी कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि मंदिर 200 साल पुराना था। मैसूर के उपायुक्त ने रिपोर्ट की अनदेखी करते हुए मुख्य सचिव के सर्कुलर के अनुसार तहसीलदार को महादेवम्मा मंदिर को ध्वस्त करने के लिए कहा।
पत्र में कहा गया है, “2011 में, नंजनगुडु के तत्कालीन तहसीलदार ने उचगनी में महादेवम्मा और कालभैरवेश्वर मंदिर को नियमित करने की सिफारिश की थी, जिसमें कहा गया था कि मंदिर 200 साल पुराना है। मैसूर के डिप्टी कमिश्नर रिपोर्ट की अनदेखी करते हुए मुख्य सचिव के सर्कुलर के बाद तहसीलदार को महादेवम्मा मंदिर को ध्वस्त करने का निर्देश दिया।”
पत्र में आगे कहा गया कि मंदिर सड़क से 40 फीट की दूरी पर था और इससे विकास प्रभावित नहीं होता। तहसीलदार किसी निर्णय पर पहुँचने के लिए भक्तों और स्थानीय लोगों के साथ बैठक कर सकते थे। इस कदम को तहसीलदार की ‘घोर लापरवाही’ बताते हुए कानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई। पत्र में कहा गया है, “तहसीलदार को अतिक्रमण हटाने के आधार पर हिंदुओं के धार्मिक ढाँचे को तोड़ने का कोई अधिकार नहीं है।”
गिरीश भारद्वाज ने कहा, “तहसीलदार, नंजनगुडु ने महादेवम्मा मंदिर को ध्वस्त करने की साजिश रची है। यहाँ तक कि प्राण प्रतिष्ठा के साथ प्रतिष्ठित मूर्तियों को स्थानांतरित किए बिना, तहसीलदार ने जानबूझकर ब्रह्म कलश और विग्रहों के साथ मंदिर को ध्वस्त कर दिया है।” गिरीश भारद्वाज ने कहा कि इस कदम ने उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। उन्होंने एसपी से धार्मिक भावनाओं को आहत करने और कर्तव्य की उपेक्षा के लिए डीसी, तहसीलदार और मंदिर के विध्वंस की निगरानी करने वाले सभी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने का अनुरोध किया है।
मैसूर मंदिर विध्वंस के विरोध में हिंदू संगठन के सदस्यों का प्रदर्शन
इस बीच, हिंदू संगठन हिंदू जागरण वेदिक के सैकड़ों सदस्य, कोटे अंजनेस्वामी मंदिर के सामने इकट्ठा हुए और मैसूर में जिला प्रशासन और सरकार के खिलाफ हिंदू मंदिर के विध्वंस की निंदा करते हुए एक विशाल मार्च में हिस्सा लिया। राज्य सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम देते हुए संगठन के संयोजक ने कहा कि सीएम बसवराज बोम्मई को हिंदू मंदिरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।