अयोध्या में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन (22-23 अप्रैल 2023) में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कानूनी प्रकोष्ठ ने समलैंगिक विवाह के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। इसमें निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक से जुड़े विभिन्न राज्यों के 500 से अधिक अधिवक्ताओं और सेवानिवृत्त जजों ने भाग लिया। समलैंगिक विवाह को हिंदू संगठन पहले भी भारतीय संस्कृति के लिए घातक बता चुका है।
विश्व हिंदू परिषद ने 24 अप्रैल 2023 को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से प्रेस रिलीज जारी कर प्रस्ताव पास किए जाने की जानकारी दी है। इसमें कहा गया है समलैंगिक विवाह पर निर्णय लेने में कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि देश सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दों का सामना कर रहा है। इसमें गरीबी उन्मूलन, बुनियादी जरूरतें जैसे मुफ्त शिक्षा का अधिकार, प्रदूषण मुक्त वातावरण का अधिकार, जनसंख्या नियंत्रण शामिल हैं।
प्रस्ताव में कहा गया है कि भारतीय समाज पुरुषों और महिलाओं के बीच विवाह को मान्यता देता है। विवाह की संस्था केवल दो विपरीत लिंग का मिलन ही नहीं है, बल्कि मानव जाति की उन्नति भी है। विहिप के मुताबिक, भारतीय समाज में विवाह को दो विपरीत लिंग के जोड़ों का पवित्र मिलन माना गया है। शादी सिर्फ दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है। यह भारत में एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यदि समलैंगिक विवाह की अनुमति दी जाती है तो यह तो ऐसा संभव नहीं होगा।
Vidhi Prakoshtha (Legal cell) of VHP passes a resolution against #SameSexMarriage in its two day long national meet concluded in Ayodhya yesterday. More than 500 advocates & retired judges from different states connected to lower courts to Supreme Court participated in it. pic.twitter.com/cFj7XjafFA
— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) April 24, 2023
हिंदू संगठन ने कहा कि वर्तमान मामला समलैंगिक विवाह के पक्ष में संसद को कानून बनाने के लिए निर्देशित करने के इरादे से उसकी शक्तियों पर स्पष्ट रूप से अतिक्रमण करने का प्रयास है। इसके अलावा, वीएचपी ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत संसद को सोलह साल पहले छोड़ी गई एक रिपोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार करने के लिए निर्देश दे, जो ईसाई या इस्लाम कबूलने वाले दलितों के आरक्षण से संबंधित है।
प्रेस विज्ञप्ति:
— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) April 22, 2023
समलैंगिक विवाह भारत की सभ्यता के लिए घातक सिद्ध होंगे: डॉ सुरेंद्र जैन pic.twitter.com/JgQHs7ZYcq
बता दें कि इससे पहले विश्व हिंदू परिषद ने कहा था कि जिस ‘जल्दबाजी’ से सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिकाओं का निस्तारण कर रहा है, वह उचित नहीं है। विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने शनिवार (22 अप्रैल 2023) को कहा था, “देश में समलैंगिक विवाह (Same-sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने से नए विवाद पैदा हो सकते हैं। यह भारतीय संस्कृति के लिए घातक सिद्ध होगा।” जैन ने कहा था कि इस विषय पर आगे बढ़ने से पहले सुप्रीम कोर्ट को धर्मगुरुओं, चिकित्सा क्षेत्र, समाज विज्ञानियों और शिक्षाविदों की समितियाँ बनाकर उनकी राय लेनी चाहिए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में LGBTQ+ व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों को लागू करने की माँग को लेकर याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच सुनवाई कर रही है।