विश्व हिंदू परिषद (VHP) की अगुवाई वाले संगठनों ने सोमवार (14 अक्टूबर) को माँग की कि उन्हें 27 अक्टूबर को अयोध्या में विवादित स्थल पर “हज़ारों दीपकों” की रोशनी करने और ‘पूजा’ करने की अनुमति दी जाए। विभागीय आयुक्त (डीसी), मनोज मिश्रा ने, बताया कि कथित तौर पर उन्हें अनुमति नहीं दी गई।
अयोध्या और VHP के प्रवक्ता शरद शर्मा के एक प्रतिनिधिमंडल ने डीसी से मुलाक़ात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने तर्क़ दिया कि यह हिन्दुओं की “धार्मिक भावनाओं को आहत” करता है कि वे दीपावली के अवसर पर “जन्मभूमि परिसर” में दीपक नहीं जला सकते। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि लंका में रावण को हराने के बाद भगवान के अयोध्या लौटने के प्रतीक के रूप में पूरे भारत में दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
प्रतिनिधिमंडल में संत समिति अयोध्या के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास; मणिरामदास चानवी के महंत कमलनयन दास; श्री रामचरित्रमण भवन के महंत अवधबिहारी दास; और स्थानीय भाजपा नेता वैश्य विनोद जायसवाल शामिल थे।
जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) अनुज कुमार झा ने बताया कि फ़िलहाल अयोध्या में 10 दिसंबर तक धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह प्रतिबंध 12 अक्टूबर से लागू होगा। दो-पृष्ठ के आधिकारिक आदेश के अनुसार, संबंधित प्राधिकरण की अनुमति के बिना अयोध्या पैरामीटर में ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहनों की उड़ान की अनुमति नहीं है। अयोध्या की सीमा के भीतर नावों के ओवरलोडिंग पर भी प्रतिबंध है। दिवाली पर पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति संबंधित मजिस्ट्रेट से अनुमति प्राप्त करने के बाद ही दी जाएगी।
डीएम झा ने रविवार देर रात ट्विटर पर कहा, “यह आदेश अयोध्या की सुरक्षा और यहाँ आने वालों के लिए सरकार की चिंता का विषय है।”
दरअसल, दशहरे की हफ़्ते भर की छुट्टी के बाद सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सोमवार यानी आज से (14 अक्टूबर) अंतिम दौर की सुनवाई शुरू हो गई। इसके मद्देनज़र अयोध्या में धारा-144 लागू कर दी गई है और ज़िले को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। 10 दिसंबर तक ज़िले में धारा-144 लागू रहेगी। इसका मतलब है कि दिवाली, चेहल्लुम और कार्तिक मेले के दौरान भी निषेधाज्ञा लागू रहेगी। ज़िले में भारी संख्या में सुरक्षाबल की तैनाती का फ़ैसला भी लिया गया है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मध्यस्थता प्रक्रिया नाकाम होने के बाद मामले में 6 अगस्त से प्रतिदिन की सुनवाई शुरू की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2014 के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है।