बैंकों को लगभग 900 करोड़ रुपए का चूना लगाकर विदेश भागे उद्योगपति विजय माल्या को लेकर जाँच एजेंसी ने बड़ा खुलासा किया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने मुंबई कोर्ट में दाखिल पूरक आरोप पत्र में कहा है कि जब माल्या की कंपनी वित्तीय संकट से गुजर रही थी, तब उसने साल 2015-16 में इंग्लैंड और फ्रांस में 330 करोड़ रुपए की संपत्ति खरीदी।
अपने चार्जशीट में सीबीआई ने कहा कि यह वही समय था, जब बैंक शराब कारोबारी और किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक माल्या से कर्ज की वसूली करने की कोशिश कर रही थी। हालाँकि, वह इसमें नाकाम रही थीं।
सीबीआई ने अदालत को बताया कि सन 2008 और 2017 के बीच बैंकों को चुकाने के लिए विजय माल्या के पास पर्याप्त पैसे थे, लेकिन उसने चुकाया नहीं। माल्या ने अपनी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड (केएएल) के लिए इन बैंकों से लोन लिया था।
माल्या ने बैंकों के लोन नहीं चुकाए, लेकिन पूरे यूरोप में उसने ‘निजी संपत्ति’ खरीदी। यहाँ तक कि स्विट्जरलैंड में अपने बच्चों के ट्रस्टों को भी भारी मात्रा में पैसे हस्तांतरित किए। सीबीआई ने अदालत से अनुमति लेकर माल्या के लेनदेन से संबंधित विवरण के लिए विभिन्न देशों को पत्र लिखकर जानकारी माँगी है।
केंद्रीय जाँच एजेंसी CBI को जानकारी मिली थी कि माल्या ने फ्रांस में 35 मिलियन यूरो (लगभग 250 करोड़ रुपए) में अचल संपत्ति खरीदी थी। इसके लिए उसने अपनी एक कंपनी Gizmo Holdings के खाते से 8 मिलियन यूरो (लगभग 72 करोड़ रुपए) भी माँगी थी। वहीं, यूके में 80 करोड़ रुपए की संपत्ति खरीदी थी।
माल्या ने 2016 में गिरफ्तारी के डर से भारत छोड़ दिया था। कहा जाता है कि वह यूनाइटेड किंगडम में रह रहा है। वहीं, सरकारी एजेंसियाँ उसे लाने के लिए कार्रवाई कर रही हैं। माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस के लिए 900 करोड़ रुपए से अधिक लोन लिया था, जिसे उसने चुकाया नहीं।
अब इस मामले की जाँच सीबीआई कर रही है। CBI ने इससे पहले की चार्जशीट में 11 अभियुक्तों को नामजद किया था। इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट में IDBI बैंक के पूर्व महाप्रबंधक बुद्धदेव दासगुप्ता का नाम भी जोड़ा गया है।
सीबीआई के अनुसार, दासगुप्ता ने अक्टूबर 2009 में माल्या को 150 करोड़ रुपए के अल्पकालिक ऋण की मंजूरी दी थी। सीबीआई ने पाया है कि दासगुप्ता ने इसके लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया। 150 करोड़ रुपए के इस लोन को एयरलाइंस द्वारा मूल रूप से माँगे गए 750 करोड़ रुपए के कुल ऋण से समायोजित किया जाना था।
चार्जशीट में कहा गया है कि आईडीबीआई बैंक का एक्सपोजर 750 करोड़ रुपये की कुल राशि तक सीमित होना था। हालाँकि, दिसंबर 2009 में यह 900 करोड़ रुपये हो गया, क्योंकि 150 करोड़ रुपए को दासगुप्ता के इशारे पर एक अलग ऋण के रूप में रखा गया था।
साल 2019 में विजय माल्या को भगोड़ा घोषित कर दिया गया है। वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले के देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इस मामले की जाँच कर रही है। एजेंसियों ने माल्या की कुछ संपत्ति भी जब्त की है।