Monday, December 23, 2024
Homeदेश-समाज'मुस्लिमों हमें आज कर्बला का किरदार निभाना होगा... नहीं तो मिट जाएगा 25 करोड़...

‘मुस्लिमों हमें आज कर्बला का किरदार निभाना होगा… नहीं तो मिट जाएगा 25 करोड़ मुस्लिमों का नाम’

वायरल हुए इस पर्चे के अंत मुस्लिमों को उकसाने के लिए उन्हें करबला का किरदार निभाने तक के लिए कहा जा रहा है। इसमें लिखा गया है, "दुश्मन हमें हमारे मुल्क से निकालना चाहता है। इस मुल्क को आजाद कराने के लिए हमारे बाप-दादा ने अपनी जान दी है। अब हमें दोबारा कुर्बानी देनी होगी।"

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के नाम पर मोदी सरकार और उनकी नीतियों को घेरने वाले अब देश में हिंसा भड़काने पर खुलेआम उतर आए हैं। पहले इस कड़ी में केवल फोन, मेल, मैसेज के जरिए समुदाय विशेष के लोगों को समझाया जा रहा था कि ये सरकार उन्हें देश से निकालना चाहती है, उनके ख़िलाफ़ फैसले ले रही है, उनसे उनके अधिकार छीनना चाहती है आदि आदि। लेकिन अब ये कार्य खुलेआम पर्चे बाँटकर किया जाने लगा है। जिसमें कट्टरपंथियों द्वारा न केवल मुस्लिम समुदाय को सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ भड़काने के लिए गलत सूचना छापी जा रही हैं, बल्कि देश में हिंसा करने के लिए कर्बला का किरदार निभाने की भी बात स्पष्ट तौर पर लिखी दिखाई दे रही है।

इस समय ये पर्चा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें आज जुमे की नमाज के बाद चक्का जाम करने की गुजारिश समुदाय विशेष के लोगों से की गई है। साथ ही एनआरसी और सीएए के ख़िलाफ़ लोगों को भड़काने के लिए जमकर झूठ परोसा गया है।

इस पर्चे में शांत बैठे लोगों को घरों से बाहर आकर हड़कंप मचाने के लिए बताया गया कि एनआरसी लागू होने पर देश के हर नागरिक को पहले साबित करना पड़ेगा कि उनके दादा-परदादा भी भारतीय थे। जब लोग ऐसा करने में असफल हो जाएँगे तो उनसे नागरिकता छीन ली जाएगी। फिर बाकी सभी धर्मों के लोगों को सीएए के तहत नागरिकता मिलेगी और मुस्लिमों को घुसपैठिया करार दे दिया जाएगा और सभी मुस्लिमों को डिटेंशन कैंप में डाल दिए जाएँगे।

इसके अलावा इस पर्चे में खुलेआम ये तक दावा किया गया है कि भारत सरकार और आरएसएस चाहती है कि भारतीय मुस्लिमों को रोहिंग्याओं की तरह स्टेटलेस बना दिया जाए। जिसके कारण ही वे ऐसी नीतियाँ लाए हैं। अगर एक बार 30 करोड़ में से 25 करोड़ मुस्लिम नागरिकता साबित करने में फेल हो गए। तो उनसे मतदान करने का अधिकार ले लिया जाएगा। उनके लिए संपत्ति को खऱीदना-बेचना संभव नहीं हो पाएगा, सरकारी सुविधाएँ उन्हें नहीं मिलेंगी। जो कुछ उनपर होगा, उसे जब्त कर लिया जाएगा। सरकारी नौकरी वालों को उनकी नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा आदि आदि।

जाहिर है, ये सब पढ़कर कोई भी नागरिक अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतर आएगा और इंसानियत के नाते दूसरे समुदाय के लोग भी उनका समर्थन करने से नहीं चूँकेगे। देखते ही देखते बड़ा तबका सरकार के विरोध में हो जाएगा। जिन्हें सीएए से कोई लेना-देना भी नहीं होगा, वह भी मानवता की लड़ाई समझकर इसका विरोध करेंगे। लेकिन ये कोई नहीं समझेगा कि आखिर ऐसी जानकारी परोसने वाला कौन है और पर्चे में प्रकाशित जानकारी का मूल उद्देश्य क्या है? क्या इस पर्चे में लिखे अनुसार सड़कों पर उतरना और तथाकथित मजहबी ठेकेदारों की बातों में आना सरकार का या उनकी नीतियों का विरोध करना ही कहलाएगा या फिर भीड़ को इकट्ठा करके चक्का जाम के नाम पर सीलमपुर जैसी किसी घटना को अंजाम दिया जाएगा?

खुद पढ़िए, वायरल हुए इस पर्चे के अंत मुस्लिमों को उकसाने के लिए उन्हें करबला का किरदार निभाने तक के लिए कहा जा रहा है। साथ ही मोदी सरकार को दुश्मन बताकर इंगित किया जा रहा। जिसमें लिखा गया है, “दुश्मन हमें हमारे मुल्क से निकालना चाहता है। इस मुल्क को आजाद कराने के लिए हमारे बाप-दादा ने अपनी जानों की क़ुरबानी दी है। अब हमें दोबारा कुर्बानी देनी होगी।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -