राम मंदिर पर चल रही सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अजीबोगरीब दावे किए। राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा कि कि क्या कोर्ट वैदिक नियमों और स्कन्द पुराण के हिसाब से चलेगा? उन्होंने कोर्ट को याद दिलाया कि कोर्ट वैदिक नियमों से नहीं चलता और जिस क़ानूनी सिस्टम के तहत न्यायपालिका कार्य कर रही है, उसकी शुरुआत 1858 में हुई। उन्होंने कहा कि हम जिस क़ानून का पालन करते हैं, वह वैदिक क़ानून नहीं है।
राजीव धवन ने इस्लामी आक्रांताओं वाली बात को काटते हुए कहा, “वे (हिन्दू पक्ष) आक्रमणों की बात करते हैं, ये आक्रांता-वो आक्रांता। मुझे उन सब में नहीं जाना है। मैं पूछता हूँ कि क्या आर्यन आक्रमण हुआ था?” राजीव धवन ने हिन्दू पक्ष के वकील के पराशरण के बारे में बात करते हुए कहा, “मीलॉर्ड आप उन्हें भीष्म पितामह कहते हैं और अब ये आपका ही काम है- आप यह निर्णय लें कि कौन सही है और कौन ग़लत।” राजीव धवन ने कहा कि मोर और कमल थे, इसका मतलब ये नहीं कि मस्जिद से पहले वहाँ कुछ और था।
#RamMandir – #BabriMasjid:
— Bar & Bench (@barandbench) September 2, 2019
What is the law that Your Lordships has inherited?
The law we follow is not Vedic law. Your Lordships’ legal system starts in 1858, Rajeev Dhavan.
हिन्दू पक्ष ने कहा था कि प्राचीन काल के किसी भी पर्यटक या घुमक्कड़ों ने वहाँ मस्जिद होने का दावा नहीं किया है या ऐसी कोई चर्चा नहीं की है। राजीव धवन ने इस बात को मजाक में उड़ा दिया। उन्होंने 13वीं सदी के उत्तरार्ध में सिल्क रोड पर यात्रा करने वाले व्यापारी मार्को पोलो का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भी ‘ग्रेट वाल ऑफ चीन’ का कहीं भी जिक्र नहीं किया है। हिन्दू पक्ष को जवाब देते हुए धवन ने कहा कि परिक्रमा पूजा तो है लेकिन वह कोई सबूत नहीं है।
#RamMandir – #BabriMasjid: One view is that these institutions came into existence during Buddhist period; but difficult to say exactly when idol worship started, Dhavan.
— Bar & Bench (@barandbench) September 2, 2019
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दावा किया कि वैदिक काल के दौरान मूर्तिपूजा नहीं होती थी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वैदिक काल से पहले कोई मंदिर नहीं हुआ करता था। उन्होंने कहा कि मंदिर या मठ जैसी संस्थाएँ बौद्ध काल के बाद अस्तित्व में आईं। हालाँकि, उन्होंने इस बात को लेकर अस्पष्टता जताई कि मूर्तिपूजन कब से शुरू हुआ।