Tuesday, November 19, 2024
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ममता बनर्जी के टीएमसी से खौफ में टैगोर का विश्व भारती, केंद्र से मॉंगी CISF सुरक्षा

वीसी ने कहा है जो सिक्योरिटी गार्ड्स तैनात हैं वे टीएमसी की ओर झुकाव रखते हैं। वे सिक्योरिटी ऑफिसर के आदेशों को नहीं मानते हैं। जब अनियमितता के लिए गार्ड को तलब किया जाता है या किसी गड़बड़ी के लिए निकाला जाता है तो टीएमसी के कार्यकर्ता उनके बचाव में आ जाते हैं।

पश्चिम बंगाल के शान्ति निकेतन स्थित विश्व भारती यूनिवर्सिटी के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने परिसर की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने केंद्र सरकार से सीआईएसएफ जवानों की स्थायी तैनाती परिसर में करने की मॉंग की है। परिसर की सुरक्षा में तैनात निजी सुरक्षाकर्मियों की सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेताओं के प्रति वफादारी का हवाला देते हुए उन्होंने यह मॉंग की है।

विश्व भारती की स्थापना रबींद्रनाथ टैगोर ने 1921 में की थी। राष्ट्रपति विश्व भारती के विजिटर और प्रधानमंत्री चांसलर होते हैं। चकवर्ती ने बीते महीने पत्र लिख केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से सुरक्षा की मॉंग की। पत्र की कॉपी प्रधानमंत्री कार्यालय को भी प्रेषित की गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ वीसी ने कहा है वर्तमान समय में जो सिक्योरिटी गार्ड्स तैनात हैं वे टीएमसी की ओर झुकाव रखते हैं। वे सिक्योरिटी ऑफिसर के आदेशों को नहीं मानते हैं। पत्र में चक्रवर्ती ने कहा है कि जब अनियमितता के लिए गार्ड को तलब किया जाता है या किसी गड़बड़ी के लिए निकाला जाता है तो टीएमसी के कार्यकर्ता उनके बचाव में आ जाते हैं। पत्र में उन्होंने कहा है, “विश्वविद्यालय को सुचारू तरीके से चलाने के लिए कैम्पस में सीआईएसएफ की तैनाती की जाए। देश के प्रति उनके निस्वर्स्थ सेवा भाव से ही परिसर में शांति और स्थिरता की स्थिति वापस लाने में मदद मिलेगी।”

ख़बरों के मुताबिक एचआरडी मंत्रालय इस पर सीआईएसएफ से बात कर रहा है। ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी केन्द्रीय विश्वविद्यालय में सुरक्षाबलों की तैनाती की माँग की गई है। इससे पहले 2017 में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में भी यही माँग उठी थी। उस वक्त विवि प्रशासन का दावा था कि उनके पास परिसर के छात्रों को संभालने के लिए पर्याप्त सुरक्षाकर्मी नही हैं। एक वर्ग शिक्षण संस्थानों में सुरक्षाबलों की तैनाती एक बेहद संवेदनशील मुद्दा बताता है। कुछ लोग इसे छात्रों की ओर से उठने वाले विरोध के स्वर को दबाने के रूप में देखते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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