राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी (Mahesh Jethmalani) ने मंगलवार (24 जनवरी, 2023) को कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) से चीनी कंपनी हुआवै (Huawei) के साथ उनके संबंधों पर सफाई देने को कहा है। Huawei को सुरक्षा कारणों से संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
जेठमलानी ने एक ट्वीट में कहा, “वर्ष 2005 से, जयराम रमेश चीनी दूरसंचार कंपनी हुआवै की भारत में गतिविधियों के लिए पैरवी कर रहे हैं (नीचे उनकी पुस्तक के अंश देखें)। हुआवै को कई देशों में सुरक्षा कारणों से प्रतिबंधित कर दिया गया है। जयराम अब भारत सरकार के चीन को लेकर रुख पर सवाल उठाते हैं। उन्हें हुआवै के साथ उनके संबंधों का खुलासा करना चाहिए।”
Since 2005 #JairamRamesh has been lobbying for Chinese telecom co Huawei’s activities in India (see below excerpts from his book) Huawei has been banned in several countries as a security threat. Jairam now questions GOIs China stand. It behoves him to disclose his Huawei links. pic.twitter.com/H72w0UQRAB
— Mahesh Jethmalani (@JethmalaniM) January 24, 2023
इससे पहले, जेठमलानी ने एक ट्वीट में रमेश को ‘चीनी दुष्प्रचार का मुखपत्र’ कहा था। उन्होंने 30 दिसंबर, 2022 को ट्वीट किया था, “जयराम रमेश द्वारा भारत के फार्मा उद्योग का अपमान करना स्वाभाविक है। वह एक उत्साही सिनोफिल (चीन से प्रभावित) और चीनी दुष्प्रचार के मुखपत्र हैं। उनके झूठ का गैम्बिया और उज्बेकिस्तान सरकार ने पर्दाफाश किया है।”
Jairam Ramesh’s denigration of India’s pharma industry is natural. An ardent Sinophile,he is a mouthpiece of Chinese disinformation. His rant comes in the backdrop of Chinas present grim crisis &India’s success.His lies stand exposed by the Gambian& Uzbekistan govts.#CoughSyrup
— Mahesh Jethmalani (@JethmalaniM) December 29, 2022
जेठमलानी ने जो स्क्रीनशॉट साझा किया वह 2005 में आई उनकी किताब ‘मेकिंग सेंस ऑफ चिंडिया: रिफ्लेक्शंस ऑन चाइना एंड इंडिया (Making sense of Chindia: Reflections on China and India)’ की है। पुस्तक में जयराम रमेश ने चीन के इतिहास, संस्कृति और अन्य पहलुओं में अपनी रुचि का उल्लेख किया है। उन्होंने इस बारे में बताया है कि कैसे कई मौकों पर प्रतिस्पर्धा और टकराव के बावजूद भारत और चीन स्वाभाविक दुश्मन नहीं बने हैं।
किताब में इस बारे में भी विस्तार से बताया गया है कि भारत और चीन के बीच संबंध कैसे फायदेमंद हो सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि 130 पेज की किताब में हुआवेई का चार बार इसका उल्लेख किया गया है।
महेश जेठमलानी जिस चैप्टर का स्क्रीनशॉट साझा किया है, वह वह ‘द सी-आई-ए ट्रायंगल (The C-I-A Triangle)’ से था। भारत और अमेरिका बनाम चीन को संबंध को स्पष्ट करने की आवश्यकता के बारे में बताते हुए, वह बताते हैं कि कैसे अमेरिका-भारत समझौता होने के बावजूद, भारत और चीन के बीच व्यापार में उछाल आया है। उन्होंने विशेष रूप से हुआवै का उल्लेख किया और कहा, “चीनियों को लगता है कि भारत व्यापार वीजा देने, चीनी FDI को मंजूरी देने और सार्वजनिक निविदाओं में से मिले कॉन्ट्रैक्ट को अनावश्यक रूप से बाधित कर रहा है। चीनी नेटवर्किंग प्रमुख हुआवेई टेक्नोलॉजीज की बेंगलुरु में एक बड़ी उपस्थिति है और इसका विस्तार करना चाहती है।”
वहीं आगे ‘वाजपेयी गोज टू चाइना (Vajpayee Goes to China)’ शीर्षक वाले चैप्टर में, जयराम रमेश ने द्विपक्षीय और क्षेत्रीय पहलों के मद्देनजर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की चीन यात्रा पर चर्चा की। उन्होंने चीनी कंपनियों, विशेष रूप से हुआवै के भारत में हतोत्साहित होने के बारे में भी बात की । उन्होंने आगे के चैप्टर में फिर से उल्लेख किया कि हुआवै ने बेंगलुरु में 500 भारतीय इंजीनियरों को नियुक्त किया है और निराशा व्यक्त की कि भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों ने कंपनी के बारे में चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने लिखा, “जब भारत में चीनी निवेश की बात आती है तो हम पुरानी मानसिकता के कैदी हो जाते हैं।”
When Jairam Ramesh was minister during UPA, Check how he used to do lobbying for Chinese companies in India.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) January 23, 2023
Now Jairam Ramesh leads Congress strategy and communication.
No wonder Congress is still Chinese propaganda that Indian soldiers were beaten at border. pic.twitter.com/l7b8DxUfXs
चीनी कंपनी हुआवै के लिए जयराम रमेश के प्यार ने 2010 में सुर्खियाँ बटोरी थीं। यह नहीं भूलना चाहिए कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत में हुआवै के निवेश के संबंध में दिए गए उनके एक बयान पर नाराजगी व्यक्त की थी।