देश के बड़े उद्योगपति रतन टाटा की मृत्यु के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा ने उनकी जिम्मेदारी संभाल ली है। रतन टाटा मृत्यु के पहले तक टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन थे। अब यह जिम्मेदारी नोएल टाटा को मिली है। नोएल टाटा अब टाटा समूह की दूसरी कम्पनियों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
नोएल टाटा एक आयरिश नागरिक हैं और अब तक वह टाटा समूह की कंपनी ट्रेंट और वोल्टास के मुखिया हैं। ट्रेंट को उन्होंने देश की बड़ी फैशन चेन में बदला है। इसी के साथ वह रतन टाटा ट्रस्ट और दोराबजी टाटा ट्रस्ट के भी ट्रस्टी हैं। यह दोनों ट्रस्ट भी टाटा ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं। टाटा ट्रस्ट की टाटा संस में 66% की हिस्सेदारी है और यह इस समूह का मालिक है।
टाटा समूह इस टाटा संस के अंतर्गत आता है। नोएल टाटा के प्रमुख बनाए जाने की जानकारी अभी टाटा ट्रस्ट ने आधिकारिक रूप से नहीं दी है। हालाँकि, यह बात लगभग तय है कि रतन टाटा की जगह वही ले रहे हैं। नोएल टाटा को रतन टाटा के अंतिम संस्कार के दौरान देखा गया था।
67 वर्षीय नोएल टाटा पिछले 4 दशकों से टाटा समूह से जुड़े हैं। उनकी शिक्षा इंग्लैंड से हुई है। नोएल टाटा अभी तक टाटा स्टील जैसी कम्पनियों से जुड़े हुए हैं। उनकी सबसे बड़ी सफलता टाटा समूह के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को 2010 से 2021 के बीच 6 गुना करना रही है। वह टाटा इंटरनेशनल के 2010 से 2021 के बीच मुखिया रहे हैं।
उनकी माँ सिमोन टाटा, रतन टाटा के पिता नवल टाटा की दूसरी पत्नी थीं। सिमोन टाटा स्विटज़रलैंड में जन्मी थीं और यहाँ उन्होंने फैशन ब्रांड लेक्मे की शुरुआत की थी। नोएल टाटा की पत्नी अलू मिस्त्री, टाटा के पूर्व चेयरमैन पी सायरस मिस्त्री की बहन हैं। अलू मिस्त्री के पिता पलून जी मिस्त्री टाटा में बड़े हिस्सेदार हैं।
नोएल टाटा के नाम को लेकर अंतिम फैसला ट्रस्ट का बोर्ड करेगा। लेकिन उनके नाम को पारसी समाज का भी समर्थन मिलने का अनुमान है क्योंकि वह टाटा परिवार से ही आते हैं और लम्बे समय से ट्रस्ट के तौर तरीके को जानते हैं।
टाटा समूह बीते कुछ वर्षों में काफी बड़े बदलावों से गुजरा है। उसकी कई कम्पनियाँ घाटे से निकल कर फायदे में आई हैं। हालाँकि, स्टील और जैगुआर-लैंडरोवर जैसी उसकी कम्पनियाँ उसके लिए चिंता विषय हैं। यह कम्पनियाँ बीते कुछ समय में समस्या से गुजर रही हैं। नोएल टाटा को इनसे सम्बन्धित भी कड़े फैसले लेने होंगे।