Sunday, November 17, 2024
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नज़ीर की शहादत पर मैं रोई नहीं, आतंक छोड़कर देश के लिए बलिदान होना गर्व की बात: महज़बीं वानी

महज़बीं के अनुसार वो शिक्षा के माध्यम से बच्चों को देश के बेहतर नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। महज़बीं युवाओं को सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देंगी, उन्हें इसकी प्रेरणा अपने पति से मिली है।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर अशोक चक्र से सम्मानित हुए शहीद लांस नायक नज़ीर अहमद वानी की पत्नी महज़बीं ने कहा कि उनके पति के पराक्रम का ही असर था, जिसने उनकी शहादत की ख़बर सुनकर भी आँखों से आँसू नहीं बहने दिए। जम्मू और कश्मीर के शोपियां में विगत नवम्बर के महीने आतंकवाद विरोधी अभियान में शहीद हुए नज़ीर वानी को शांति काल में दिए जाने वाले भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार – अशोक चक्र से सम्मानित किए जाने के सरकार के निर्णय के बाद महज़बीं ने यह बात कही।

लांस नायक नज़ीर वानी को शान्ति काल में देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र के लिए चुना गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर लांस नायक नज़ीर वानी के परिवार को अशोक चक्र से सम्मानित किया। नज़ीर वानी की पत्नी महज़बीं पेशे से शिक्षिका हैं। अपने पति की तरह ही नज़ीर वानी की पत्नी ने भी देश की सेवा करने का प्रण लिया है। बस इसके लिए महज़बीं ने दूसरा रास्ता अपनाया है।

महज़बीं के अनुसार वो शिक्षा के माध्यम से बच्चों को देश के बेहतर नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। महज़बीं युवाओं को सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देंगी, उन्हें इसकी प्रेरणा अपने पति से मिली है। महज़बीं की नज़ीर वानी से लगभग 15 साल पहले स्कूल में पहली बार मुलाक़ात हुई थी।

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में चेकी अश्मुजी के रहने वाले वानी नज़ीर वानी, आतंकवाद का रास्ता छोड़कर 2004 में सेना में भर्ती हुए थे। नज़ीर वानी के लिए उनकी बटालियन 162/टीए जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंट्री पहली प्राथमिकता थी। आतंकवाद की राह छोड़कर नज़ीर वानी अपने आस-पास के लोगों को लिए प्रेरणा स्रोत बन गए थे।

आतंक का दामन छोड़ कर, नज़ीर वानी ने 2004 में आत्मसमर्पण करने के कुछ वक्त बाद ही भारतीय सेना ज्वॉइन कर ली थी। कभी सेना के ख़िलाफ़ लड़ने वाले इस बहादुर जवान ने आतंकवादियों से लड़ते हुए नवंबर 25, 2018 को शोपियाँ के हीरापुर गांव में आतंकवादियों के साथ एक भीषण मुठभेड़ में कई गोलियां लगाने बाद अंततः भारत माँ के इस सपूत ने शहादत का चोला ओढ़ लिया।

शहीद वानी की पत्नी महज़बीं ने कहा, “उनके शहीद हो जाने की ख़बर जानने के बाद भी मैं रोई नहीं। एक अंदरूनी संकल्प था, जिसने मुझे रोने नहीं दिया।”

पेशे से शिक्षिका और 2 बच्चों की माँ महज़बीं ने कहा कि नज़ीर का प्यार एवं निडर व्यक्तित्व, युवाओं को अच्छा नागरिक बनने की दिशा में प्रोत्साहित करने की प्रेरणा देता रहेगा।


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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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