गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के महंत और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने एक चौंकाने वाली घोषणा की है। उन्होंने सार्वजानिक जीवन से संन्यास लेकर पूरी तरह अपना जीवन धार्मिक कार्यों में लगाने की बात कही है। उन्होंने इस्लामी जिहाद के खिलाफ अपनी लड़ाई और धर्म संसद के आयोजन से खुद को अलग करने की भी घोषणा की है।
यति नरसिंहानंद ने ये बातें 19 मई 2022 (गुरुवार) को कही। जितेंद्र नारायण त्यागी (पूर्व वसीम रिज़वी) के खिलाफ हुई कार्रवाई के लिए भी खुद को दोषी बताया है। एक वीडियो जारी कर यति नरसिंहानंद ने कहा, “हम सभी जितेंद्र नारायण त्यागी को जेल में से लेने आए थे। उनकी रिहाई हो गई है। वे हमसे मिलने से पहले ही चले गए हैं। उनसे हमारा यहीं तक का साथ था। उनके साथ हमारे सुखद या दुखद अनुभव का पूर्णतया दोषी मैं हूँ। उनकी कोई गलती नहीं है। उन्होंने केवल सच बोला। मेरी कमजोरी के चलते उन्हें 4 महीने से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा। इसके लिए मैं उनसे क्षमाप्रार्थी हूँ।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं हिन्दू समाज से कहना चाहता हूँ कि मैंने अपना जीवन जितना भी था उसे इस्लाम के जिहाद से लड़ने में लगाया। लेकिन अब बचा हुआ जीवन मैं माँ और महादेव के यज्ञ के साथ योगेश्वर की गीता के प्रचार-प्रसार में लगाना चाहता हूँ। मैं अब तक अपने से हुई गलतियों के लिए माफी माँगता हूँ। आज के बाद मैं सार्वजानिक जीवन में नहीं हूँ। मेरे जीवन में अब नया अध्याय केवल एक धार्मिक व्यक्ति के तौर पर शुरू होता है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यति नरसिंहानंद ने यह फैसला हिन्दू समाज की उदासीनता के चलते लिया है। उन्होंने कहा, “वर्ष 2012 से मैंने देवबंद के इस्लामी जिहाद के खिलाफ धर्म संसद शुरू की थी। लेकिन वो आज समाप्त हो रही। धर्म संसद में जेल गए साथियों के लिए संघर्ष में हिन्दू समाज ने हमारा साथ नहीं दिया। हिन्दू समाज के योद्धाओं की दुर्गति हो रही है।”
हिन्दू समाज को धर्म के लिए लड़ने मरने मिटने वालों की आवश्यकता नहीं उन्हें भारत की राजनीति के अधीन ही चलना है । pic.twitter.com/Vll8RXKSPe
— स्वामी नरसिंहानन्द गिरी (@Mnarsinghanand) May 19, 2022
गौरतलब है कि कि हरिद्वार में 17-20 दिसंबर को धर्म संसद का आयोजन हुआ था। इस धर्म संसद में भड़काऊ बयान का आरोप लगाते हुए मुस्लिम पक्ष द्वारा शिकायत दर्ज करवाई गई थी। शिकायत के बाद यति नरसिंहानंद गिरी और जितेंद्र नारायण त्यागी की गिरफ्तारी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट तक में इस धर्म संसद के विरुद्ध याचिका दाखिल हुई थी।