पश्चिम बंगाल में इस साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जबरदस्त हिंसा हुई। चुनाव परिणाम में ममता बनर्जी की तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) की जीत के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा का ये दौर और ज्यादा बढ़ गया। पार्टी ने पिछले 6 महीने में 165 कार्यकर्ताओं की हत्या और 20,000 को बेघर किए जाने का आरोप लगाया है। उधर वीडियो प्लेटफॉर्म यूट्यूब (YouTube) ने बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोषणा के उन वीडियोज को हटा दिया, जिसमें उन्होंने बंगाल में हुई हिंसा को दिखाया था।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने शुक्रवार (जुलाई 23, 2021) को पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के कुछ वीडियो YouTube पर शेयर किए थे। लेकिन, YouTube का कहना है कि ये वीडियो उसके ‘कम्युनिटी दिशानिर्देशों’ का उल्लंघन करते हैं, इसीलिए उन्हें हटा दिया गया है। कंपनी का कहना है कि इन वीडियोज में ‘क्रूर हिंसा’ थी, इसीलिए यूट्यूब ने इन्हें हटाया। भाजपा प्रवक्ता शमीक भट्टाचार्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में वास्तविक स्थिति यही है।
दिलीप घोष ने “Some of the illustrious achievements of the Trinamool Congress government in past two months” टाइटल के साथ इनके वीडियोज को शेयर किया था, जिसका अर्थ है – “पिछले दो महीनों में तृणमूल कॉन्ग्रेस की सरकार की कुछ शानदार उपलब्धियाँ”। यूट्यूब का कहना है कि उसके दिशानिर्देशों को कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि समुदाय सुरक्षित रहे।
West Bengal Bharathiya Janata Party (BJP) president Dilip Ghosh on July 23 shared YouTube videos of purported post-poll violence in the Statehttps://t.co/RA12Ezhd0c
— The Hindu (@the_hindu) July 24, 2021
कंपनी ने कहा कि घृणास्पद बयान, प्रताड़ना, स्पैम, धोखाधड़ी और हिंसा से जुड़े ग्राफिक्स दिखाने वाले वीडियोज को वो हटा लेता है। 21 जुलाई को दिलीप घोष ने जानकारी दी थी कि 2 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद से 21 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याएँ हुई हैं। भाजपा प्रवक्ता भट्टाचार्य ने कहा कि यूट्यूब भी इन वीडियोज से हैरान है, इसीलिए उसने इन्हें डिलीट किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगाल हिंसा के नाम पर फेक वीडियोज शेयर करने का आरोप भाजपा पर लगाती रही हैं।
अपनी जाँच रिपोर्ट में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने कहा है कि अनुसूचित जनजाति समुदाय राज्य में चुनाव के बाद से डर में जी रहा है। वह पुलिस के समक्ष या रेवेन्यू अधिकारियों के पास शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं। मिदनापुर जिले में आयोग ने पाया कि मुंडा जनजाति के लोगों को हिंसक भीड़ ने निशाना बनाया और उन्हें उनके घर में घुसे रहने को इतना मजबूर किया कि वह बाजारों में अपनी कृषि उपज बेचने भी नहीं जा पाए। कई आदिवासियों को उनके वाहन को सड़कों पर चलाने की अनुमति तक नहीं दी गई।