मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा विवादास्पद यू ट्यूबर मारिदास (Maridhas) के खिलाफ एक FIR रद्द करने के कुछ दिनों बाद ही, उन्हें एक बार फिर से गिरफ्तार किया गया है, इस बार वजह बनी है 2020 का एक वीडियो, जहाँ उन्होंने COVID-19 के तेजी से प्रसार के लिए मुस्लिम समुदाय की भूमिका पर सवाल उठाया था। यह एक के बाद तीसरा मामला है जिसमें तमिलनाडु में मारिदास को गिरफ्तार किया गया है।
दो दिन पहले, मद्रास उच्च न्यायालय ने एक ट्वीट की वजह से गिरफ्तार किए जाने के बाद उनके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द कर दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि तमिलनाडु ‘डीएमके शासन के तहत एक और कश्मीर में बदल रहा है।’ जबकि दूसरी गिरफ्तारी न्यूज 18 मीडिया समूह द्वारा दायर एक मामले में हुई थी जिसमें मारिदास पर एक फेक ईमेल के जरिए मीडिया हाउस को जिम्मेदार ठहराने का आरोप है।
बता दें कि इस बार तबलीगी मामले में एक एफआईआर दर्ज होने के एक साल बाद मारिदास की गिरफ्तारी हुई है। अप्रैल 2020 में, मारिदास को तिरुनेलवेली पुलिस ने कोरोनोवायरस के फैलाव को लेकर तबलीगी मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहराने वाले उनके वीडियो के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर सांप्रदायिक भावना को भड़काने के आरोप में केस दर्ज किया था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उस वीडियो में मारिदास ने दावा किया था, “कोरोनावायरस जानबूझकर आतंकवादियों (मुस्लिम) द्वारा दुनिया भर में निर्दोष लोगों की हत्या के लिए फैलाया जा रहा है।” वहीं तमिलनाडु पुलिस के अनुसार, मारिदास जिसे चेन्नई के पुझल सेंट्रल जेल रखा गया है, को गुरुवार 16 दिसंबर को तिरुनेलवेली जिला अदालत में पेश किया गया है।
बता दें कि इस खबर के अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत को लेकर भी मारिदास ने अपने एक ट्वीट में डीएमके सरकार पर सवाल खड़े किए तब भी उनके खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। जिसमें यूट्यूबर मारिदास ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर क्रैश को लेकर राज्य की डीएमके सरकार पर सवाल उठाया था।
मारिदास ने अपने उस ट्वीट में हादसे में साजिश की आशंका जताते हुए अलगाववादी ताकतों को रोकने के लिए देश के लोगों से साथ आने की अपील की थी। उन्होंने एक अलग ट्वीट में लिखा था कि सीडीएस रावत की मौत का डीएमके और डीके समर्थकों ने मजाक उड़ाया था। पुलिस ने मारिदास पर आईपीसी की कई धाराओं के अंतर्गत उन पर मुकदमा दर्ज किया और पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया था। इसी मामले में दो दिन पहले ही मद्रास हाईकोर्ट ने मामला रद्द करते हुए उन्हें राहत प्रदान की थी।