राजनीति में ‘क्या कहा जा रहा है’ के साथ-साथ ‘कौन कह रहा है’ का भी अपना महत्व होता है। कई बार किसी बात में, किसी आरोप में कितना दम है इसकी पूरी तस्दीक के लिए बोलने वाले का इतिहास, उसकी पृष्ठभूमि* आदि को भी ध्यान में रखना जरूरी हो जाता है। इसी पैमाने पर अगर नरेंद्र मोदी को ‘मुख्य विभाजक’ कहने वाले आतिश तासीर को रखा जाए तो पहली नजर में भले ही वह ‘आइडियल लिबरल’ के रूप में निखरें, पर ज़रा गौर से देखने पर उनके पैतृक खानदान में वही हिन्दुओं के लिए नफ़रत, हिंदुस्तान से दुश्मनी और इस्लामिक कटटरपंथ को व्यक्त-अव्यक्त समर्थन दिखेगा जिसे वह अपनी माँ तवलीन सिंह के सिख होने के पीछे छिपने की कोशिश करते हैं। पिता कश्मीर पर हिंदुस्तान के खिलाफ आग उगलते रहे, भारतीय हॉकी टीम को ‘बबून’ (बंदर) कहते रहे, हमारी सेना का मखौल उड़ाते रहे। दादा ने एक हिन्दू की ‘FoE’ छीन उसे मौत के घाट उतारने वाले इस्लामी कट्टरपंथी के हक में अंग्रेजों से ‘सौदेबाजी’ की थी।
‘रंगीला रसूल’, इल्मुद्दीन, और मुहम्मद दीन तासीर
1927 में हिंदुस्तान में कुछ पर्चे (पैम्फलेट) बँटने लगे थे, जिनमें भगवान श्रीराम की पत्नी और भगवती लक्ष्मी का अवतार मानीं जाने वालीं माता सीता को ‘वेश्या’ बताया गया था। उन माता सीता को, जिनका व्यक्तित्व हिन्दुओं में चरित्र का मापदण्ड है। इससे बिफ़रे एक आर्यसमाजी पण्डित चमूपति ने ‘रंगीला रसूल’ नामक एक पुस्तक लिखी और लाहौर के महाशय राजपाल ने उसे प्रकाशित कर दिया। न केवल प्रकाशित किया बल्कि लेखक के नाम अलावा उसकी कोई भी पहचान उजागर करने से भी इंकार कर दिया।
नाराज हो इल्मुद्दीन नामक एक कट्टरपंथी ने महाशय राजपाल की चाकू घोंपकर हत्या कर दी, और खुद फाँसी पर चढ़ गया। अंग्रेज सरकार उसे एक मामूली कातिल की तरह दफ़ना देना चाहती थी पर कुछ मजहब के लोग अड़ गए कि उसे बाकायदा इस्लामी गाजे-बाजे के साथ ‘शहीदी’ विदाई दी जाए। अंग्रेजों के साथ उसे एक ‘शहीदी’ सुपुर्दे-खाक देने के लिए जमकर सौदेबाजी करने वालों में एक था मोहम्मद दीन तासीर। आतिश तासीर का दादा, जिसने लिबरलों की प्यारी ‘FoE’ का क़त्ल करने वाले कातिल के जनाज़े का इंतज़ाम किया। और इस जनाज़े का पाकिस्तान मूवमेंट में कितना बड़ा हाथ रहा, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस कातिल इल्मुद्दीन को दफ़नाने पाकिस्तान के ‘बौद्धिक बाप’ अल्लामा इक़बाल आए। आए और आँसू बहा कर कहा कि हम तो बैठे ही रह गए, और यह बढ़ई का लड़का ‘बाज़ी’ मार ले गया।
आए तो वैसे उसे फाँसी से बचाने जिन्ना भी थे, मगर पता है कि उसकी काट फट से यह कहकर कर दी जाएगी कि वकील का तो काम ही है कातिलों के लिए कानून से कबड्डी खेलना।
आज पाकिस्तान में जिन्ना की ही तरह ‘मजार’ है इल्मुद्दीन की, जहाँ उसकी ‘वीरता’ और उसके ‘बलिदान’ के किस्से सुनाए जाते हैं। और इसका श्रेय जाता है मुहम्मद दीन तासीर को- आतिश तासीर के दादा को।
एक और बात: जिस 295A को ‘लिबरल गैंग’ अपना सबसे बड़ा दुश्मन बताता है, अभिव्यक्ति की आजादी का अंत बताता है, उसे भी ‘रंगीला रसूल’ किताब के खिलाफ कानूनी तौर पर कुछ न कर पाने की नाराजगी को दूर करने के लिए ही बनाया गया था। जिस समय यह किताब छपी, उस समय मजहबी भावनाओं को आहत करने के खिलाफ कोई कानून नहीं था और इसलिए पूरे शहर के कट्टरपंथियों के गुस्से के बावजूद महाशय राजपाल का कोई कोर्ट-कचहरी बाल भी बाँका नहीं कर पाई थी। लेकिन कट्टरपंथियों के गुस्से को देखते हुए आगे के लिए यह कानून बना दिया गया।
हिंदुस्तान को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी सलमान तासीर ने भी
सलमान तासीर बेशक पाकिस्तान के जाहिलाना कानून ‘ईश-निंदा के लिए मौत की सजा’ की मुख़ालफ़त करते हुए हलाक हुए, और इसके लिए उनकी जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है। पर मौत किसी के स्याह सच को नहीं बदल देती। और यह भी एक कड़वा सच ही है कि ‘लिबरल’ तासीर हिंदुस्तान से उतनी ही नफ़रत का प्रदर्शन करते थे अपने ट्विटर अकाउंट पर जितनी उनके मुल्क के ‘कठमुल्ले’।
What about millions of muslims who migrated 2 Pak?RT @rajivememem: Shame :Pakistan’s two dozen Hindu families seek asylum in India:
— Salmaan Taseer (@SalmaanTaseer) December 27, 2010
CM Omar Abdulla rightfully observed Kashmir never merged wth India & is internationally disputed. not integral part of India Now What ?w
— Salmaan Taseer (@SalmaanTaseer) October 9, 2010
What happened 2 the Indian baboons? RT @etribune Australian cyclists dodge wild dogs, monkey during #CWG race! http://t.co/GJ0yKtC #India
— Salmaan Taseer (@SalmaanTaseer) October 10, 2010
Which card? The joker ! RT @smitaprakash: US hinted at using India card if Pk doesnt toe the line in Afghnstn http://t.co/d0nFFSx
— Salmaan Taseer (@SalmaanTaseer) October 24, 2010
RT @ArundhathiRoy: Kashmir has never been an integral part of India. It is a historical fact. Even the Indian government has accepted this.
— Salmaan Taseer (@SalmaanTaseer) November 3, 2010
मेरी बात पर अँधा यकीन मत करिए। सलमान तासीर का ट्विटर अकाउंट आज भी है- उस पर एडवांस्ड सर्च में जरा नाम सलमान तासीर के ट्विटर अकाउंट का डालिए, और कीवर्ड डालिए ‘India’। हिंदुस्तान के लिए जहर से भरे ट्वीट निकल-निकल कर दिखेंगे। खुद आतिश तासीर इस बात की तस्दीक कर चुके हैं कि उनके वालिद और पाकिस्तानियों की तरह वह भी हिंदुस्तान से नफरत की ग्रंथि से ग्रस्त हैं। और यह ट्वीट बताते हैं कि सलमान तासीर ने पाकिस्तान में फैले कठमुल्लावाद को मिटाने के लिए चाहे जो किया, जितना भी किया, लेकिन वह हिन्दू और हिंदुस्तान को निशाना बनाने की पाकिस्तानी संस्कृति से खुद की एक अलग तस्वीर नहीं पेश कर पाए।
अब भी कोई आश्चर्य है कि आतिश को हिन्दूफ़ोबिया फैंटेसी लगता है?
इन चीज़ों के परिप्रेक्ष्य में अगर आतिश तासीर को देखा जाए साफ़ पता चलता है कि कट्टरपंथी इस्लाम से सहानुभूति और हिंदुस्तान से नफ़रत विरासत में मिले हैं। उनकी माँ ने उन्हें किस तरह की (सेक्युलर, या हिन्दू -सिख, या मुस्लिम) परवरिश दी, इस पर तो मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता पर यह साफ़ है कि हिन्दू-सिख माहौल में पलने-बढ़ने के बावजूद इस्लामी कट्टरपंथ उनपर मोदी के आकलन के समय हावी हो ही गया। इसीलिए संविधान के अनुच्छेद 25-30 से लेकर मजहबी तौर पर भेदभावपूर्ण RTE, सदियों से लटके राम मंदिर और सदियों की मेहनत से स्थापित पवित्र क्षेत्र को अपवित्र करवा चुके सबरीमाला तक के बाद भी उन्हें हिन्दूफ़ोबिया ‘फैंटेंसी’ लगता है। आतिश पता नहीं ‘gone case’ हैं या नहीं इस्लामी कटटरपंथ के, पर वह सेक्युलर तो नहीं ही हैं…
*(हालाँकि ,जरूरी नहीं कि हर एक बार इंसान की बात को तौलने के लिए उसकी पृष्ठभूमि को देखा ही जाए पर अधिकांश विषयों पर यह महत्वपूर्ण हो ही जाता है।)