Wednesday, November 6, 2024
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सिर्फ हिंदुओं (गैर-मुस्लिमों) की 55% संपत्ति पर कब्जा करेगी कॉन्ग्रेसी सरकार, इस्लाम मानने वालों के पास रहेगी 100% दौलत: मुस्लिम पर्सनल लॉ से समझिए कॉन्ग्रेस का खेल

कॉन्ग्रेस के सत्ता में आने के बाद हिंदुओं के उत्तराधिकार नियम में बदलाव लाया जाएगा, जिसमें हिंदुओं की मौत की सूरत में उसका 55 प्रतिशत हिस्सा सरकार के हाथ में चला जाएगा।

कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने वादा किया है कि वो सत्ता में आएँगे, तो अमीरों से पैसे छीन लेंगे और गरीबों में बाँट देंगे। कॉन्ग्रेस पार्टी सत्ता में आने के बाद लोगों की संपत्ति की जाँच कराएगी और अगर संपत्ति ज्यादा होगी, तो उसे सरकार अपने कब्जे में ले लेगी। फिर इस संपत्ति को उन्हें दे देगी, जिनके पास संपत्ति कम है। वैसे सुनने में ये बड़ा क्रांतिकारी आईडिया लगता है, लेकिन हकीकत में कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा ही किसी को नहीं है।

इस बीच, राहुल गाँधी ही नहीं, उनकी माँ सोनिया गाँधी के करीबी और कॉन्ग्रेसी थिंक टैंक के बड़े चेहरे सैम पित्रोदा ने जले पर नमक छिड़कने और नए जख्म देने की कोशिश करते हुए भारत में अमेरिकी कानून की बात कह दी। उनके मुताबिक, अमेरिका में किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसकी संपत्ति का 45 प्रतिशत हिस्सा ही उत्तराधिकारियों को मिलता है, बाकी सरकार ले लेती है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद कॉन्ग्रेस इस पर भी सोचेगी।

सिर्फ हिंदुओं पर ही असर?

कॉन्ग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में दावा किया है कि वो सारे ‘पर्सनल लॉ’ वापस लाएगी। वो शरिया के भी पक्ष में है। वो तीन तलाक के भी पक्ष में है और तमाम वो गैर-हिंदू कानून, जिसपर कोर्ट रोक लगा चुकी है और मोदी सरकार कानून बना चुकी है, वो उन्हें वापस लाएगी। वो आर्टिकल 370 भी वापस लाएगी और 35ए भी। इसका सीधा सा मतलब है कि पहले की तरह ही जम्मू-कश्मीर में पूरे देश से अलग कानून चलने लगेगा। मुस्लिमों के सारे विवादों, जिसमें उत्तराधिकार कानून भी है, वो सब पर्सनल लॉ के दायरे में आ जाएँगे।

कॉन्ग्रेस के सत्ता में आने के बाद हिंदुओं (कॉन्ग्रेस के मेनिफेस्टो के मुताबिक, पर्सनल लॉ से छेड़छाड़ नहीं) के उत्तराधिकार नियम में बदलाव लाया जाएगा, जिसमें हिंदुओं की मौत की सूरत में उसका 55 प्रतिशत हिस्सा सरकार के हाथ में चला जाएगा। और वेल्थ री-डिस्ट्रीब्यूशन के नाम पर वो अन्य लोगों में बाँट दिया जाएगा। ये तो वही बात हो गई, जिंदगी के साथ भी कॉन्ग्रेस की वसूली और मरने के बाद भी वसूली। यानी फर्क सिर्फ हिंदुओं पर पड़ेगा और उन समुदायों पर, जिनपर हिंदुओं के कानून लागू होते हैं। खासकर संपत्ति का मामला, जिसमें हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म जैसे सनातनी हैं।

इस्लाम में इस तरह से होता है विरासत का बंटवारा

इस्लाम में संपत्ति का बंटवारा शरीयत एक्ट 1937 के जरिए होता है। इसके लिए उत्तराधिकारी पर्सनल लॉ के तहत तय होते हैं। किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति में बेटे, बेटी, विधवा और माता-पिता को हिस्सा मिलता है। बेटी को बेटे से आधी संपत्ति देने का प्रावधान है। विधवा को संपत्ति का छठाँ हिस्सा मिलता है। ये चौथाई या आठवाँ हिस्सा भी हो सकता है। कोई सीधा उत्तराधिकारी न होने की सूरत में चौथाई, बेटा-पोता होने पर आठवाँ हिस्सा।

वैसे मुस्लिम परिवार में जन्मे बच्चे को जन्म के साथ ही संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता है। इसके लिए जरूरी है कि किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके उत्तराधिकारी अंतिम संस्कार करें। उसके सारे कर्ज चुकाए। इसके बाद संपत्ति की कीमत या वसीयत निर्धारित की जारी है और फिर शरिया कानून के अनुसार संपत्ति को रिश्तेदारों में बाँटा जाता है। एक बात और खास है, वो है संपत्ति का सरकार के कब्जे में न जाना। न ही कोई व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति का वसीयत कर सकता है और न ही सरकार किसी मुस्लिम की पूरी संपत्ति को कब्जा कर सकती है, क्योंकि मुस्लिमों में उत्तराधिकार के लिए पति-पत्नी, माता-पिता, बेटा-बेटी, दूसरी-तीसरी पत्नी, पोता-पोती सबकी हिम्मेदारी लग सकती है, लेकिन पूरी संपत्ति वसीयत नहीं की जा सकती।

हालाँकि अब कॉन्ग्रेस सैम पित्रोदा के बयान से पलड़ा झाड़ती दिख रही है। एक तरफ तो जयराम रमेश सैम पित्रोदा को गुरु और मार्गदर्शक बताकर उनके बयान को ‘निजी’ बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ सैम अपने बयान को तोड़ने मरोड़ने का आरोप लगा रहे हैं, साथ ही कह रहे हैं कि वो बस उदाहरण दे रहे थे। ये अलग बात है कि उदाहरण देने के बाद उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि हम भारत में इस तरह की चीजों के बारे में सोच सकते हैं। खैर, अब लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है। जनता के हाथ में फैसले की ताकत है। अब ये जनता ही तय करेगी कि उसे पूरे देश में एक समान कानून व्यवस्था चाहिए या फिर बहुसंख्यकों की संपत्तियों को छीनने की बात करने वाली पार्टी की सत्ता।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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