स्टैंड-अप कॉमेडियन से ‘नफरती चिंटू’ बने उसके बाद राजनीतिक प्रोपेगेंडा का बीड़ा उठाए कुणाल कामरा ने हाल ही में एक वीडियो साझा किया था। जिसमें इंटरव्यू की आड़ में अरविंद केजरीवाल को पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ दिल खोलकर भड़ास निकालते हुए देखा जा सकता है। इस इंटरव्यू में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता के लिए अपनी सरकार की उपलब्धियों (यदि कोई हो) के बारे में कम और छद्म नफ़रत, मॉब लिंचिंग के साथ ही मोदी और शाह को सत्ता से हटाने की जरूरत है, इस पर ज़्यादा बात की है लेकिन क्यों? इस पर फिर से वही हिटलर वाला पुराना राग अलापा गया है।
वैसे इस इंटरव्यू में कुछ नया नहीं है, चुनावी माहौल में केजरीवाल की छवि को पहुँचे ठेस ‘कि उन्होंने लगभग मना ही कर दिया जी’ को संभालने की कोशिश की गई है। तथ्य कुछ ज़्यादा है नहीं बस नैरेटिव बिल्डिंग के लिए कुछ सेलेक्टिव वीडिओ क्लिप का उपयोग करते हुए वह सब साबित करने की कोशिश की गई है, जिसका इन्हें ठीक-ठीक पता है कि ऐसा नहीं होने वाला जैसे इसी इंटरव्यू में कैसे कहा जा रहा है, “अगर 2019 में मोदी लोकसभा चुनाव जीत गया तो फिर कभी चुनाव नहीं होने देगा।”
कभी स्वघोषित ‘मिथ्यावादी’ ईमानदार के जब अधिकांश दावे खोखले साबित हुए, कॉन्ग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ हज़ारो पन्ने के सबूत हवा हो गए। AAP के ‘हिटलर’ आज दूसरे को हिटलर के नाम पर डराते हुए, ये भूल जाते हैं कि उनका हर रंग पब्लिक के सामने है कि कैसे उन्होंने अपनी ही पार्टी के लगभग सभी संस्थापकों को बाहर का रास्ता दिखाया, कैसे जिस कॉन्ग्रेस के खिलाफ सबूत लहराकर, दिल्ली की जनता से झूठ बोलकर सत्ता हासिल किया, उसी को ठेंगा दिखाते हुए उसी कॉन्ग्रेस की गोद में झूलने के लिए तैयार हो गए। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के मसीहा बने फिरने वाले केजरीवाल अन्ना हज़ारे के सिद्धांतों को खाँस-खाँस कर उड़ा देने के बाद महागठबंधन के मंच पर उन्ही भ्रष्टाचारी आरोपितों को बाँहों का हार पहनाते नज़र आए।
और आज केजरीवाल के जब सारे दावों की पोल खुल चुकी है। उनके 70 दावों में से 67 हवा-हवाई साबित हो चुके हैं अर्थात बुरी तरह विफल हैं। लेकिन, उसके ज़िम्मेदार तो वह है नहीं क्योंकि मोदी ने उन्हें काम ही नहीं करने दिया और देश में कहीं भी, किसी भी राज्य में कोई आपराधिक घटना घटी तो उसका ज़िम्मेदार राज्य सरकार नहीं बल्कि मोदी ही है। जब सारी ज़िम्मेदारी मोदी की, तो सत्ता की बागडोर ऐसे गैर ज़िम्मेदार नेताओं को क्यों सौप दे देश की जनता जो ना ना करते हुए भी सिर्फ सत्ता की मलाई खाना ही चाहते हैं।
केजरीवाल को 5 सालों तक मोदी ने काम करने नहीं दिया और अब वह तभी काम करेंगे जब दिल्ली पूर्ण राज्य हो जाएगी तो जिस शिला दीक्षित के खिलाफ ये बोरे में सबूत लेकर घूम रहे थे। जिनके ऊपर गैर ज़िम्मेदारी का आरोप मढ़ते रहे, क्या तब दिल्ली पूर्ण राज्य थी? आज जब केजरीवाल की एक मात्र तथाकथित उपलब्धि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार नहीं बल्कि कुछ बिल्डिंगे बनाने का दावा है, उसका भी भांडा फूट चुका है। तो केजरीवाल का नया शिगूफा तैयार है कि अब दिल्ली में तभी कोई काम होगा जब दिल्ली पूर्ण राज्य होगी। ‘नौटंकीबाज’ केजरीवाल को ये अच्छी तरह से मालूम है कि ऐसा निकट भविष्य में नहीं होने वाला, इस मामले में भारत की तुलना विदेश से करना भी बेमानी है। यह बात भी पता है उन्हें फिर भी ऐसे में केजरीवाल ने जानबूझकर दिल्ली के विकास के मुद्दे को दिवास्वप्न बना कर छोड़ दिया है। और दूसरे पर मनगढंत आरोप लगाते फिर रहे हैं।
खैर, इसी इंटरव्यू में किस तरह से अपने बच्चों की कसम खाने वाले केजरीवाल पीएम मोदी और अमित शाह की तुलना एक ‘कैंसरग्रस्त ट्यूमर’ से करते हैं जिससे देश को बचाने के लिए, उन्हें सत्ता से हटाने की आवश्यकता है। यहाँ वह भूल जाते हैं कि देश उनकी इस नौटंकी और धूर्तता को ठीक से समझ रहा है फिर भी जब उनसे पूछा गया कि मोदी नहीं तो कौन जिसे आप प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं? क्या राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं? इस पर कुछ दिन पहले ही कॉन्ग्रेस के आगे नाक रगड़ने वाले यूटर्न के महारथी केजरीवाल ने जवाब दिया, “मैंने एक उपमा सुनी है जब आपको ट्यूमर का पता चलता है, तो आप यह नहीं कहते हैं कि ट्यूमर नहीं, तो कौन? मोदी और शाह को हटाने की जरूरत है। फिर हम देखेंगे कि कौन पीएम बनता है।” शायद केजरीवाल अभी भी खुद को प्रधानमंत्री की रेस में मान रहे हैं!
या देश की जनता को झूठ बोलकर, बरगलाकर महामिलावटी ठगों की पूरी फौज को सत्ता पर आसीन करवाने का सपना पाले बैठे हैं। नीचे वीडिओ में बात करते हुए केजरीवाल की कुटिल मुस्कान और धूर्तता का नज़ारा लिया जा सकता है। कैसे इस वीडिओ में मोदी के अक्षय कुमार को दिए इंटरव्यू का भी वह हिस्सा उपयोग किया गया है जब अक्षय मोदी से कुछ लाइट मूड के सवाल कर रहे हैं। खैर ऐसा बहुत ही आसानी से ये पूरा गिरोह करता है, झूठ बनाता है या सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर अपने हिसाब से ट्वीस्ट करता है और जब वह फेक न्यूज़ फैलने लगती है तो धीरे से किनारे हो लेता है। और जैसे ही कुछ भी इनके खिलाफ आता है तो बेशक चार लोग ही शेयर किए हों फैक्ट चेक की कैंची लेकर ये उसे वायरल बता कर उसकी आड़ में सभी को ‘भक्त’ या ‘बेवकूफ’ साबित करने में लग जाता है।
इसी इंटरव्यू में केजरीवाल ने कहा, “भाजपा ने देश में मॉब लिंचिंग को सामान्य किया है और मुस्लिम, ऐसे गुंडों के प्राथमिक लक्ष्य होते हैं।” कामरा ने क्विंट से एक तथ्यात्मक रूप से गलत रिपोर्ट का उपयोग करते हुए दावा किया है कि देश में केवल मुस्लिम ही मवेशी हिंसक घटनाओं के शिकार हुए हैं। यहाँ बड़ी चालाकी से उन हिंदू पीड़ितों की आसानी से अनदेखी की जा रही है, जिनकी पशु तस्करी का विरोध करने के कारण जान ले ली गई या उन पर जानलेवा हमला किया गया।
मोदी से नफ़रत में झूठ परोसने के महारथी ऐसे प्रोपेगेंडा यूट्यूबर कामरा ने अपनी बात के साक्ष्य के रूप में 2014 से पहले के पुराने वीडियो साझा किए हैं, जब कॉन्ग्रेस पार्टी सत्ता में थी, फिर भी ऐसी घटनाओं के लिए वह पार्टी ज़िम्मेदार थोड़ी न है, जिसका पिछले 70 साल के शासन में लगभग हर छोटे-बड़े दंगों हाथ रहा हो। लेकिन ऐसे अनेक तथ्यों को छुपाकर इस तरह से ऐसी घटनाओं को प्रेजेंट किया गया है जिससे पीएम मोदी और भाजपा की छवि ख़राब हो। और जनता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो।
बड़ी चालाकी से वे सारे तथ्य छिपा लिए गए हैं कि ऐसी आपराधिक घटनाओं में शामिल अपराधियों के साथ क्या हुआ? क्या वे खुले आम घूम रहे हैं या आज वे सलाखों के पीछे हैं। जबकि, कानून अपने तरीके से ऐसे अपराधियों से निपट रहा है।
वैसे सोशल मीडिया पर ‘नफरती चिंटू’ कुणाल के प्रोपेगेंडा की ठीक से बधिया उखेड़ी गई है। कई ट्वीट के माध्यम से कई ट्विटर यूजर ने एक के बाद एक क्लिप साझा किया है कि किस तरह से मात्र यह दिखाने के लिए कि मोदी सरकार के तहत गौ रक्षक सशक्त हो गए हैं, और उन्हें राज्य का संरक्षण मिला हुआ है, अपने इस झूठ को साबित करने के लिए कामरा ने कई क्लिप का उपयोग किया है जिसे 2013 में पहले ही अपलोड किया जा चुका है। लेकिन, मोदी के विरोध में और कुछ नहीं मिल रहा है तो छवि ख़राब करने के लिए उसी 2013 के वीडिओ क्लिप का ऐसे प्रयोग किया गया है, जैसे ये घटनाएँ मोदी के समय में हुई हैं।
Kunal Kamra did a propaganda interview to promote Kejriwal and for it used videos from Congress rule (before 2014) to show mob lynching under Modi govt.
— Chowkidar Ankur Singh (@iAnkurSingh) May 9, 2019
What do you call people like @KunalKamra88? pic.twitter.com/1SDQfh6x4I
Kunal Kamra did a propaganda interview to promote Kejriwal and for it used videos from Congress rule (before 2014) to show mob lynching under Modi govt.
— Chowkidar Ankur Singh (@iAnkurSingh) May 9, 2019
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2013 का ही एक और क्लिप साझा की गई है जिसमें आरोप लगाया गया था कि मोदी सरकार के कार्यकाल में अराजकता, तोड़फोड़ और आगजनी में लिप्त होने के लिए गौ रक्षकों को अधिकार दिया गया है।
Kunal Kamra did a propaganda interview to promote Kejriwal and for it used videos from Congress rule (before 2014) to show mob lynching under Modi govt.
— Chowkidar Ankur Singh (@iAnkurSingh) May 9, 2019
What do you call people like @KunalKamra88? pic.twitter.com/1SDQfh6x4I
2014 से पहले के कई वीडियो का उपयोग करके, जब पीएम मोदी सत्ता में नहीं थे, कामरा जैसे ‘नफरती चिंटू’ ने देश में मोदी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार और झूठ के प्रसार का ही काम किया है। ऐसा ये पूरा गिरोह अक्सर करता रहता है। इसमें कुछ नया नहीं है। यह इस पूरे गिरोह का पुराना आजमाया हुआ हथकंडा है। हाल ही में, बीएसई ने बेशरम कामरा के खिलाफ उनके ब्रांड के दुरुपयोग के लिए एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी। कामरा ने टिकर रीडिंग पर ‘मोदी को वोट मत दो’ के साथ बीएसई भवन की एक एडिटेड इमेज अपलोड की थी।
जिसका भी इस पूरे गिरोह ने अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर समर्थन किया। वहीं कानून बनने के बाद भी कि गौ-हत्या गैर कानूनी है और ऐसे में अगर किसी की धार्मिक भावनाएँ आहत होने पर वह बेकाबू हो जाए तो इस पूरे गिरोह के लिए वह मोदी का आदमी हो जाता है। बिना एक पल गवाए ये पूरा गिरोह उस पर न जाने कितने मनगढंत आरोप मढ़ देता है, लेकिन वह गौ-तस्कर या गौ-हत्या करने वाला मुस्लिम इनके लिए मासूम और बेचारा हो जाता है।
खैर, न यह पहली बार है और न आखिरी, इस पूरे गिरोह का काम ही है कि इस देश की संस्कृति, परम्परा, यहाँ की मान्यताएँ, संस्कार सभी मजाक बनाओं। खुद ‘नफ़रती चिंटू’ बन नफरत फैलाओ और दूसरे को अंग्रेजी में कहो कि ‘तुम हेट्रेड फैला रहे हो।’ बिना किसी सबूत के अंट-शंट आरोप लगाओ, कोई सवाल कर ले तो उसे साम्प्रदायिक, अराजक, नारीविरोधी या जो मन में आए घोषित कर दो, खुद पक्षकार बन कर निष्पक्षता का चोला ओढ़े रहो और जब कोई सवाल करे या इनके झूठ की बत्ती बनाकर इनके सही जगह डाल दे तो उसे भक्त-भक्त चिल्लाओ, फेक न्यूज़ खुद फैलाओं और अंत में उसी का फैक्ट चेक कर आरोप आईटी सेल पर मढ़ दो।
करो जितना मन करे उतना नाटक करो लेकिन ध्यान रहे, अब और ज़्यादा दिन तक इस पूरे गिरोह के झूठ का महल टिकने वाला नहीं। अब देश की जनता उतनी भी मूर्ख नहीं जितना ये गिरोह उसे समझता आया है। अब वही इनकी ‘मूर्ख’ और ‘भक्त’ जनता इस पूरे गिरोह को तुरंत ही खदेड़ कर बताती है कि तुम्हारे पापों का घड़ा भर चुका है अब और नहीं।
इनकी ये छटफटाहट दिया बुझने से पहले का है। अब इनकी कोई भी मक्कारी कलाकारी के नाम से नहीं बिकने वाली, बाकी जनता है सब जानती है, देश, सेना और यहाँ के परम्पराओं और संस्कृति का मजाक उड़ाने वालों को ठीक से पहचानती है।