अयोध्या में दिव्य, भव्य मंदिर का होने वाला लोकार्पण सुखद क्षण है, जो हर भारतीय के मन को आल्हाद से गुदगुदाने वाला है। आज भारत ही नहीं अपितु वैश्विक फलक पर वातायन में राम नाम की गूंज हो रही है। वास्तव में भारत के लिए यह अमृत काल है। 500 वर्षों की लम्बी और विकट साधना सिद्धि तक पहुँच रही है। पूरे वातावरण में ‘श्री राम’ का नाम व्याप्त है। श्री राम का गुणानुवाद, श्री राम के मर्यादा पुरुषोत्तम रूप की चर्चा गुंजायमान हो रही है। वातावरण में प्रभु श्री राम व्याप्त हैं। यही तो अखिल ब्रह्माण्ड नायक का अनन्त में व्याप्त स्वरूप है, जो समूचा जगत आज प्रभु श्री राम के नाम का गुणानुवाद कर रहा है।
संत जन कहते हैं, “राम वे अधिक राम कर नामा।” नाम और गुण का चहुं ओर व्याप्त राम का वैचारिक रूप में अवतरण ही कहा जाएगा, जो प्रभु श्री राम के भक्तों और सनातन संस्कृति के ध्वज वाहकों ने अखण्ड साधना कर अपने प्राणों की आहुति तक दी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दृढ़ संकल्पना, जिसको लेकर संघ के स्वयं सेवक जन-जन में अलख जगाने से अयोध्या में दिव्य भव्य श्री राम लला के मंदिर निर्माण के रूप में साकार हो रहा है। सनातन संस्कृति की यह ऐतिहासिक साधना है, जो 500 वर्षों की सतत संघर्ष के बाद साकार हो रही है।
आज भारत ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में प्रभु श्रीराम की चर्चा उनके भक्तों और सनातन संस्कृति को मानने वालों में जहाँ हर्ष और उत्साह के रूप में व्याप्त है, वहीं मीडिया जगत से लेकर समाज के विभिन्न हिस्सों में राजनैतिक क्षेत्र तथा विभिन्न धर्म पंथ सम्प्रदाय को मानने वाले सभी में राम की चर्चा है। आस्था के रूप में या अनास्था के रूप में लेकिन चर्चा प्रभु श्रीराम की ही है। एक तरह से यही राम की व्यापकता है, यही अखंड अनादि रूप है, जो सब में व्याप्त है।
राम अखिल ब्रह्माण्ड की नायक सत्ता हैं, राम जीवन शैली हैं, राम आर्दश व्यवस्था हैं, राम आर्दश राजा, राम आस्था प्रेम और भक्ति हैं। राम सहजता, सरलता हैं। राम समरस, भेदभाव रहित, न्यायपूर्ण, पक्षपात रहित समाज की रचना हैं। राम अन्याय और अराजकता के लिए वीरों के उज और तेज भी है। राम का गुणगान आदि और अनंत है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में तथा श्री रामतीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अहर्निश परिश्रम से आज दिव्य, भव्य, नव्य अयोध्या साकार हो रही है। इसके दर्शन और स्पर्श करने के लिए पूरी दुनिया से लोग पधार रहे हैं।
महर्षि वाल्मीकि के नाम से अयोध्या को हवाई अड्डा, सवरी के नाम से भोजनालय का निर्माण तथा ऋषियों-मुनियों और निषाद राज का नाम दिव्य, नव्य अयोध्या के अमिट हस्ताक्षर बन गए। भक्तिपथ, रामपथ, धर्मपथ और सूर्यस्तम्भों की कतार रामकालीन अयोध्या को जहाँ साकार करती दिख रही है, वहीं यह सब के लिए एक बड़ा संदेश भी दे रही है।
श्रीराम तीर्थ क्षेत्र के नवनिर्माण ने प्रभु श्रीराम की जीवन शैली का सन्देश जन-जन तक पहुँचाने का बड़ा कार्य किया है। जो लोग समाज में जाति-पाति, ऊँच-नीच के भेदभाव को रखते हैं, उनके लिए यह बड़ा सन्देश है कि यदि राम में भक्ति है, राम में आस्था है, तो उनकी जीवन शैली ही हमारे लिए प्रेरक है। हम यदि जाति-पाति, ऊँच-नीच को मानते हैं तो हमारी प्रभु श्रीराम जी की भक्ति अधूरी है। हमारी साधना अधूरी है। हमारी आस्था खंडित है।
इसलिए पूज्य संत तुलसीदास गोस्वामी जी ने प्रभु राम के लिए कहा है, “सिया राम मय सब जग जानी।” सबमें राम ही हैं, राम अलग कोई नहीं, फिर ऊँच-नीच, जाति-पाति का विभेद कैसा? गोस्वामी जी ने रामायण में यह भी कहा, “यहि सर आवत अति कठिनाई राम कृपा बिनु आई न जाई।” राम की कृपा प्राप्ति के लिए राम की भक्ति और साधना की पूर्णता के लिए हमें उन्हीं की जीवन शैली का अनुकरण करना होगा।
सामाजिक जीवन में परिवार से लेकर, समाज, राज्य व्यवस्था और अन्यान्य क्षेत्रों में जिसमें जो कार्य कर रहा है, उसे उस क्षेत्र में राम की प्रेरणा ही पूर्णता में ला सकती है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने स्थापना काल से ही भेदभाव रहित समाज की रचना के लिए कार्य कर रहा है। सभी पूजित संत महात्मा जन तथा हमारे राष्ट्र नायक भारत भूमि पर जिस आदर्श रामराज्य की स्थापना को साकार करने के लिए जाति-पाति की अहमन्यता से मुक्त समाज की रचना के लिए काम कर रहे थे, उस भेदभाव रहित समाज को भी साकार होने का अमृत काल आ गया है, ऐसा प्रतीत होता है।
वातायन में व्याप्त प्रभु श्री राम के जीवन से हम व्यवहार रूप में अवश्य प्रेरणा लेंगे और जाति-पाति की अहमन्यता से मुक्त ‘सिया राम मैं सब जग जानी’ की मूलभावना को धारण कर सनातन संस्कृति के इस पुनर्जागरण काल में प्रभु श्री राम जी को हृदय में धारण कर विश्व पटल पर सनातन संस्कृति की पताका सबसे ऊँचे फहराएँगे।