Sunday, December 22, 2024
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बुद्ध-महावीर के स्थल से उस लड़की के गिड़गिड़ाने की आवाज़… आपके कानों तक पहुँची क्या?

यह घटना किसी महानगर की नहीं, इसीलिए उतना आउटरेज नहीं! कैंडल मार्च नहीं, राजनीतिक मुद्दा नहीं! लेकिन ग्रामीणों ने रेपिस्टों को अगर रंगे हाथों पकड़ लिया होता, अपने हिसाब से 'न्याय' कर देते तो यही मॉब लिंचिंग होती! गैंगरेप से ज्यादा सनसनीखेज!

“भैया, मुझे अपनी छोटी बहन समझ कर माफ़ कर दीजिए। छोड़ दीजिए।”
“बहुत बदनामी हो जाएगी। छोड़ दीजिए भैया।”

इंसानी खाल में छिपे भेड़ियों से घिरी एक बच्ची बस इतना ही बोलती रही। उस पर टूटने वाले दरिंदे मंगल ग्रह से नहीं आए थे। वे भी उसी समाज से हैं, जिससे हम और आप आते हैं। वे भी उसी जमीन पर पले-बढ़े हैं, जहॉं उनकी दरिंदगी की शिकार हुई पीड़िता का पालन-पोषण हुआ है।

घटना बिहार के राजगीर की है। राजगीर गौतम बुद्ध और महावीर की स्थली रही है। उसी राजगीर के विपुलांचगिरि पर्वत पर 16 सितम्बर 2019 को मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना हुई। प्रशासन की नींद तो तब टूटी जब घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया।

राजगीर को बिहार सरकार वैश्विक स्तर का पर्यटन स्थल बनाने की कोशिशें कर रही हैं। यहाँ महात्मा गाँधी के 150वें जन्म दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। ऐसे में इस घटना ने इतिहास में 8 वर्ष पीछे जाने को मजबूर कर दिया, जब राजगीर में घूमने विदेशी पर्यटक आए हुए थे। इसी दौरान विपुलांचगिरि पर्वत पर 22 सितंबर 2011 को एक अमेरिकी लड़की घूम रही थी, तभी कुछ लड़के आ गए और उसके साथ दुर्व्यवहार किया। वह भारत की कैसी छवि लेकर अपने देश गई होगी?

हम इस घटना की चर्चा इसीलिए कर रहे हैं क्योंकि ताज़ा घटना इसी विपुलांचगिरि पर्वत की है। एक सजग नागरिक के रूप में आप सरकार को दोष दे सकते हैं कि जब यह पर्यटन स्थल है और पूर्व में भी ऐसी घटनाएँ हो चुकी है, तो यहाँ उस तरह से सुरक्षा-व्यवस्था क्यों नहीं लगाई गई? लेकिन, एक समाज के रूप में आप या हम केवल दूसरों से प्रश्न पूछ कर भाग नहीं सकते। हम ख़ुद के अंदर, ख़ुद के घर में और ख़ुद के समाज में झाँक कर देख सकते हैं कि गड़बड़ी कहाँ है? सबसे पहले जानते हैं कि ताज़ा घटना है क्या और इसका जिक्र हम क्यों कर रहे हैं?

बिहार के नालंदा में एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। आरोपितों ने घटना का वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर भी वायरल कर दिया। बिहार में ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं। ताज़ा घटना का वीडियो दिल दहला देने वाला है। इसे शेयर नहीं किया जा सकता। किसी व्यक्ति ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा को टैग कर के इस वीडियो को ट्वीट कर दिया। शर्मा ने आग्रह किया कि चूँकि इस वीडियो में पीड़िता का चेहरा दिख रहा है, इसीलिए इसे शेयर न किया जाए। महिला आयोग की अध्यक्ष को सारे विवरण जानने के बाद यह कहने को विवश होना पड़ा कि इन सभी आरोपितों को एक साथ फाँसी पर लटका देना चाहिए।

आख़िर उस वीडियो में ऐसा क्या था? यह वीडियो बिहार के नालंदा जिला स्थित राजगीर का है। नालंदा, जहाँ तब शिक्षा का विशाल दीप जला था, जब यूरोप में एक भी विश्वविद्यालय नहीं था। नालंदा, बिहार के मुख्यमंत्री और पिछले डेढ़ दशक से राज्य में सत्ता के सिरमौर नीतीश कुमार का गृह जिला है। राजगीर, उन दुर्लभतम स्थलों में एक है, जहाँ बुद्ध और महावीर- दोनों ने ही कई दिनों तक रुक कर शिक्षाएँ दीं। शायद अब वहाँ का समाज उन्हें भूल चुका है। उक्त वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि पीड़िता अपने मित्र के साथ पहाड़ के पास बैठी हुई है। तभी 10 के क़रीब बदमाश वहाँ पर आ धमके।

उनके पास हथियार था, पिस्तौल था, चाकू था। जब लड़की के दोस्त ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने दोस्त की भी पिटाई की। विरोध करने पर पीड़िता को भी पीटा। साथ ही गैंगरेप करने वाले बदमाशों ने पीड़िता को धमकी भी दी। उन्होंने कहा कि अगर उसने मुँह खोला तो पूरे परिवार को जान से मार डाला जाएगा। हथियार के बल पर घेर कर 10 में से 6 लड़कों ने गैंगरेप किया। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक असहाय लड़की 10 हथियारबंद लोगों के बीच विवश होकर क्या सब सोच रही होगी और उसके मन में क्या सब चल रहा होगा? ऐसा लगता है जैसे वह कोई लड़की नहीं बल्कि कोई निर्जीव वस्तु हो, जो सोच सकता हो और जिसे दर्द की अनुभूति होती हो। लेकिन, वह कर कुछ नहीं सकता।

दरिंदों ने अपनी घटिया नीयत का परिचय देते हुए लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया। नाबालिग पीड़िता 9वीं की छात्रा है। उसके पिता एक ग़रीब मजदूर हैं। ऐसे में सवाल है कि इतनी संख्या में आरोपितों के ख़िलाफ़ न्याय की इस लड़ाई में वह कहाँ तक पहुँचेगी? ऐसा नहीं है कि जब दरिंदे वहाँ पर पहुँचे, तब लड़की ने बचने की कोशिश नहीं की। उसने खूब कोशिश की। गिड़गिड़ाई, रोई, मिन्नतें की लेकिन सब बेकार। हवस के भूखों ने उसकी एक न सुनी। आप इसी बात से प्रशासन की सक्रियता का अंदाजा लगा लीजिए कि सोमवार (सितम्बर 16, 2019) को हुई इस घटना का वीडियो उसके 9 दिन बाद सोशल मीडिया पर आया और तब प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की।

बिहार में ऐसी घटनाओं की बाढ़ आ गई है

यह सब क्यों हो रहा है? इस साल अप्रैल में बिहार के जहानाबाद में एक नाबालिग लड़की का गैंगरेप हुआ और इसका वीडियो बना लिया गया। इस मामले में 14 आरोपितों को गिरफ़्तार किया गया। मई में पटना के नौबतपुर में ऐसा ही वाकया हुआ, जिसमें 2 लोग गिरफ़्तार हुए। वजीरगंज में ऐसा ही एक मामला सामने आया, जिसमें 3 लोगों ने आत्म-समर्पण किया। ये सभी बिहार की वारदातें हैं। ऐसा नहीं है कि दूसरे राज्यों में ऐसा नहीं होता लेकिन सवाल यह उठता है कि दोष किसका है? जब कोई लड़की कहीं एकांत में बैठी हुई है और 6 लोग उसका गैंगरेप करते हैं तो क्या इसमें हमारे समाज का दोष नहीं?

पुलिस ने इस मामले में 7 आरोपितों को गिरफ़्तार किया है: ‘दैनिक जागरण’के बिहारशरीफ संस्करण में छपी ख़बर

ऐसे लड़कों को आख़िर किस परिवेश में पाला जाता है कि जब वे कहीं एकांत में मौक़ा पाकर किसी लड़की को देखते हैं तो उन्हें बस एक ही चीज सूझता है। ऐसे युवाओं को आख़िर किस समाज से यह शिक्षा मिलती है कि वे ऐसे घृणित अपराध को करते समय न सिर्फ़ पीड़िता के दुःख और दर्द को बल्कि अपने अंजाम को भी भूल जाते हैं? आख़िर हवस की कौन सी पट्टी उनके आँखों पर बंधी होती है कि उन्हें इस अपराध की सज़ा का भान होता है, फिर भी वे क्षणिक सुख के लिए रेप, गैंगरेप और फिर उसका वीडियो बनाने जैसी घिनौनी हरकतें कर के किसी की ज़िंदगी एक झटके में बर्बाद कर देते हैं?

एक लड़की के साथ कुछ भी बुरा होता है तो अकेले वह लड़की नहीं बल्कि उसके माता-पिता का सिर झुक जाता है, यह सच्चाई है। सिर झुकना चाहिए इस अपराध को अंजाम देने वाले दोषियों का, उनका पालन-पोषण करने वाले समाज का, उसके परिवार का और उनको शिक्षा देने वाले परिवेश का क्योंकि अगर दर्जन भर की संख्या में झुण्ड में निकल कर लोग इस तरह का बर्ताव कर रहे हैं तो समाज यह कह कर बच नहीं सकता कि वे अपवाद हैं। वे अपवाद नहीं हैं, समाज की सच्चाई हैं। एक ऐसे समाज की, जो युवाओं और वयस्क हो रहे बच्चों को इस बात की शिक्षा देना भूल जाता है कि महिलाओं की इज्जत कैसे करनी है?

शक्ति पूजा के अवसर पर हम यह सब देखने को मजबूर क्यों?

रविवार (सितम्बर 29, 2019) से शक्ति की आराधना का सबसे बड़ा पर्व शुरू हो रहा है। वह पर्व, जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सिलिकॉन वैली में फेसबुक के दफ्तर में भारत के आलोचकों को चुप कराया था, जो यह कह रहे थे कि भारत में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएँ बढ़ रही हैं। जिस देश में, जिस समाज में, जिस धरती पर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की ऊर्जा अर्थात शक्ति की परिकल्पना एक महिला के रूप में की गई है, उसकी यह कैसी पूजा कर रहे हैं हम? शक्ति पूजा के अवसर पर हम ऐसी ख़बरें पढ़ने को विवश हो रहे हैं, जिसमें शक्ति का रूप मानी जाने वाली महिलाओं में वयस्क को तो छोड़िए, नाबालिगों को भी हवस का शिकार बनाया जा रहा है।

किसी युवती या नाबालिग लड़की के साथ यौन दुर्व्यवहार करते समय उसका वीडियो बनाने से कैसा सुख मिलता है कि थोक में इसी समाज के युवा सड़कों पर निकल आते हैं और दरिंदगी करते हैं। ख़ुद के द्वारा की गई दरिंदगी का वीडियो ख़ुद बना लेने में कैसा मज़ा मिलता है? आरोपितों में से एक के पिता फुटपाथ दुकानदार हैं तो एक के पिता टोंगा (घोड़ागाड़ी) चलाते हैं। इन आरोपितों ने अपने परिवार को, माता-पिता को दिन-रात संघर्ष करते देखा होगा, देखते होंगे। लेकिन, क्या ऐसी अक्षम्य हरकतें करते समय इनके मन में अपने परिवार का चेहरा नहीं कौंधा होगा? क्या उन्हें इस बात का डर नहीं सताया होगा कि अगर उनके परिवार के किसी सदस्य के साथ कोई दरिंदा ऐसा करता तो उन पर और पूरे परिवार पर क्या बीतेगी?

सबकी एक ही माँग – फाँसी हो

अधिकतर मामलों में पीड़िता दोषियों को फाँसी देने की माँग करती हैं। राजगीर वाली घटना इतनी वीभत्स है कि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष तक को कहना पड़ा की वह ‘कार्रवाई करने के लिए मरी जा रही हैं’ और दोषियों को एक साथ फाँसी पर लटका देना चाहिए। ग्रामीणों ने पूरे इलाक़े में विरोध प्रदर्शन किया और दोषियों को फाँसी देने की माँग की। यह घटना किसी महानगर की नहीं थी, इसीलिए इसे लेकर उतना आउटरेज नहीं हुआ, कैंडल मार्च नहीं निकले और इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया गया। दूर दिल्ली और पटना में बैठी सरकारें और मुंबई और बंगलौर में अपना रूटीन वर्क कर रहे लोगों तक ये ख़बर तो पहुँची ही नहीं।

पूर्व सांसद पप्पू यादव ने पीड़िता के परिवार से मिलने के बाद क्या कहा?

ताज़ा घटना में ग्रामीणों का क्या कहना था? ग्रामीणों का कहना था कि सारे आरोपितों को उन्हें सौंप दिया जाए जाए, वही न्याय करेंगे। अगर ग्रामीणों ने उन आरोपितों को रंगे हाथों पकड़ लिया होता तो वह सच में अपने हिसाब से ‘न्याय’ कर देते। और इससे कोई मॉब लिंचिंग की घटना निकल कर आती तो वह गैंगरेप से ज्यादा सनसनीखेज ख़बर बनती। यही आज के राजनीतिक परिदृश्य और मीडिया की सच्चाई है। यही आज के ‘प्रोपेगंडा ड्रिवेन नैरेटिव’ का बैकग्राउंड है। समाज के लोगों को आगे आकर यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके बीच ऐसे लोग तो नहीं पल रहे, जो किसी लड़की को देखते ही अपनी हवस मिटाने के लिए मचल उठते हैं।

बिहार में क्या है महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की स्थिति?

अकेले जनवरी से मई तक बिहार में रेप के 605 मामले सामने आए हैं। इसमें से अधिकतर राज्य सरकार की नाक के नीचे हुए हैं। जी हाँ, 41 घटनाएँ तो अकेले राजधानी पटना की है। सुशासन के नाम पर सत्ता में आए नीतीश कुमार ने 2005 चुनावों में क़ानून व्यवस्था को ही मुद्दा बनाया था और सरकार में आते-आते उन्होंने कुछ अहम बदलाव किए थे। लेकिन, अब स्थिति वैसी नहीं है। राजगीर का वीडियो सोचने को विवश कर देता है। बिहार महिला आयोग ने नालंदा पुलिस से इस सम्बन्ध में जानकारी माँगी, जिसे देने में भी देर की गई।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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