उत्तर प्रदेश में चुनाव को ध्यान में रखते हुए संभावित फेरबदल या किसी बड़े संगठनात्मक निर्णय की अटकलों के बीच अब खबर आ रही है कि वर्ष 2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। भाजपा से जुड़े सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि मंत्रिमंडल विस्तार भी नहीं किया जाएगा।
असल में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के यूपी दौरे के बाद से ही लगातार यह अटकलें चल रही थीं कि उत्तर प्रदेश के अंदर संगठन और मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है। ऐसे कयास भी लगाए जा रहे थे कि एमएलसी बने एके शर्मा को मंत्रिमंडल में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है लेकिन भाजपा सूत्रों से मिल रही खबर के मुताबिक अब यह तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में छः महीने बाद होने वाले चुनाव वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे।
हालाँकि, इन सभी अटकलों के बीच ही पूर्व कृषि मंत्री और प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह ने यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद भी मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना जताई गई। हालाँकि स्वयं राधामोहन सिंह ने इन अटकलों पर विराम लगाते हुए राज्यपाल से अपनी मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया। इसके बाद यह भी तय हो गया कि भाजपा के लिए अभी भी सीएम आदित्यनाथ ही यूपी में सबसे बड़ा चेहरा हैं।
हालाँकि, यह सभी को पता है कि कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान उत्तर प्रदेश की सरकार ने जिस तरीके से कार्य किया है, वह अपने आप में ही अद्वितीय है। चाहे वो टेस्टिंग हो या टीकाकरण, यूपी की योगी सरकार ने हर मोर्चे पर बेहतर कर दिखाया। यही कारण है कि सीएम आदित्यनाथ की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं दिखाई दी। देश का सबसे बड़ा और सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य होने के बावजूद यूपी में संक्रमण के मामलों में भी कमी देखने को मिली और दूसरे राज्यों की तुलना में मौतें भी कम हुईं। सीएम आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी ने न केवल दूसरी संक्रमण को रोक बल्कि तीसरी लहर से लड़ने की तैयारियाँ भी शुरू कर दी। यही कारण था कि सीएम आदित्यनाथ भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में सबसे सुरक्षित दावेदार हैं।
हालाँकि सूत्रों का कहना है कि चुनाव को ध्यान में रखते हुए बड़े ही सूक्ष्म बदलाव किए जा सकते हैं लेकिन कोई बड़ा फेरबदल नहीं किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि केन्द्रीय नेतृत्व साढ़े हुए तरीके से संगठन और राज्य नेतृत्व के बीच समन्वय स्थापित्र करने का कार्य कर रहा है लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व का पूरा भरोसा फिलहाल योगी आदित्यनाथ पर ही है।