जहाँ एक तरफ केरल कोरोना वायरस संक्रमण से बेहाल है, वहीं दूसरी तरफ वामपंथी गठबंधन एक भव्य समारोह के जरिए भीड़ जुटा कर अपनी सरकार के शपथ ग्रहण की तैयारी में लगा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में एक सेवानिवृत्त वैज्ञानिक ने याचिका दायर कर के इस शपथग्रहण समारोह को रोकने की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कोरोना दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए सभी राजनीतिक या धार्मिक समारोहों और प्रदर्शनों पर रोक लगाने की बात की गई है।
रिटायर्ड वैज्ञानिक केएम शाहजहाँ ने वकील उषा नंदिनी के जरिए दायर की गई याचिका में कहा है कि कम से कम 1 महीने के लिए 50 लोगों से अधिक के जुटान वाले सभी समारोहों पर रोक लगाई जाए। राजधानी तिरुवनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में गुरुवार (मई 20, 2021) को दोपहर 3:30 बजे होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में 500 लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है। इसके लिए 80,000 स्क्वायर फ़ीट का पंडाल तैयार किया जा रहा है।
याचिका में लिखा है, “ऐसे समारोह में भीड़ जुटाने की अनुमति कोरोना के इस काल में नहीं दी जा सकती। इसमें आमंत्रण पाकर आने वाले लोग खुद के लिए ही खतरा पैदा कर रहे हैं। पंडाल के निर्माण के लिए हजारों कार्यकर्ताओं की सेवा ली जा रही है। इस ‘सुपर स्प्रेडर’ सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए केरल के सरकारी खजाने से भारी रकम खर्च की जा रही है। अपनी ताकत दिखाने और जीत का जश्न मनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।”
इस समारोह को सत्ता के दुरुपयोग के साथ-साथ लोगों के जीवन को संकट में डालने वाला भी बताया गया है, जिससे कोरोना के और ज्यादा फैलने की आशंका है। याचिका में दावा किया गया है कि नेतागण कोरोना के दिशानिर्देशों को नहीं मान रहे हैं। साथ ही 75 से अधिक लोगों की उपस्थिति वाले शपथग्रहण समारोहों को वर्चुअल कराने की दरख्वास्त की गई है। साथ ही माँग की गई है कि केरल के मुख्य सचिव को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया जाए।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का कहना है कि कोरोना के आलोक में ये समारोह सादा ही होगा। उन्होंने कहा कि 2016 में जब उनका शपथग्रहण हुआ था, तब वहाँ 40,000 लोग मौजूद थे। उन्होंने कहा कि ये एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके तहत 140 विधायकों और 29 सांसदों को समारोह में आने से नहीं रोका जा सकता। उन्होंने 500 को एक छोटी संख्या बताते हुए कहा कि न्यायपालिका और मीडिया के लोग भी लोकतंत्र के स्तम्भ हैं, ऐसे में उन्हें भी उपस्थित रहना ही होगा।
‘द न्यूज मिनट’ ने अधिवक्ता अर्यमा सुंदरम के हवाले से लिखा है कि एक शपथग्रहण समारोह में लोगों की उपस्थिति व उनकी संख्या के बारे में कोई संवैधानिक बंदिश नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल व सचिवालय कर्मचारियों के अलावा वो लोग उपस्थित रह सकते हैं, जिन्हें शपथ लेना हो। विशेषज्ञों का कहना है कि ये कार्यक्रम वर्चुअल भी हो सकता है। जब महामारी के समय में अंतिम संस्कार में भी 20 से अधिक लोग मौजूद नहीं रह सकते, इस समारोह से गलत सन्देश जाना तय है।
#PinarayiVijayan swearing-in: 500 people to attend oath ceremony; Health minister #KKShailaja dropped from cabinet #KeralaCabinet https://t.co/LimbLfh7LP
— FinancialXpress (@FinancialXpress) May 18, 2021
संवैधानिक विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसी कोई बंदिश नहीं है कि सभी विधायकों और सांसदों का इस कार्यक्रम में उपस्थित रहना अनिवार्य ही है। 2016 में जे जयललिता के निधन के बाद पनीरसेल्वम समेत 31 मंत्रियों ने बिना किसी भीड़-भाड़ के मात्र 10 मिनट में शपथग्रहण समारोह निपटा दिया था। 2017 में राजद से गठबंधन तोड़ कर नीतीश कुमार ने 15 मिनट में शपथ ले ली थी। 2019 में देवेंद्र फड़नवीस ने सुबह-सुबह मात्र 10 लोगों की मौजूदगी में सीएम की शपथ ले ली थी।
केरल के अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर्स और बेड्स के लिए मारामारी मची है। केरल के 3 जिलों में ‘ट्रिपल लॉकडाउन’ लगा हुआ है, जहाँ लोग घरेलू चीजें खरीदने के लिए भी बाहर नहीं निकल सकते। ये भी समझ से परे है कि विजयन परिणाम घोषित होने से 3 हफ्ते बाद शपथ क्यों ले रहे हैं। 3,47,627 संक्रमितों के साथ केरल देश में तीसरे स्थान पर है। कुल संक्रमितों की संख्या भी 22 लाख के पार हो गई है, जो महाराष्ट्र व कर्नाटक के बाद सर्वाधिक है।
बताते चलें कि नई कैबिनेट में विजयन ने अपने दामाद मुहम्मद रियास सहित 11 मंत्री बनाए हैं। सारे चेहरे नए हैं। पिछली सरकार में केरल की स्वास्थ्य मंत्री रहीं तथाकथित ‘केरल मॉडल’ वाली केके शैलजा को भी इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। 77 वर्षीय मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने अपने कैबिनेट में दामाद पीए मुहम्मद रियास को भी जगह दी है, जो CPI(M) के यूथ विंग ‘डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।