RTI के जरिए अरविंद केजरीवाल सरकार के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। विवेक पांडे द्वारा मार्च में फाइल की गई आरटीआई से पता चला है कि दिल्ली सरकार ने ‘दिल्ली आरोग्य कोष’ योजना को लेकर जनता को भ्रमित किया।
विवेक ने अपनी आरटीआई में जवाब माँगा था कि 2018 से 2024 के बीच दिल्ली सरकार की ‘आरोग्य डाक स्कीम’ में कितने लोगों ने फ्री इलाज पाया और इसमें कितना खर्चा आया। 11 मार्च 2024 को विवेक पांडे की इस आरटीआई का जवाब आया जो कि मीडिया को दी जा रही जानकारी से एकदम अलग और हैरान करने वाला था।
आरटीआई से खुलासा
आरटीआई से पता चलता है कि 31 मार्च 2018 से 24 जनवरी 2024 के बीच 6,099 मरीजों को मुफ्त इलाज दिया। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अनुसार, 887 मरीज 2018-2019 में, 863 मरीज 2019-2020 में, 801 मरीज 2020-2021 में, 1084 मरीज 2021-2022 में, 1295 मरीज 2022-2023 में, और 1169 मरीज 2023-2024 में इस योजना से लाभान्वित हुए।
इस प्रकार पिछले 6 वर्षों में रोगियों की कुल संख्या लगभग 6099 है जिन्हें इस योजना का लाभ मिला। आगे आरटीआई के जवाब में 6099 लोगों के मुफ्त इलाज की सुविधा के लिए दिल्ली सरकार द्वारा किए गए खर्चे का विवरण भी दिया गया।
आरटीआई के अनुसार, AAP सरकार ने इस प्रक्रिया में कुल ₹66 करोड़ खर्च किए हैं। इनमें ₹9.65 करोड़ तो 2018-2019 में खर्च हुए, वहीं 2019-2020 में ₹8.33 करोड़ हुए। इसी तरह 2020-2021 में ₹8.63 करोड़ , 2021-2022 में ₹6.44 करोड़ , 2021-2022 में ₹11.36 करोड़ , 2022-2023 में ₹11.92 करोड़ और 2023-2024 में ₹10.2 करोड़ खर्च हुए हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें भ्रमित करने वाली क्या बात है। तो आपको बता दें कि एक योजना के तहत लाभान्वित की संख्या कम होना धोखाधड़ी नहीं है, लेकिन उन लाभान्वितों को कई गुना बढ़ाकर अपना प्रचार करना जनता को भ्रमित करना ही है।
इंडियन एक्सप्रेस में 1 जनवरी को एक रिपोर्ट छपी थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था जनवरी 2023 से लेकर अक्टूबर 2023 के बीच कि इस योजना के तहत 1, 13, 693 लोग लाभान्वित हुए हैं। इतना ही नहीं इसमें ये भी दावा था कि 2022-2023 के तहत 1, 27, 785 लोगों ने मुफ्त इलाज पाया।
रिपोर्ट दिल्ली सरकार के सूत्रों के हवाले से बनी थी जो कि साफ है कि उसके आँँकड़े और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक द्वारा दिए गए आँकड़े अलग-अलग है। 1 साल में 1 लाख तो दूर पिछले 5 सालों में ये आँकड़ा एक लाख तक नहीं पहुँचा है।
अगर आरटीआई की मानें तो केवल 6099 लोगों को इस योजना का लाभ मिल पाया वो भी 2018 से अब तक, लेकिन केजरीवाल सरकार के सूत्रों ने इसे अलग ही तरीके से मीडिया में पेश कराया।
खास बात ये है कि आरटीआई जहाँ बता रही है कि 2022-2023 में 1295 कुल मरीजों को इलाज मिला वहीं दिल्ली सरकार के सूत्र का कहना था कि 1295 मरीज तो सिर्फ EWS के थे।
अब ये बात साफ नहीं है कि आखिर आरटीआई से आए आँकड़ों और दिल्ली सरकार के सूत्रों के दिए आँकड़ों में इतना कैसे फर्क है। लेकिन लाभान्वितों में इतना बड़ा अंतर देखकर कुछ गड़बड़ का अंदाजा को लगाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सितंबर 2022 में दावा किया था कि पिछले 5 वर्षों (2017-2022) में दिल्ली आरोग्य कोष योजना के तहत 4.3 लाख से अधिक मरीजों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलीं। अब आरटीआई में 2017 का आँकड़ा तो नहीं है लेकिन जिस तरह बाकी वर्षों के आँकड़े हैं उससे ये पता लगाया जा सकता है कि मात्र एक साल में इतने लाभान्वित तो नहीं हुए होंगे।
मनीष सिसोदिया ने यह भी दावा किया था कि दिल्ली सरकार ने पिछले 5 वर्षों (2017-2022) में दिल्ली आरोग्य कोष योजना के तहत ₹168.4 करोड़ खर्च किए। हालाँकि, 2018-2024 की अवधि के लिए आरटीआई उत्तर में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में मात्र ₹66 करोड़ का व्यय दिखाया गया है।
🚨 Shocking Revelation, My RTI exposes Delhi CM Arvind Kejriwal misleading claims on Delhi Arogya Kosh scheme
— Dr Vivek Pandey (@Vivekpandey21) April 1, 2024
🎭 Claim: 168 crore spent, benefiting 4.2 lakh patients 🏥
RTI reveals only 6099 beneficiaries & nearly 66 Cr expenditure 💰
🕵️ Where did the remaining funds gone?… pic.twitter.com/o4T0Zq5Lda
आरटीआई से हुए खुलासे पर विवेक पांडे ने ट्वीट भी किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि दिल्ली सरकार ने दावा किया कि 168 करोड़ खर्च हुए और 4.2 लाख मरीज लाभान्वित हुए। मगर, आरटीआई तो बताती है कि केवल 6099 मरीज ही लाभान्वित हुए। विवेक का पूछना है कि आखिर बाकी का सारा फंड गया कहाँ पर?