26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा पर आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सौरभ भारद्वाज ने पुलिस वर्जन को मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा, “मैं पुलिस के वर्जन को नहीं मानूँगा। मैं सिर्फ इसलिए भरोसा नहीं कर लूँगा कि पुलिस कह रही है तो सही कह रही है। पुलिस का वर्जन सरकारी वर्जन होता है। जो सरकार कहेगी वो पुलिस करेगी।”
इतना ही नहीं, सौरभ भारद्वाज ने उस शख्स का भी समर्थन किया, जिसने अलीपुर SHO प्रदीप पालीवाल पर तलवार से हमला किया था। उनका कहना था कि उस शख्स ने आत्मरक्षा के लिए SHO पर हमला किया था। अलीपुर SHO पर तलवार से हमला किए जाने के बारे में सवाल पूछने पर उन्होंने कहा, “जहाँ तक मुझे पता चला है, किसानों के ऊपर हमले किए, पुलिस की मौजूदगी में हमले हुए। पुलिस ने घेर-घेर कर निहत्थे किसानों को पीटा। ऐसी बहुत वारदातें हैं और इन वारदातों में हो सकता है कि एक वारदात ऐसा भी हुआ हो कि किसी को 15 लोग घेर कर मार रहे हों तो उसने ‘आत्मरक्षा’ के लिए कुछ किया हो। पूरी की पूरी वीडियो देखी जानी चाहिए और उसके बाद ही फैसला करना चाहिए।”
बता दें कि अलीपुर SHO पर हमला किए जाने के मामले में पुलिस ने शुक्रवार (जनवरी 29, 2021) को 44 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है। ट्रैक्टर रैली के दौरान भड़की हिंसा को लेकर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि शांतिपूर्ण रैली की शर्त थी, लेकिन किसानों ने तय रूट की अनदेखी की। उन्होंने कहा कि जो हिंसा हुई, वह नियम और कानूनों की अनदेखी करने के कारण हुई। उन्होंने प्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए लेकिन उन्होंने संयम बरते रखा।
गौरतलब है कि ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में तीन सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। ये पुलिसकर्मी लाल किला, आईटीओ और नांगलोई समेत बाकी जगह पर हुई हिंसा के दौरान घायल हुए। इनमें से कुछ घायल पुलिसकर्मियों ने घटना का आँखों देखा मंजर बयान किया।
हिंसा के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद थाने के एसएचओ पीसी यादव ने आपबीती सुनाते हुए बताया, “हम लाल किले में तैनात थे जब कई लोग वहाँ घुस गए। हमने उन्हें लाल किले की दीवार से हटाने की कोशिश की, लेकिन वे आक्रामक हो गए। हम किसानों के खिलाफ बल प्रयोग नहीं करना चाहते थे, इसलिए हमने यथासंभव संयम बरता।”
वहीं डीसीपी नॉर्थ, दिल्ली के ऑपरेटर संदीप ने बताया, “कई हिंसक लोग अचानक लाल किला पहुँच गए। नशे में धुत किसान या वे जो भी थे, उन्होंने हम पर अचानक तलवार, लाठी-डंडों और अन्य हथियारों से हमला कर दिया। स्थिति बिगड़ रही थी और हिंसक भीड़ को नियंत्रित करना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो रहा था।”