केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार (1 दिसंबर 2021) को कृषि कानूनों के विरोध के दौरान किसानों की मौत पर उनके परिजनों को मुआवजा देने इनकार किया है। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में तोमर ने कहा कि कृषि मंत्रालय के पास मृतक किसानों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए उन्हें आर्थिक सहायता देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। लोकसभा में केंद्र सरकार से सवाल किया गया था कि मृतक किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता दिए जाने का कोई प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है या नहीं? इस पर केंद्र की ओर से कृषि मंत्री ने संसद में जवाब दिया।
दरअसल, किसान नेता कृषि बिलों के प्रदर्शन के दौरान किसानों की मौत के बाद उनके परिजनों के लिए मुआवजे की माँग लंबे समय से कर रहे हैं। किसान नेताओं का दावा है कि सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले 700 से ज्यादा किसान अपनी जान गँवा चुके हैं। हालाँकि, मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ये मौतें मुख्य रूप से मौसम की मार, गंदगी के कारण होने वाली बीमारियों और आत्महत्या के कारण हुई हैं।
दूसरी ओर, खबर है कि दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठक रद्द हो गई है। संसद सत्र में कृषि कानून वापस होने के बाद नई रणनीति को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होनी थी। वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक सरकार किसानों की माँगे नहीं मानती, आंदोलन जारी रहेगा।
बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने के बावजूद भी संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन जारी है। मोर्चा के नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार एमएसपी पर कानून बनाने की उनकी माँग को मान नहीं लेती है। इसके अलावा, संगठन के नेता प्रदर्शन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए केस वापस लेने और प्रदर्शन में मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की माँग भी कर रहे हैं।