बीजेपी ने बिहार में 12 जनवरी को सूर्य नमस्कार दिवस मनाने का फैसला किया है। इसका विरोध जताते हुए जेडीयू के विधान परिषद सदस्य गुलाम रसूल बलियावी (Gulam Rasool Balyawi) ने बेतुका बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वे इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले सकते हैं, क्योंकि इस्लाम उन्हें सूर्य नमस्कार की इजाजत नहीं देता है।
गुलाम रसूल बलियावी ने कहा, “सूर्य नमस्कार एक धार्मिक परंपरा है। भारतीय संविधान में धार्मिक मान्यताएँ मानने और ना मानने की पूर्ण स्वतंत्रता है। संविधान में कहा गया है कि जिसे जो मजहब पसंद है, वो उसे अपनाए और उससे जुड़ी मान्यताओं का पालन करे। ऐसे में सूर्य नमस्कार को कोई अपना धार्मिक मुद्दा मानता है तो मानें। इस पर हमें कोई टिप्पणी नहीं करनी।”
जेडीयू एमएलसी ने आगे कहा कि इस्लाम में सिर्फ अल्लाह को ही सजदा करने के योग्य माना गया है। जिस चीज को अल्लाह ने पैदा किया है, हम उसका सजदा नहीं करेंगे। सूरज को भी अल्लाह ने पैदा किया है, इसलिए मुस्लिम उसका सजदा बिल्कुल नहीं करेंगे।
बता दें कि बीते हफ्ते ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी 1 से 7 जनवरी के बीच स्कूलों में ‘सूर्य नमस्कार’ आयोजित करने के केंद्र सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई थी। मोदी सरकार के फैसले का विरोध करते हुए बोर्ड ने कहा था, “इस्लाम सूर्य नमस्कार की इजाजत नहीं देता, क्योंकि यह सूर्य पूजा का ही रूप है।”
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक बयान जारी कर कहा था, “भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु धार्मिक और बहु सांस्कृतिक देश है। इन्हीं सिद्धांतों पर हमारा संविधान लिखा गया है। स्कूल पाठ्यक्रमों को भी इसका ध्यान रखकर बनाया गया है। लेकिन यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान सरकार इस सिद्धांत से भटक रही है।”