राहुल गाँधी की नागरिकता का मामला बढ़ता चला जा रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले दायर की गई याचिका केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय से राहुल गाँधी की नागरिकता पर उठे सवालों का जवाब देने को कहा है। राहुल गाँधी की नागरिकता पर पहले भी विवाद हो चुका है। इस मामले में अन्य लोगों ने भी देश की अलग-अलग कोर्ट में याचिकाएँ दायर की हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में याचिका पर सुनवाई कर चुकी है।
इलाहबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा?
इलाहाबाद हाई कोर्ट की जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने बुधवार (25 सितम्बर, 2024) को एस विग्नेश शिशिर की याचिका पर सुनवाई की। शिशिर ने हाई कोर्ट के सामने दावा किया है कि राहुल गाँधी के पास ब्रिटेन की नागरिकता है। शिशिर ने इस मामले में CBI जाँच की माँग की है।
याचिकाकर्ता शिशिर ने हाई कोर्ट को बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के सामने राहुल गाँधी की याचिका को लेकर दो आवेदन दिए हैं। यह आवेदन नागरिकता कानूनों के तहत दिए गए हैं। याचिकाकर्ता शिशिर ने गृह मंत्रालय में दिए गए आवेदनों पर कार्रवाई के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का रास्ता लिया है।
हाई कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए गृह मंत्रालय से पूछा है कि उसने इन आवेदनों पर क्या एक्शन लिया है। हाई कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सूर्यभान पाण्डेय को आदेश दिया है कि वह गृह मंत्रालय की कार्रवाई का ब्यौरा कोर्ट के सामने रखें।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि वह अभी राहुल गाँधी की नागरिकता का परीक्षण नहीं कर रहा बल्कि वह यह जानना चाहता है कि आखिर गृह मंत्रालय इस मामले पर क्या कार्रवाई कर रहा है। हाई कोर्ट ने इससे पहले इसी मामले में डाली गई याचिका वापस लेने की अनुमति दी थी। यह याचिका भी शिशिर ने ही लगाई थी।
केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के पास नागरिकता कानून के तहत यह शक्ति है कि वह किसी भारतीय नागरिक की विदेशी नागरिकता अपनाने के कारण और समय की जानकारी जुटा सके। शिशिर का आवेदन गृह मंत्रालय से राहुल की नागरिकता रद्द करने की माँग करता है।
याचिकाकर्ता शिशिर का दावा है कि राहुल गाँधी ब्रिटिश नागरिक हैं और ब्रिटिश सरकार ने 2022 में भेजे गए इमेल में इस बात के संकेत दिए हैं। यह भी बताया गया है कि ब्रिटिश सरकार राहुल गाँधी की नागरिकता पर तब तक जानकारी सार्वजनिक रूप से नहीं देगी जब तक गाँधी स्वयं इस बात के लिए आवेदन पर हस्ताक्षर ना कर दें।
सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर भी सुनवाई
सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल गाँधी की नागरिकता को इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका डाली थी। 20 अगस्त, 2024 को दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस याचिका को जनहित याचिका (PIL) बेंच को स्थानांतरित कर दिया था।
सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि राहुल गाँधी एक ब्रिटिश नागरिक हैं और इस संबंध में अपनी जानकारी छुपाई है। स्वामी का कहना है कि राहुल गाँधी ने इस संबंध में जानकारी छुपाई है। स्वामी ने इस संबंध में कहा था कि उन्होंने गृह मंत्रालय में आवेदन दिया है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वह इस याचिका पर कार्रवाई की माँग कर रहे थे। इस याचिका पर गुरुवार (26 सितम्बर, 2024) को होनी है।
राहुल गाँधी की नागरिकता पर लगातार विवाद
राहुल गाँधी की नागरिकता को लेकर विवाद पहली बार नहीं हो रहा है। राहुल गाँधी की नागरिकता का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है। इससे पहले दिल्ली के दो लोगों ने राहुल गाँधी की नागरिकता पर प्रश्न उठाए थे। उन्होंने दावा किया था कि एक कम्पनी के 2005-06 के रिकॉर्ड में राहुल गाँधी को ब्रिटिश नागरिक बताया गया था। याचिका में दावा किया गया था कि राहुल गाँधी ने स्वेच्छा से ब्रिटिश नागरिकता ली है और इसकी जानकारी नहीं दी है। उन्होंने कहा था कि यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट में भी हो चुकी सुनवाई
राहुल गाँधी का मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था तो उसने इस याचिका को रद्द कर दिया था। 2019 में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच सुनवाई करते हुए कहा था कि यदि कोई कम्पनी अपने कागजों में किसी को ब्रिटिश नागरिक बता देती है तो इससे वह वहाँ का नागरिक नहीं हो जाता। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता समाजसेवा करने की राजनीति कर रहे हैं।
कोर्ट ने सवाल उठाए थे कि आखिर याचिकाकर्ताओं ने 2019 का इन्तजार राहुल गाँधी की नागरिकता पर याचिका डालने के लिए क्यों किया। इस दौरान गृह मंत्रालय ने भी राहुल गाँधी से उनकी नागरिकता पर स्थिति साफ़ करने को कहा था। गृह मंत्रालय ने राहुल गाँधी को नोटिस जारी करके तथ्य देने को कहा था। इसको लेकर काफी बवाल हुआ था।
सिर्फ 2019 में ही नहीं बल्कि 2015 में भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी ही याचिका को ‘अजीब‘ करार दिया था। कोर्ट ने इस दौरान राहुल गाँधी को ब्रिटिश बताने के दावे के आधार वाले दस्तावेज पर भी प्रश्न उठाए थे। तब भी सुप्रीम कोर्ट के सामने यही दावे किए गए थे कि राहुल गाँधी ब्रिटिश नागरिक हैं और यह बात कम्पनी रिकॉर्ड से सामने आई है।
राहुल गाँधी की नागरिकता को लेकर लड़ाई मात्र कोर्ट में ही नहीं बल्कि संसद तक पहुँच चुकी है। भाजपा सांसद महेश गिरी ने ऐसे ही आरोप राहुल गाँधी के खिलाफ संसद की एथिक्स कमिटी के सामने लगाए थे। एथिक्स कमिटी ने भी राहुल गाँधी से जवाब माँगा था।
कॉन्ग्रेस का क्या है जवाब
राहुल गाँधी ने इस मामले में संसद कि एथिक्स कमिटी के नोटिस पर जवाब दिया था। राहुल ने एथिक्स कमिटी की नोटिस के सवाल पर बताया था कि उन्होंने कभी भी ब्रिटिश नागरिकता के लिए आवेदन ही नहीं दिया। उन्होंने कहा था कि नागरिकता को लेकर प्रश्न उनकी छवि धूमिल करने के उद्देश्य सेउठाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि वह एथिक्स कमिटी को अपने तरीके से निपट लेंगे। राहुल गाँधी की बहन और कॉन्ग्रेस नेता प्रियंका गाँधी ने इन दावों को हास्यास्पद करार दिया था।
प्रियंका गाँधी ने कहा था कि राहुल गाँधी इस देश में पैदा हुए और यहीं के लोगों के सामने पले बढ़े हैं। प्रियंका गाँधी ने कहा था कि उनके भाई की नागरिकता पर उठाए गए सवालों को आधारहीन करार दिया था। प्रियंका गाँधी ने कहा था कि नागरिकता के विषय में पूरा देश जानता है।